Last Updated:May 04, 2025, 14:05 ISTभारत में 90% सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स कुछ नहीं कमा रहे हैं. BCG रिपोर्ट के अनुसार, 50% नैनो और माइक्रो इंफ्लुएंसर्स ₹18,000 प्रति माह से कम कमाते हैं.भारत में करीब 50% नैनो और माइक्रो इंफ्लुएंसर हैं, जो ₹18,000 प्रति माह से कम कमाते हैं.हाइलाइट्सभारत में 25 लाख इंफ्लुएंसर्स हैं.90% इंफ्लुएंसर्स कुछ भी नहीं कमा रहे हैं.50% नैनो और माइक्रो इंफ्लुएंसर्स ₹18,000 से कम कमाते हैं.नई दिल्ली. भारत में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की संख्या रात-दिन बढ रही है. रील्स और अन्य इंटरनेट कंटेंट बनाकर कमाई करने की चाहत रखने वालों को यह जानकार शायद गहरा धक्का लगे कि भारत में 90 फीसदी के करीब इंफ्लुएंसर्स कुछ भी नहीं कमा रहे हैं. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इस रिपोर्ट को वेव्स समिट 2025 (Waves Summit 2025) में जारी किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 20 से 25 लाख इंफ्लुएंसर्स हैं, जिनके कम से कम 1,000 फॉलोअर्स हैं. लेकिन, इनमें से बहुत कम ही अपनी रचनात्मक गतिविधियों से कमाई कर पाते हैं. कमाई करने वाले इंफ्लुएंसर्स की संख्या भले ही कम हो, लेकिन इनका प्रभाव बहुत बड़ा है. ये क्रिएटर्स देश के 30% से अधिक उपभोक्ताओं को प्रभावित कर रहे हैं और लगभग 33 लाख करोड़ के उपभोक्ता खर्च पर असर डालते हैं. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में $20-25 बिलियन (₹1.6-2 लाख करोड़) का मूल्य जुड़ रहा है.
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 50% नैनो और माइक्रो इंफ्लुएंसर हैं, जो ₹18,000 प्रति माह से कम कमाते हैं. वर्ष 2030 तक भारत में क्रिएटर-प्रभावित उपभोक्ता खर्च $1 ट्रिलियन यानी 84 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. वर्तमान में ब्रांड अपने कुल मार्केटिंग बजट का 10-20% हिस्सा क्रिएटर इकोनॉमी पर खर्च कर रहे हैं. 70% ब्रांड अगले 2-3 वर्षों में अपने इंफ्लुएंसर मार्केटिंग बजट को 1.5 से 3 गुना तक बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.
इन मॉडल्स से होगी ज्यादा कमाई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की क्रिएटर इकोनॉमी के भविष्य की संभावनाएं वर्चुअल गिफ्टिंग, सब्सक्रिप्शन और लाइव कॉमर्स जैसे कम उपयोग किए गए लेकिन उच्च संभावनाओं वाले मोनेटाइजेशन मॉडल्स पर निर्भर करेंगी. खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में क्षेत्रीय प्लेटफॉर्म्स पर वर्चुअल गिफ्टिंग का चलन तेजी से बढ़ा है. दर्शक लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान डिजिटल गिफ्ट भेजते हैं, जिसे इन-ऐप करेंसी से खरीदा जाता है.
इंफ्लुएंसर्स की हैं छह श्रेणियांबीसीजी ने कंटेंट से कमाई करने वाले इंफ्लुएंसर्स को छह श्रेणियों में बांटा है. सबसे बड़ी श्रेणी “द ट्रस्ट एंबेसेडर्स” की है. इसमें 14 से 17 लाख नैनो क्रिएटर्स आते हैं. इनके 10,000 से 50,000 फॉलोअर्स हैं. ये ब्रांड अवेयरनेस और कन्वर्जन दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. 4 से 6 लाख “निश क्रिएटर्स” हैं. ये किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं. ये सीमित दर्शकों को बहुत प्रभावित करते हैं. वहीं “इनक्विजिटर्स” श्रेणी में 75,000 से 1 लाख क्रिएटर्स ऐसे हैं जो सवाल उठाकर चर्चा को जन्म देते हैं. “इन्फ्लुएंसर आइकॉन्स” श्रेणी के 60,000 से 80,000 क्रिएटर्स नए प्रोडक्ट्स के लिए उत्साह पैदा करने में माहिर हैं.
“डिसेमिनेटर्स” की श्रेणी में 10,000 से 15,000 क्रिएटर्स आते हैं जो बड़े स्तर पर लोगों तक जानकारी पहुंचाने का काम करते हैं. वहीं “ट्रेंड सेटर्स” श्रेणी के 2,000 से 4,000 क्रिएटर्स ब्रांड की विश्वसनीयता बनाए रखने और लॉयल्टी बढ़ाने में सहायक होते हैं.
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