खुदकुशी पर आमादा है बांग्‍लादेश! भारत ने कसा शिकंजा तो हो जाएगा बर्बाद

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Last Updated:April 14, 2025, 10:27 ISTIndia-Bangladesh Faceoff : बांग्‍लादेश लगातार भारत के खिलाफ कदम उठाता जा रहा और उसके नेता भी खुले मंच से भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने सिर्फ एक कदम उठाया और उसे 6 हजार करोड़ रुपये …और पढ़ेंभारत ने सख्‍ती दिखाई तो बांग्‍लादेश की इकनॉमी को बड़ा नुकसान हो सकता है. हाइलाइट्सभारत ने बांग्लादेश के व्यापार के लिए सीमाएं बंद कीं.बांग्लादेश को 6 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.भारत-बांग्लादेश व्यापार 70 हजार करोड़ रुपये का है.नई दिल्‍ली. कहते हैं ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ यानी जब विनाश का समय आता है तो बुद्धि और विवेक विपरीत दिशा में काम करना शुरू कर देते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण अभी बांग्‍लादेश के रूप में देखा जा सकता है. साल 1971 में पाकिस्‍तान के चंगुल से आजाद कराकर भारत ने इस देश को संप्रुभता दिलाई थी और उसके बाद से आज तक न सिर्फ राजनीतिक तौर पर सपोर्ट किया, बल्कि उसे खड़ा होने में बड़ी आर्थिक भूमिका भी निभाई. आज भी बांग्‍लादेश की अर्थव्‍यवस्‍था काफी हद तक भारत पर निर्भर करती है, बावजदू इसके जाने किस मंशा से पड़ोसी देश की सरकार भारत के धुर विरोधियों चीन और पाक का हाथ थाम रही है.

मोहम्‍मद यूनुस की अगुवाई वाली बांग्‍लादेश सरकार ने पिछले कुछ समय से चीन और पाकिस्‍तान से लगातार कई आर्थिक समझौते किए हैं, जबकि भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है. इससे भारत में नाराजगी बढ़ गई है. भारत का मानना है कि यूनुस का पाकिस्तान और चीन के साथ नजदीकी संबंध बांग्लादेश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरा हो सकता है. भारत ने इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार से भी अपनी चिंता जाहिर की है. भारत ने बांग्लादेश को यह साफ संदेश दिया है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखे और किसी भी देश के साथ अत्यधिक नजदीकी से बचे. फिलहाल बांग्‍लादेश ने अभी तक भारत के साथ अपने रिश्‍ते सुधारने पर कोई पहल नहीं है.

भारत ने कसना शुरू कर दिया शिकंजापिछले सप्‍ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस या पड़ोसी देश की ओर से कोई सकारात्‍मक पहल नहीं की गई. इससे नाराज भारत ने पहला कदम उठाते हुए बांग्‍लादेश के व्‍यापार के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दीं. इससे पड़ोसी देश को करीब 6 हजार करोड़ रुपये का झटका लगा है. भारत की ट्रांस-शिपमेंट सुविधा के जरिये बांग्‍लादेश मध्य पूर्व, यूरोप और अन्य देशों को निर्यात करता था. भारत पर इस निर्भरता के बावजूद पिछले दिनों चीन की यात्रा पर गए यूनुस ने हमारे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की आलोचना करते हुए कहा था, हम समुद्र तक पहुंचने के लिए बांग्‍लादेश पर निर्भर हैं.

6.5 हजार किमी सीमा से सहयोग देता है भारतचीन में यूनुस के इस बयान पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़ा जवाब दिया. उन्‍होंने कहा कि भारत 6.5 हजार किलोमीटर लंबे तटरेखा और बंगाल की खाड़ी के जरिये BIMSTEC देशों को सहयोग देता है. हमारे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विशेष रूप से BIMSTEC के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों, ग्रिड और पाइपलाइनों का विस्तृत नेटवर्क है.

70 हजार करोड़ के बिजनेस पर असरबांग्‍लोदश ऐसे समय में भारत के साथ पंगे ले रहा है जबकि हम उसके सबसे बड़े व्‍यापारिक साझेदारी हैं. भारत और बांग्‍लादेश के बीच 8 अरब डॉलर (70 हजार करोड़ रुपये) का कारोबार होता है. इसके अलावा ढाका अपने विकास और स्थिरता के लिए काफी हद तक विदेशी धन पर निर्भर करता है. अब भारत-विरोधी भावना के बीच दोनों देशों की सीमा बंद होने, कस्टम क्लियरेंस की समस्याओं और बढ़ी हुई सुरक्षा निगरानी के कारण व्यापार में गिरावट आ रही है.

हजारों करोड़ के प्रोजेक्‍ट भी अटकेदोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं को भी रोक दिया गया है और पिछले साल जून से सार्वजनिक परिवहन भी निलंबित है. इससे न केवल सीमा पार सामान भेजने वाले व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि भारत में इलाज कराने के इच्छुक बांग्लादेशियों के लिए भी चुनौतियां पैदा हो गई हैं. वैसे तो यूनुस कई बार कह चुके हैं कि भारत के साथ बुनियादी संबंधों में कोई समस्या नहीं है, लेकिन दूसरी तरफ अपनी अर्थव्‍यवस्‍था में आ रही मुश्किलों के लिए भारत को दोषी भी ठहरा रहे हैं. यह बताता है कि उनके कदम का व्‍यापारिक असर निश्चित रूप से पड़ा है.

सहयोग और विरोध दोनों साथ नहींबांग्‍लादेश सरकार और यूनुस खान एक तरफ तो दुनिया को बता रहे कि उनके भारत के साथ बुनियादी संबंध हैं, जिन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. दूसरी तरफ, भारत का विरोध भी जारी है. इस कड़ी में बांग्‍लादेश ने पाकिस्‍तान से जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान खरीदने की मंशा जताई है, जिसे चीन के साथ मिलकर बनाया गया है. बांग्‍लादेश को समझना होगा कि उसकी ज्‍यादातर सीमाएं भारत से घिरी हुई हैं और सिर्फ दक्षिणी सीमा पर बंगाल की खाड़ी है. अगर बांग्‍लादेश ने अपना रवैया नहीं सुधारा तो मजबूरन भारत को सख्‍ती दिखानी होगी और यह कहना गलत नहीं होगा कि बांग्‍लादेश की मौजूदा अर्थव्‍यवस्‍था इस कदम को झेल नहीं पाएंगी. विदेश मंत्री जयशंकर ने दो टूक बता भी दिया है कि अब बांग्लादेश को तय करना होगा कि वह भारत के साथ किस तरह के संबंध रखना चाहता है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 14, 2025, 10:27 ISThomebusinessखुदकुशी पर आमादा है बांग्‍लादेश! भारत ने कसा शिकंजा तो हो जाएगा बर्बाद

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