नई दिल्ली. इंस्टीट्यूशनल निवेशक ही वो ताकत हैं, जो वास्तव में शेयर बाजार को मूव कराने का दमखम रखते हैं. इनकी एक-एक चाल से शेयर बाजार गिरता या उठता है. घरेलू संस्थागत निवेशकों में म्यूचुअल फंड्स भी आते हैं. इनकी खरीदारी या बिकवाली भी मायने रखती है. पिछले कुछ समय से अमेरिकी टैरिफ वॉर का प्रकोप झेल रहे भारतीय शेयर बाजारों के म्यूचुअल फंड्स ने कौन-से शेयर खरीदे हैं और उन्हें कहां पैसा बनने की उम्मीद नजर आती है, इस बारे में हर निवेशक को जानकारी रखनी चाहिए.
हम बाहर से देखें तो पता चलता है कि अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ पर कड़ा टकराव है. अमेरिका ने तो चीन के कुछ उत्पादों पर 245 फीसदी तक का टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी. उधर, चीन ने भी अमेरिका से आने वाले सामान पर उसी अनुपात में टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था. लोग मानकर चल रहे हैं कि इससे चीन की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी. यदि आपको भी ऐसा ही लगता है तो जरा ठहरिए! इंस्टीट्यूशनल निवेशकों की नजर में ऐसा नहीं है. कम से कम मार्च में की गई म्यूचुअल फंड्स की खरीदारी तो संकेत देती है कि आने वाले दिनों में चीन का शेयर बाजार उठने वाला है और उसकी इकॉनमी की हालत सुधर सकती है.
दरअसल, म्यूचुअल फंड्स ने अपनी खरीदारी में चीन के स्टॉक्स को पहले स्थान पर रखा है. और यह समझना जरूरी है कि इंस्टीट्यूशनल निवेशक वहीं पूंजी लगाते हैं, जहां से तगड़े रिटर्न की उम्मीद ज्यादा हो. उनके हर मूव के पीछे कई तरह के विश्लेषण होते हैं. यदि म्यूचुअल फंड्स चीन के स्टॉक खरीद रहे हैं तो जरूर इसके पीछे बड़ी वजह होगी. उन्हें चीन के बाजार से बड़े रिटर्न की उम्मीद है.
एआई पर काम कर रही कंपनियां टॉप परPrimemfdatabase.com के आंकड़ों के अनुसार, मार्च में भारतीय म्यूचुअल फंड्स ने जिन विदेशी शेयरों को सबसे ज्यादा खरीदा, उनमें चीन की कंपनियां सबसे ऊपर रहीं. इसमें SenseTime Group Inc., Industrial & Commercial Bank of China, China Construction Bank Corp., और Bank of China जैसी कंपनियां शामिल हैं.
SenseTime Group Inc आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर बनाती है. इसके 5.44 लाख शेयर खरीदे गए हैं. यह सबसे ज्यादा खरीदा गया शेयर है. इसके बाद Industrial & Commercial Bank of China के 4.60 लाख शेयर खरीदे गए हैं. उसके बाद China Construction Bank Corp के 3.01 लाख और Bank of China के 2.33 लाख शेयर खरीदे गए हैं.
ट्रंप टैरिफ का कोई असर नहीं ये सारी खरीदारी ऐसे समय में हुई, जब अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में ऊथल पुथल मची हुई थी. हालांकि, भारतीय बाजार मार्च में बाकी देशों की तुलना में ज्यादा स्थिर रहा. इसी का फायदा उठाते हुए म्यूचुअल फंड्स ने विदेशों में भी निवेश बढ़ाया.
मार्च में भारतीय शेयर सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स करीब 8 फीसदी बढ़े, जबकि अमेरिका के डाउ जोन्स और S&P 500 में लगभग 5-6 फीसदी की गिरावट आई. चीन का CSI 300 लगभग स्थिर रहा और हॉन्गकॉन्ग का Hang Seng 2.1 फीसदी बढ़ा.
ज्यादातर MFs मार्च में रहे बिकवालदिलचस्प बात यह रही कि Nippon Life India MF और Mirae Asset Management India जैसी कंपनियां विदेशी शेयरों की सबसे बड़ी खरीदार बनीं, जबकि ज्यादातर म्यूचुअल फंड्स ने मार्च महीने में नेट सेलर बने हुए के रूप में खत्म किया. फिलहाल लगभग 13 म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी शेयरों में निवेश कर रहे हैं.
दूसरी ओर, भारतीय म्यूचुअल फंड्स ने Cognizant Technology, Ayala Land, WuXi Biologics, Kenvue, और British American Tobacco जैसी विदेशी कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा बेचे. बड़ी टेक कंपनियों के मामले में म्यूचुअल फंड्स ने ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट में अपनी हिस्सेदारी घटाई, जबकि अमेज़न, फेसबुक (मेटा) और एनवीडिया के शेयरों में निवेश बढ़ाया.
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