Last Updated:January 10, 2025, 17:13 ISTइंफोसिस ने अपने जवाबी दावे में आरोप लगाया है कि कॉग्निजेंट ने प्रतिस्पर्धा को बाधित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए. इनकी वजह से ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध नहीं हो सकीं.
इंफोसिस ने अपनी याचिका में अदालत से जूरी ट्रायल की मांग की है. नई दिल्ली. भारत की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस ने 10 जनवरी को अमेरिकी कोर्ट में NASDAQ-सूचीबद्ध कॉग्निजेंट के खिलाफ एक काउंटरक्लेम दायर किया है. इंफोसिस ने आरोप लगाया है कि कॉग्निजेंट और इसके सीईओ रवि कुमार ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी रणनीतियों का इस्तेमाल किया और इंफोसिस के हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म ‘इंफोसिस हेलिक्स’ की प्रगति को बाधित करने के लिए संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया. रवि कुमार इंफोसिस से इस्तीफा देकर कॉग्जिनेंट गए थे. यह मुकदमा टेक्सास के उत्तरी जिले में दायर किया गया है. इससे पहले, कॉग्निजेंट की सहायक कंपनी कॉग्निजेंट ट्राइज़ेटो ने इंफोसिस पर हेल्थकेयर इंश्योरेंस सॉफ्टवेयर से जुड़े व्यापार रहस्यों को चुराने का आरोप लगाया था. इंफोसिस ने उस समय इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह कोर्ट में अपना बचाव मजबूती से करेगी.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंफोसिस ने अपनी याचिका में अदालत से जूरी ट्रायल की मांग की है. साथ ही, कॉग्निजेंट के नॉन-डिस्क्लोजर और एक्सेस एग्रीमेंट्स (NDAAs) को अमान्य और अप्रभावी घोषित करने और उसे हुए नुकसान का तीन गुना मुआवजा, वकीलों की फीस और अन्य खर्च देने की मांग की है. इन्फोसिस ने अपने जवाबी दावे में आरोप लगाया है कि कॉग्निजेंट ने प्रतिस्पर्धा को बाधित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए. इनकी वजह से ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध नहीं हो सकीं. आरोप है कि कॉग्निजेंट ने अनुबंधात्मक प्रतिबंध लगाए, जिनका कोई वैध उद्देश्य नहीं था और इन्फोसिस को उन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका जो उसे पारंपरिक रूप से उपलब्ध कराए जाते थे.
रवि कुमार पर आरोपइंफोसिस ने अपने पूर्व कार्यकारी रवि कुमार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. रवि अब कॉग्निजेंट का नेतृत्व कर रहे हैं. अक्टूबर 2022 में रवि कुमार ने इंफोसिस से इस्तीफा दे दिया और कुछ समय बाद ही वे कॉग्निजेंट के सीईओ बन गए. इन्फोसिस ने 2019 में हेल्थकेयर इंश्योरेंस प्लेटफॉर्म ‘हेलिक्स’ का विकास शुरू किया. आरोप है कि रवि कुमार ने शुरू में इस प्लेटफॉर्म का समर्थन किया, लेकिन 2022 में कॉग्निजेंट से जुड़ने की बातचीत शुरू करने के बाद उन्होंने अचानक अपना समर्थन वापस ले लिया. इंफोसिस ने आरोप लगाया है कि रवि कुमार ने इंफोसिस हेलिक्स को आवश्यक संसाधन देने से इनकार कर दिया, जिससे इसे विकसित करने में 18 महीने की देरी हुई.
इंफोसिस ने यह भी आरोप लगाया है कि कॉग्निजेंट ने हेलिक्स के प्रमुख वरिष्ठ अधिकारियों जैसे श्वेता अरोड़ा और रवि किरण कुचिभोटला को लुभाकर उन्हें विकास में बाधा डालने के लिए प्रेरित किया. मुकदमे में यह भी कहा गया है कि कॉग्निजेंट के प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीकों के कारण अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम में 65% बीमित जनसंख्या अभी भी कॉग्निजेंट के पुराने सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर रही है, जिससे उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.
कॉग्निजेंट का दावाकॉग्निजेंट ट्राइज़ेटो ने अगस्त 2024 में इंफोसिस पर मुकदमा दायर किया था. इसमें दावा किया गया था कि इंफोसिस ने ट्राइज़ेटो के व्यापार रहस्यों और गोपनीय जानकारी का उपयोग करके अपना सॉफ़्टवेयर ‘हेलिक्स’ विकसित किया. कॉग्निजेंट ने कहा कि उसने इन्फोसिस के कर्मचारियों से नॉन-डिस्क्लोजर और एक्सेस एग्रीमेंट्स (NDAAs) पर हस्ताक्षर कराए थे, लेकिन इन्फोसिस ने इन समझौतों का उल्लंघन किया.
पुरानी प्रतिद्वंद्विताकॉग्निजेंट और इंफोसिस के बीच प्रतिद्वंद्विता कोई नई बात नहीं है. 2023 में रवि कुमार के सीईओ बनने के बाद, उन्होंने इन्फोसिस और विप्रो के कई वरिष्ठ अधिकारियों को कॉग्निजेंट में शामिल किया. अब इस नए मुकद्दमें ने दोनों कंपनियों के बीच लंबे समय से चल रही प्रतिस्पर्धा को और अधिक जटिल बना सकता है.यह मुकदमा केवल व्यापारिक विवाद नहीं है, बल्कि तकनीकी क्षेत्र में बढ़ते प्रतिस्पर्धात्मक तनाव का प्रतीक है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और यह दोनों कंपनियों के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा.
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