Last Updated:June 05, 2025, 18:03 ISTभारत अब ड्राई कार्गो जहाज बनाने में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. चीन और नीदरलैंड से पीछे, भारत ने 14 जहाज बनाए हैं. सरकार की नीतियों और आत्मनिर्भर भारत स्कीम ने इसे बूस्ट दिया है.शिपबिल्डिंग में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.हाइलाइट्सभारत ड्राई कार्गो जहाज बनाने में तीसरे नंबर पर पहुंचा.सरकार की नीतियों और आत्मनिर्भर भारत स्कीम ने बूस्ट दिया.2033 तक जहाज निर्माण इंडस्ट्री 8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद.भारत अब समुद्र में धाक जमा रहा रहा है. वह अपने लिए ही नहीं, दुनिया के लिए जहाज बनाने लगा है. इस मामले में उसने अमेरिका-यूरोप जैसे बड़े-बड़े देशों को भी पीछे छोड़ दिया है. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत अब ड्राई कार्गो जहाज बनाने में दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है, जो खास तौर पर यूरोप के छोटे समुद्री रास्तों के लिए बनाए जाते हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर चीन है, फिर नीदरलैंड, और अब तीसरे नंबर पर हमारा भारत है. पोर्ट शिपिंग और वाटरवेज मिनिस्टर सर्वानंद सोनोवाल ने खुद यह जानकारी शेयर की है.
भारत ने 381 जहाजों में से 14 जहाज बनाए हैं, जिनका वजन 73,200 टन है. ये जहाज यूरोप में छोटे समुद्री रास्तों के लिए इस्तेमाल होते हैं. तुलना करें तो चीन ने 33 जहाज बनाए, जिनका वजन 2,35,050 टन है और नीदरलैंड ने 63 जहाज बनाए. भारत का तीसरे नंबर पर आना दिखाता है कि हम अब इस फील्ड में कितने सिरियस प्लेयर हो गए हैं. भारत का जहाज निर्माण उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और इसे बड़ा सपोर्ट मिल रहा है. 2024 में इस इंडस्ट्री की वैल्यू 1.12 बिलियन डॉलर थी. 2033 तक इसके 8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. सरकार की शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस पॉलिसी और आत्मनिर्भर भारत जैसी स्कीम्स ने इसे बड़ा बूस्ट दिया है. इसका मकसद है कि भारत दुनिया के कार्गो वॉल्यूम में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए।
ये इतनी बड़ी बात क्यों है?भारत हिंद महासागर के ठीक बीच में है. समुद्र के रास्ते से दुनिया का ज्यादातर व्यापार होता है और भारत की ये पोजीशन उसे बहुत ताकत देती है. जहाज बनाने की ताकत बढ़ने से भारत अब न सिर्फ अपने लिए जहाज बना सकता है, बल्कि दुनिया को बेच भी सकता है. खास बात ये है कि दुनिया के बड़े जहाज बनाने वाले देशों में अब जगह की कमी हो रही है, और भारत इस मौके को भुनाने की कोशिश कर रहा है. इससे न सिर्फ पैसा आएगा, बल्कि समुद्र में हमारी ताकत भी बढ़ेगी. कल को हमें अपनी नेवी के लिए भी जहाज बनाने हों, तो हम किसी और पर निर्भर नहीं रहेंगे.
India’s shipbuilding ambitions are no longer just on paper, they are taking shape in shipyards and recognised globally.
As per latest data, India now ranks 3rd in building general dry cargo vessels for the European short sea trade – a leap powered by Hon’ble PM Shri… pic.twitter.com/8v4zI5Jknb
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) June 5, 2025
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