Last Updated:May 19, 2025, 14:38 ISTभारत की कृषि में फल, सब्ज़ियां और मसाले प्रमुख हैं. FY24 में केला और मिर्च का योगदान सबसे ज़्यादा रहा. दालों की हिस्सेदारी घटने पर ‘आत्मनिर्भर दाल मिशन’ शुरू हुआ.हाइलाइट्सकेला और मिर्च का FY24 में कृषि में बड़ा योगदान.केले की हिस्सेदारी फलों के उत्पादन में 10.7% हुई.FY24 में मसालों का निर्यात $36.8 अरब तक पहुंचा.नई दिल्ली. भारत की कृषि वृद्धि दर ने हाल के वर्षों में नया मोड़ लिया है, जिसमें अब पारंपरिक अनाज की बजाय फल, सब्ज़ियां और मसाले खेती के प्रमुख चेहरे बनते जा रहे हैं. खासतौर पर केला और मिर्च ने खेती की तस्वीर को बदला है. मनीकंट्रोल की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, FY24 में ये दोनों कृषि उत्पाद पिछले एक दशक के मुकाबले सबसे ज़्यादा योगदान देने वाले आइटम्स के रूप में उभरे हैं. यह ट्रेंड सिर्फ घरेलू उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि भारत के कृषि निर्यात को भी नई दिशा दे रहा है.
केला अब सिर्फ एक आम फल नहीं रहा, बल्कि यह भारत के फलों के उत्पादन में सबसे बड़ा हिस्सा लेने वाला उत्पाद बन चुका है. वित्त वर्ष 2023 में केले ने आम को पीछे छोड़ते हुए GDP में सबसे ज़्यादा योगदान देने वाला फल बन गया था. अब FY24 में इसका वर्चस्व और बढ़ गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, फलों और सब्ज़ियों के कुल उत्पादन में केले की हिस्सेदारी 10.7% हो गई है, जबकि FY23 में यह 10.5% और FY12 में महज़ 9% थी. यह दिखाता है कि कैसे किसान अब लाभदायक और निर्यात योग्य फसलों की ओर बढ़ रहे हैं.
मसाले: मिर्च ने पकाई कामयाबी की रेसिपी
केले की तरह ही मसालों में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. खासकर मिर्च की खेती में लगातार वृद्धि हुई है. FY24 में मसाले और कंडिमेंट्स का कुल खाद्य उत्पादन में योगदान 5.9% रहा, जिसमें से अकेले मिर्च का हिस्सा 22% था. यह आंकड़ा महामारी से पहले 19% था. FY19 से मसालों ने दालों को पीछे छोड़ दिया है, जो भारत की बदलती कृषि प्राथमिकताओं को दर्शाता है.
दालों की गिरावट और सरकारी जवाब
FY24 में दालों का कुल योगदान गिरकर 4.68% पर आ गया, जो पिछले आठ वर्षों का न्यूनतम स्तर है. FY23 में यह आंकड़ा 5.08% था. दालों की गिरती हिस्सेदारी के साथ-साथ कीमतों में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. FY25 के ज़्यादातर महीनों में दालों की महंगाई डबल डिजिट में रही, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ा. इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने FY25 में ‘आत्मनिर्भर दाल मिशन’ शुरू किया है, ताकि देश में दालों का उत्पादन फिर से मजबूत हो सके.
निर्यात में लगी उड़ान
भारत की कृषि नीतियों का असर निर्यात के मोर्चे पर भी साफ़ दिखता है. FY18 में जहां मसालों का निर्यात $27.6 अरब था, वहीं FY24 में यह 37% बढ़कर $36.8 अरब हो गया. केवल FY25 के पहले 11 महीनों में ही इसमें 3% की और वृद्धि दर्ज की गई है. इससे यह साफ है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मसालों की मांग तेजी से बढ़ी है.
केले का कमाल
केला निर्यात में तो और भी बड़ा उछाल देखा गया है. FY18 से FY24 के बीच केले के निर्यात में 391% की बढ़त दर्ज की गई. FY25 के अप्रैल से फरवरी तक के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान केला निर्यात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30% ऊपर रहा. इस अवधि में भारत के कुल $879 मिलियन के फल व्यापार में अकेले केले का हिस्सा 40% रहा, जो इसकी आर्थिक उपयोगिता को दर्शाता है. भारत की कृषि अब सिर्फ अनाज उत्पादन तक सीमित नहीं रह गई है. बदलती मांग, निर्यात अवसर और सरकारी नीतियों के चलते फल, सब्ज़ियां और मसाले भारत के ग्रामीण अर्थतंत्र में नई ऊर्जा भर रहे हैं.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessकैसे इंडिया की इकोनॉमी को भी ताकत दे रहा केला, मिर्च लगा रही तड़का
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