Last Updated:May 02, 2025, 16:00 ISTभारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी शुरू की है. इस लिस्ट से पाकिस्तान का नाम साल 2022 में ही हटा था. पाकिस्तान का नाम फिर से ग्रे सूची में शामिल हो जाता है तो इससे उसे बहुत नुकसान होगा.हाइलाइट्सभारत ने पाकिस्तान को FATF ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी की.FATF ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ेगा.ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को विदेशी निवेश और ऋण में कठिनाई होगी.नई दिल्ली. भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त आर्थिक और कूटनीतिक कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. खबर आ रही है कि भारत अब पाकिस्तान को दोबारा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डलवाने की कोशिश की जा रही है. अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाया गया था. अगर भारत फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में वापस शुमार करने में कामयाब हो जाता है तो उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक निगरानी और प्रतिबंध और बढ़ सकते हैं. इससे उसके लिए विदेशी निवेश और पूंजी प्रवाह पर असर पड़ेगा.
FATF सूची मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए देशों की स्थिति को दर्शाती हैं. FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो 1989 में स्थापित किया गया था और वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा के लिए नीतियां और मानक निर्धारित करता है. एफएटीएफ को सूचियां हैं- ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट. ब्लैक लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए FATF के मानकों का बिल्कुल भी पालन नहीं करते. इस सूची में शामिल देशों पर कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाते हैं और उन्हें कड़ी निगरानी में रखा जाता है. ग्रे सूची में वे देश शामिल होते हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने में कुछ कमियां हैं, लेकिन वे सुधार के लिए FATF के साथ सहयोग कर रहे हैं. इन देशों को अपनी वित्तीय प्रणाली में सुधार करने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना दी जाती है.
पाकिस्तान को होगा बड़ा नुकसान भारत पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में डलवान के लिए सदस्य देशों से बातचीत कर समर्थन जुटा रहा है. अगर पाकिस्तान का नाम फिर से ग्रे सूची में शामिल हो जाता है तो इससे उसे बहुत नुकसान होगा. इसे पाकिस्तान पर आर्थिक संकट गहराएगा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा गिरेगी और वित्तीय लेनदेन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे संस्थानों से ऋण लेने में कठिनाई होगी. ग्रे सूची वाले देशों के साथ लेनदेन में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं अतिरिक्त सावधानी बरतती है, इससे आयात-निर्यात प्रभावित होता है.
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में भी कमी आएगी, जो पाकिस्तान जैसे आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के लिए बडा झटका होगा. ग्रे सूची में नाम आने से मूडीज और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां रेटिंग डाउन कर देती हैं. ऐसा होने पर पाकिस्तान के लिए वैश्विक बाजारों से उधार लेना महंगा हो जाएगा. निवेश और व्यापार में कमी से पाकिस्तान का आर्थिक विकास धीमा हो जाएगा जो उच्च मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण बनेगा.
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