Last Updated:April 06, 2025, 17:52 ISTभारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री एशिया में सबसे तेज रफ्तार पर है, मार्च 2025 में PMI 58.1 पर रहा. भारत ने इंडोनेशिया और चीन को पीछे छोड़ते हुए जी-20 में भी टॉप पोजिशन बनाई है. यह ग्रोथ घरेलू डिमांड और सरकार की…और पढ़ेंहाइलाइट्सभारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री एशिया में सबसे तेज रफ्तार पर है.भारत का PMI मार्च 2025 में 58.1 पर रहा, एशिया में सबसे ऊंचा.भारत ने इंडोनेशिया और चीन को पीछे छोड़ते हुए जी-20 में टॉप पोजिशन बनाई.नई दिल्ली. भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री इस वक्त एशिया की सबसे तेज रफ्तार पर है. मार्च 2025 में भारत का Manufacturing PMI (Purchasing Managers’ Index) 58.1 पर रहा, जो पूरे एशिया में सबसे ऊंचा आंकड़ा है. इंडोनेशिया (52.4) और चीन (51.2) जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए भारत ने न सिर्फ एशियाई बल्कि जी-20 देशों में भी टॉप पोजिशन बनाई है. तीन महीने की औसत भी 57.37 रही है, जो बताती है कि यह सिर्फ एक महीने की छलांग नहीं है — बल्कि एक स्थिर ग्रोथ ट्रेंड बनता दिख रहा है.
आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजन हजरा के मुताबिक, “यह सच है कि भारत पिछले कुछ महीनों से न सिर्फ एशिया, बल्कि जी-20 में भी सबसे तेज मैन्युफैक्चरिंग PMI दिखा रहा है. इसका मतलब है कि इसमें वास्तविक मजबूती है, जो सरकार की नीतियों और सुधारों से जुड़ी है.” उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि इस ग्रोथ के ड्राइवर्स घरेलू और स्ट्रक्चरल हैं, इसलिए यह ट्रेंड ग्लोबल अनिश्चितता के बावजूद टिक सकता है.”
एक्सपोर्ट नहीं, घरेलू सेक्टर्स दे रहे हैं पावरदक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश जहां मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा टेक और एक्सपोर्ट पर निर्भर है, वहीं भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर टेक्सटाइल, ऑटो एंसिलरी और फार्मा जैसे डोमेस्टिकली-कंज्यूम्ड सेक्टर्स पर टिकी है. PL Capital के इकोनॉमिस्ट अर्श मोगरे के मुताबिक, “भारत की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ एक्सपोर्ट्स पर नहीं, बल्कि घरेलू डिमांड पर आधारित है. हमारे यहां मैन्युफैक्चरिंग GVA (Gross Value Added) में एक्सपोर्ट्स का योगदान सिर्फ 12% है, जबकि वियतनाम या ताइवान में यह 45% तक जाता है.”
मोगरे के अनुसार, भारत में मार्च का यह अपसाइकल एक्सपोर्ट-ड्रिवन नहीं रहा — क्योंकि नई एक्सपोर्ट ऑर्डर ग्रोथ तीन महीने के निचले स्तर पर रही. इसका मतलब है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ फिलहाल पूरी तरह देश के अंदर से सपोर्ट पा रही है.
सप्लाई साइड में सुधार से बना अनुकूल माहौलCBNC की रिपोर्ट के अनुसार, सप्लाई चेन से जुड़ी स्थितियां भी भारत के पक्ष में रही हैं — ब्रेंट क्रूड की कीमतें औसतन $74 प्रति बैरल से घटकर $65 के नीचे आ गई हैं, जो अगस्त 2022 के बाद सबसे कम स्तर है. इसके साथ ही, थोक महंगाई में नरमी, बेहतर फ्रेट मूवमेंट और शॉर्टर डिलीवरी टाइम्स ने इनपुट कॉस्ट को काफी कंट्रोल में रखा है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 06, 2025, 17:52 ISThomebusinessभारत ने चीन समेत पूरे एशिया को छोड़ा पीछे, जी-20 देशों से भी निकला आगे
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