Last Updated:July 09, 2025, 16:58 ISTभारत सरकार ने चीन पर निर्भरता घटाने के लिए 2500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना तैयार की है, जिससे अगले सात वर्षों में 4,000 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का घरेलू उत्पादन किया जाएगा. यह मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्…और पढ़ेंरेयर अर्थ मेटल्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन में होता है. हाइलाइट्स2500 करोड़ रुपये की योजना से भारत बनाएगा घरेलू मैग्नेट.लक्ष्य: 7 साल में 4,000 टन नियोडिमियम-प्रासियोडिमियम चुंबक.चीन पर निर्भरता घटाने की रणनीति, लेकिन प्रोसेसिंग एक बड़ी चुनौती.नई दिल्ली. भारत सरकार अब देश में ही रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnets) बनाने की तैयारी में है. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक गाड़ियों, पंखों (विंड टर्बाइन), और रक्षा उपकरणों में बहुत काम आते हैं. अब तक भारत इन्हें चीन से मंगवाता था, लेकिन अब सरकार चाहती है कि ये जरूरी मैग्नेट देश में ही बनें. इसके लिए सरकार 2500 करोड़ रुपये की एक खास योजना (स्कीम) ला रही है. इस योजना का मकसद चीन पर भारत की निर्भरता को कम करना है. चीन इस समय दुनिया भर में ऐसे मैग्नेट बनाने और बेचने में सबसे आगे है. भारत पिछले साल 80% से ज्यादा रेयर अर्थ मैग्नेट चीन से ही आयात कर रहा था. लेकिन अब जब चीन ने इन पर पाबंदियां लगानी शुरू की हैं, तो भारत ने फैसला लिया है कि अब इन्हें खुद ही बनाया जाएगा.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की ये योजना अभी भारी उद्योग मंत्रालय के पास है और जल्द ही इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इस स्कीम के तहत सरकार अगले 7 साल में करीब 4,000 टन मैग्नेट का घरेलू उत्पादन करवाना चाहती है. योजना के पहले 2 साल में कंपनियों को प्लांट लगाने का समय मिलेगा और फिर अगले 5 साल तक उन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी.
बड़ी कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी
वेदांता, जेएसडब्ल्यू और सोना बीएलडब्ल्यू जैसी बड़ी कंपनियां इस स्कीम में दिलचस्पी दिखा रही हैं. सोना बीएलडब्ल्यू के सीईओ विवेक विक्रम सिंह का कहना है कि अगर भारत में ये मैग्नेट बनने लगें, तो ये EV कंपनियों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. इससे बाहर से मंगवाने की जरूरत कम होगी और हमारी सप्लाई चेन मजबूत बनेगी.
क्या है चुनौतियां
हालांकि इस काम में कुछ दिक्कतें भी हैं. भारत के पास रेयर अर्थ खनिजों का अच्छा भंडार तो है, लेकिन इनकी क्वालिटी और मात्रा चीन जितनी नहीं है. इसके अलावा इन खनिजों को निकालना और प्रोसेस करना काफी महंगा और पर्यावरण के लिहाज से भी चुनौती भरा है. अभी भारत में प्रोसेसिंग की तकनीक भी सीमित है. सरकार की एक और योजना है कि विदेशों में भी खनन के मौके खोजे जाएं. इसलिए भारत की सरकारी कंपनी खनिज बिदेश लिमिटेड अब अर्जेंटीना, जाम्बिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खनिजों की तलाश कर रही है.Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessनहीं चलेगी चीन की दादागिरी! जिंदल स्टील-वेदांता ने कहा- हम करेंगे ये काम
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