भारत सुरक्षित हो रहा है या अमेरिका असुरक्षित? कोटक की तुलना से उठा एक सवाल

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नई दिल्ली. भारतीय बॉन्ड मार्केट में एक दिलचस्प बदलाव देखा जा रहा है, जिसे कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में खासतौर पर हाइलाइट किया है. कोटक के मुताबिक भारत और अमेरिका के 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड्स के बीच का फासला अब महज 165 बेसिस पॉइंट रह गया है — जो कि पिछले दो दशकों में सबसे कम स्तर है. इस समय भारत के 10-वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड 6.25% है, जबकि अमेरिका के समान अवधि के ट्रेजरी यील्ड 4.60% पर पहुंच गए हैं. यह फासला आमतौर पर ज्यादा रहा है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था को पारंपरिक रूप से उच्च महंगाई, अधिक जोखिम और अस्थिरता से जोड़ा जाता रहा है. लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं.

अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने की मुख्य वजह वहां की बिगड़ती वित्तीय स्थिति है. ट्रंप प्रशासन की टैक्स और खर्च नीति से फेडरल घाटा बढ़ने की आशंका है, जिससे निवेशकों में घबराहट है. हाल ही में अमेरिकी सरकार के 20-वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड की $16 अरब की नीलामी में कम निवेशक रुचि देखने को मिली, जिससे यील्ड और ऊपर चली गई. इसके अलावा फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति और ब्याज दरों में कटौती न करने की जिद से अमेरिकी बॉन्ड और दबा व में हैं.

भारत की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत

भारत में महंगाई नियंत्रण में है, जो आमतौर पर यील्ड को नीचे रखने में मदद करता है. साथ ही, भारतीय डेट मार्केट में विदेशी निवेशक लगातार पैसा लगा रहे हैं, जिससे बॉन्ड की डिमांड बनी हुई है और यील्ड ज्यादा नहीं बढ़ रही. स्थिर आर्थिक माहौल और करंसी के मोर्चे पर बेहतर परफॉर्मेंस ने भारत की विश्वसनीयता बढ़ाई है.

क्या भारत की यील्ड एक दिन अमेरिका से नीचे जा सकती है?

उदय कोटक ने इसी सवाल को उठाते हुए संकेत दिया कि यदि भारत की महंगाई, रिस्क परसेप्शन और लिक्विडिटी जैसे फैक्टर्स में सुधार बना रहा, तो एक दिन ऐसा हो सकता है. अभी तक ये सोचना असंभव माना जाता था, लेकिन बदलते वैश्विक माहौल और भारत की मजबूत होती स्थिति इस संभावना को नकारती नहीं.

भारत और अमेरिका के बॉन्ड यील्ड के बीच का ऐतिहासिक फासला अब तेजी से कम हो रहा है. अगर भारत अपनी आर्थिक स्थिरता बनाए रखता है और अमेरिका की वित्तीय स्थिति और बिगड़ती है, तो आने वाले वर्षों में यह फर्क और सिमट सकता है — और संभव है कि भारत की यील्ड एक दिन अमेरिका से कम भी हो जाए.

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आसान भाषा में समझिए

भारत सरकार 10 साल के लिए उधार लेकर 6.25% ब्याज दे रही है. वहीं, अमेरिका की सरकार 4.60% ब्याज दे रही है. पहले ये फर्क यानी गैप 3% से ज्यादा होता था, अब सिर्फ 1.65% (165 बेसिस पॉइंट) रह गया है. यानी भारत अब अमेरिका से सिर्फ थोड़ा ही ज्यादा ब्याज दे रहा है, पहले बहुत ज्यादा देना पड़ता था.

क्यों हुआ ऐसा?

अमेरिका में दिक्कतें बढ़ रही हैं: वहां की सरकार बहुत खर्च कर रही है, और अब उधार चुकाने में दिक्कत आ सकती है — इसलिए निवेशक डर रहे हैं.

बॉन्ड की मांग कम हो गई: अमेरिका ने हाल ही में जो सरकारी बॉन्ड बेचे, उन्हें खरीदने में लोगों की खास दिलचस्पी नहीं दिखी. जब मांग कम होती है, तो ब्याज (yield) बढ़ता है.

भारत में हालात बेहतर हैं: महंगाई काबू में है, विदेशी निवेशक भारत के बॉन्ड में पैसा लगा रहे हैं, और देश की इकोनॉमी स्थिर लग रही है — इसलिए यहां की बॉन्ड यील्ड ज्यादा नहीं बढ़ी.

कोटक का बड़ा सवाल

उदय कोटक ने पूछा है – “क्या कभी ऐसा दिन आएगा जब भारत की बॉन्ड यील्ड अमेरिका से भी कम हो जाएगी?” यानि क्या निवेशक भारत को अमेरिका से भी ज़्यादा सुरक्षित मानने लगेंगे? अभी तो ये मुश्किल लगता है, लेकिन हालात जिस तरह बदल रहे हैं, वो दिन नामुमकिन भी नहीं.

मतलब आपके लिए क्या?

अगर आप निवेशक हैं, तो ये संकेत है कि विदेशी लोग अब भारत की इकॉनमी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. इससे रुपये की स्थिति मजबूत हो सकती है, ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं और भारत में उधार लेना थोड़ा सस्ता हो सकता है — जो आम लोगों के लोन और निवेश पर भी असर डाल सकता है.

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