विकास दर बढ़ाने के लिए चाहिए 3 लाख करोड़! क्‍या रिजर्व बैंक फिर बनेगा संकट मोचक

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विकास दर बढ़ाने के लिए चाहिए 3 लाख करोड़! क्‍या रिजर्व बैंक फिर बनेगा संकट मोचक

Last Updated:March 07, 2025, 15:45 ISTLiquidity in Bank : बैंकिंग सिस्‍टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए आरबीआई को एक बार फिर संकटमोचन का रोल निभाना होगा. बैंकिंग सिस्‍टम को मजबूत बनाने और विकास दर को बढ़ाने के लिए आरबीआई को करीब 3 लाख करोड़ रुपये जु…और पढ़ेंअर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर बढ़ाने के लिए भी पूंजी तरलता की जरूरत है. हाइलाइट्सआरबीआई को बैंकिंग सिस्टम में 3 लाख करोड़ रुपये डालने होंगे.विकास दर बढ़ाने के लिए आरबीआई को तरलता बढ़ानी होगी.भारत को 8% विकास दर का लक्ष्य रखना चाहिए.नई दिल्‍ली. भारतीय बैंकिंग सिस्‍टम को मजबूत बनाने और विकास दर को बढ़ाने के लिए करीब 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. इसका मतलब है कि रिजर्व बैंक को एक बार फिर संकटमोचन की भूमिका निभानी होगी. इससे बैंकों को कर्ज बांटने में आसानी होगी और विकास दर को भी बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए बैंकिंग प्रणाली में पैसे डालने होंगे और एक बार फिर रिजर्व बैंक को आगे आना पड़ेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आरबीआई इतनी मोटी रकम का जुगाड़ कहां से करेगा.

एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री, एक्सिस कैपिटल के ग्लोबल रिसर्च हेड और यूआईडीएआई प्रमुख नीलकंठ मिश्रा ने भारत की बैंकिंग प्रणाली में मौजूदा तरलता संकट के बारे में कहा कि आरबीआई ने तरलता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन वित्तीय स्थिति को वास्तव में आसान बनाने के लिए अतिरिक्त 2-3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी. लिहाजा आरबीआई को तरलता बनाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा.

अनुमान से ज्‍यादा पैसे की जरूरतमिश्रा के अनुसार, अर्थव्यवस्था में तरलता बनाए रखने की लागत बहुत अधिक है. तरलता को आसान बनाना आवश्यक है. आरबीआई तरलता को आसान बनाने पर काम कर रहा है, लेकिन हमें लगता है कि 2-3 ट्रिलियन रुपये के लिक्विडी सपोर्ट की आवश्यकता है. मिश्रा ने भारत की बैंकिंग प्रणाली में तरलता के तनाव को अर्थव्यवस्था में जीडीपी वृद्धि की मंदी के तीन प्रमुख कारणों में से एक बताया. उन्‍होंने कहा कि बैंकिंग सिस्‍टम में तरलता बढ़ने से विकास दर को भी सपोर्ट मिलेगा और तेजी आएगी.

खुद बुलाई गई है आर्थिक मंदीमिश्रा ने मौद्रिक सख्ती के अलावा नियामक जोखिम से बचाव और धीमे सरकारी खर्च को देश में स्व-प्रेरित आर्थिक मंदी के कारणों के रूप में उजागर किया. उन्‍होंने कहा कि इसके तीन कारक थे वित्तीय, मौद्रिक और नियामक, जिन्होंने संरचनात्मक आर्थिक मंदी का माहौल बनाया. वित्तीय पक्ष की बात करें तो, FY25 की पहली छमाही में चुनावों के कारण सरकारी खर्च काफी धीमा रहा, लेकिन अब इसमें तेजी आई है. नियामक पक्ष की बात करें तो, नियामक बहुत अधिक जोखिम से बचने लगे थे, लेकिन कम से कम कुछ नियामक सख्ती में भी ढील दी गई है. एक बार जब अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली तीन प्रमुख बाधाएं हल हो जाएंगी, तो भारत फिर से लगभग 7 फीसदी की विकास दर पर लौट सकता है.

भारत को चाहिए 8 फीसदी विकास दरभारत के दीर्घकालिक जीडीपी वृद्धि लक्ष्यों के बारे में मिश्रा ने कहा कि अगले 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था को 8 फीसदी वृद्धि दर का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि अगर भारत को विकसित देश बनना है तो 7 फीसदी की विकास दर से काम नहीं चलेगा, इसके लिए 8 फीसदी विकास दर की जरूरत होगी. यह पाना उतना भी कठिन नहीं है, क्‍योंकि अगर 3 लेवल यानी नियामकीय, मौद्रिक और वित्‍तीय लेवल पर सुधार कर लिया जाए तो विकास दर हासिल करना मुश्किल नहीं होगा.

कहां से आएगा पैसाआरबीआई ने फरवरी की शुरुआत में हुई एमपीसी बैठक में सीआरआर घटाकर बैंकिंग सिस्‍टम में 1.10 लाख करोड़ रुपये डाले थे. माना जा रहा है कि एक बार फिर ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है या फिर ओपन फॉर सेल के जरिये बैंकिंग सिस्‍टम में पैसे डाले जा सकते हैं. इससे पहले आरबीआई ने ओपन मार्केट के जरिये कई लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्‍टम में डाले थे.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 07, 2025, 15:45 ISThomebusinessविकास दर बढ़ाने के लिए चाहिए 3 लाख करोड़! क्‍या आरबीआई फिर बनेगा संकट मोचक

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