Last Updated:April 13, 2025, 22:23 ISTNatural Gas Consumption: देश में नेचुरल गैस की खपत लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि घरेलू उत्पादन इसका आधा भी नहीं है. आज भी हम अपनी जरूरत का 60 फीसदी गैस आयात करते हैं. आने वाले समय में इसकी खपत 60 फीसदी बढ़ने वा…और पढ़ेंभारत में नेचुरल गैस की खपत 60 फीसदी बढ़ने वाली है. हाइलाइट्सभारत में नेचुरल गैस की खपत 2030 तक 60% बढ़ने की संभावना है.गैस की बढ़ती खपत से आयात बिल और कीमतों पर दबाव बढ़ेगा.भारत अपनी गैस की 60% जरूरत आयात से पूरी करता है.नई दिल्ली. भारतीय अर्थव्यवस्था जितनी तेज से विकास कर रही है, उतनी तेजी से ऊर्जा की खपत भी बढ़ती जा रही है. परेशानी ये है कि हम अपनी ऊर्जा की खपत पूरी करने के लिए ज्यादातर आयात पर निर्भर हैं और अगर इसमें बेतहाशा वृद्धि होती रही तो न सिर्फ आम आदमी के लिए इसकी कीमतें बढ़ जाएगी, बल्कि आयात बिल में इजाफा होने से अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ेगा. अच्छी बात ये है कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए ऊर्जा की खपत बढ़ना सही भी है, लेकिन दोनों के बीच तालमेल बिठाना जरूरी होगा.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने अपने हालिया रिपोर्ट में बताया है कि देश में नेचुरल गैस की खपत साल 2030 तक लगभग 60 फीसदी बढ़ने की संभावना है. वाहन में सीएनजी, खाना पकाने और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए गैस ईंधन के उपयोग में वृद्धि की वजह से प्राकृतिक गैस की खपत तेजी से बढ़ेगी. सरकार ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को गैस आधारित इकनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है. इसका मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए इकनॉमी की ग्रोथ को बढ़ाना है.
कितनी होगी गैस की खपतबोर्ड का कहना है कि प्राकृतिक गैस की खपत 2023-24 में 18.8 करोड़ मानक घन मीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2030 तक 29.7 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन (यूनिट) तक पहुंचने की उम्मीद है. प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक और वाहनों के लिए सीएनजी और रसोई में पाइप के जरिये गैस (पीएनजी) पहुंचाने के लिए किया जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इसी तरह से खपत और विकास दर बढ़ती रही तो साल 2040 तक इसके 49.6 करोड़ यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है.
ज्यादा विकास यानी अधिक खपतरिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि अगर देश की विकास दर और तेज होती है तो साल 2030 तक खपत 36.5 करोड़ यूनिट और 2040 तक 63 करोड़ यूनिट तक बढ़ सकती है. इस लिहाज से देखा जाए तो मांग में शहरी गैस वितरण (इसमें वाहनों को सीएनजी बेचना और घरेलू रसोई तथा उद्योगों तक ईंधन पहुंचाना शामिल है) क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. सरकार का लक्ष्य देश की प्राथमिक ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा के 6-6.5 फीसदी से बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करना है. इसका मकसद साल 2070 तक देश को शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचाना है.
शहरों में तेजी से बढ़ रही खपतपीएनजीआरबी ने हाल के वर्षों में 307 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए शहर गैस लाइसेंस दिए हैं, जो देश के लगभग पूरे हिस्से को कवर करते हैं. शहर गैस वितरण में वित्त र्ष 2023-24 में 3.7 करोड़ यूनिट के आधार से 2030 तक खपत में 2.5 से 3.5 गुना और 2040 तक छह से सात गुना वृद्धि होने का अनुमान है. साथ ही रिफाइनरी और पेट्रोरसायन में उछाल से मदद मिलेगी. पेट्रोरसायन क्षेत्र में भी साल 2030 तक गैस की खपत 2.1 करोड़ यूनिट और 2040 तक एक करोड़ यूनिट की बढ़ी हुई खपत होने का अनुमान है
आयात बिल पर पड़ेगा असरभारत अपनी गैस की आधी मांग आयात के जरिये पूरी करता है. मांग बढ़ने के साथ ही तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में वृद्धि होने का अनुमान है. अध्ययन में कहा गया है कि लंबी दूरी के परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी पासा पलटने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि यह डीजल वाहन की जगह लेने की क्षमता रखता है. भारत का एलएनजी आयात 2030 तक दोगुना से अधिक होने वाला है. जाहिर है कि इससे कीमतों पर भी असर पड़ेगा और खुदरा बाजार में गैस की कीमतें महंगी हो सकती हैं. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा, जबकि आयात बिल बढ़ने से इकनॉमी पर भी दबाव बढे़गा.
हल निकालना मुश्किलएक तरफ तो गैस की खपत तेजी से बढ़ती जा रही है और कीमतों में भी उतनी ही तेजी से बढ़ोतरी हो रही. दूसरी ओर, देश में प्राकृतिक गैस का उत्पादन करीब 9 करोड़ मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रतिदिन, जबकि खपत प्रतिदिन 19 करोड़ मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पहुंच गई है. जाहिर है कि भारत के पास इस चुनौती का घरेलू स्तर पर हल निकालने का अभी कोई रास्ता नहीं है. एकमात्र उपाय आयात के जरिये इस सप्लाई को पूरा करने का ही है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 13, 2025, 22:23 ISThomebusinessभारत की तरफ बढ़ रही एक और मुसीबत! इकनॉमी से आम आदमी तक सीधा असर
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