नई दिल्ली. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ (Moody’s Ratings) ने 20 मई को जारी अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया है कि भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में आ रहे बदलावों का लाभ मिल सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन से मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को हटाकर अन्य देशों में स्थानांतरित करने की जो रणनीति कंपनियों ने अपनाई है, उसका सबसे ज़्यादा फायदा भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों को मिलेगा. मूडीज़ ने इसे “चाइना+1” रणनीति कहा है, जिसके तहत कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता घटाकर अन्य विकल्प तलाश रही हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भारतीय बंदरगाहों की गतिविधियों में तेज़ी आ सकती है. जैसे-जैसे कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाती हैं, वैसे-वैसे एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का दबाव बढ़ेगा, जिससे पोर्ट्स को सीधा आर्थिक लाभ होगा. इससे न सिर्फ लॉजिस्टिक्स सेक्टर को बल मिलेगा बल्कि रोजगार, निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में भी गति आएगी.
चीन के बंदरगाहों पर दबाव, भारत के लिए अवसर
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में चीनी बंदरगाहों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है, हालांकि फिलहाल उनके पास इतने संसाधन हैं कि वे तात्कालिक दबाव झेल सकें. दूसरी ओर भारत के बंदरगाह नई संभावनाओं के केंद्र बन सकते हैं. नीति आयोग और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाएं पहले से ही विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं. अब जब वैश्विक कंपनियां चीन के विकल्प तलाश रही हैं, तो भारत उनकी प्राथमिक सूची में है.
भारत को अमेरिकी टैरिफ से कम असर
मूडीज़ ने यह भी बताया है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) का भारत पर अपेक्षाकृत कम असर पड़ेगा. भारत का अमेरिका के साथ व्यापारिक एक्सपोजर सीमित है और उसके एक्सपोर्ट्स विविध हैं. इसके अलावा भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत है, जिससे वह वैश्विक दबावों को झेल सकता है.
भारत की कुल GDP में घरेलू मांग का बड़ा योगदान है, और यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी अस्थिरता का असर भारत की आर्थिक वृद्धि पर उतना गहरा नहीं पड़ता जितना अन्य विकासशील देशों पर होता है.
2025 के लिए ग्रोथ अनुमान में कटौती
हालांकि मूडीज़ ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2025 के लिए घटाकर 6.3% कर दिया है, जो पहले 6.7% था. इसके पीछे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और क्षेत्रीय तनाव बड़ी वजह बताए गए हैं. लेकिन एजेंसी को उम्मीद है कि 2026 में भारत की ग्रोथ दर बढ़कर 6.5% हो जाएगी, जो मिड टर्म में भारत की सकारात्मक आर्थिक दिशा को दर्शाता है.
भारत-पाक तनाव से निवेश पर असर
रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव विदेशी निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं. मूडीज़ ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र किया है, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी. यह हमला पिछले तीन दशकों में सबसे भयानक माना जा रहा है और इससे क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बन सकता है.
मूडीज़ की यह रिपोर्ट भारत के लिए दो संदेश लेकर आई है. पहला, यह कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन से बड़ा फायदा मिल सकता है, खासकर उसके बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में. दूसरा, यह कि क्षेत्रीय अस्थिरता और वैश्विक व्यापारिक तनावों से सतर्क रहने की ज़रूरत है. सरकार और नीति निर्माताओं के लिए यह एक अवसर भी है और चेतावनी भी. यदि भारत अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेड पॉलिसीज और सुरक्षा पर ध्यान दे, तो वह न सिर्फ चीन का विकल्प बन सकता है, बल्कि वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर भी सकता है.
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