महंगाई ने निचोड़ा तो धीमा पड़ा फैक्ट्रियों का चक्का, RBI पर ब्याज दर घटाने को अब दोगुना दबाव

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नई दिल्ली. भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नवंबर का महीना काफी अहम रहा. फैक्ट्री गतिविधियों की रफ्तार हालांकि धीमी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद उत्पादन और निर्यात की स्थिति मजबूत रही. महंगाई के दबाव और मांग में थोड़ी कमी ने इस सुस्ती को और बढ़ाया. HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अक्टूबर में 57.5 से घटकर नवंबर में 56.5 पर आ गया. हालांकि यह 50 के स्तर से ऊपर बना रहा, जो यह दर्शाता है कि गतिविधियों में अभी भी वृद्धि हो रही है. बता दें कि यह इंडेक्स फैक्ट्री गतिविधियों को मापने का एक तरीका है.

नवंबर में महंगाई दर ने 14 महीने का उच्चतम स्तर छू लिया, जो 6.21 फीसदी थी. बढ़ती लागत ने फैक्ट्रियों को अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर मजबूर किया. खासतौर पर रसायन, कपास, चमड़ा, और रबर जैसी वस्तुओं के उत्पादन की लागत में तेज बढ़ोतरी हुई. इसका असर यह हुआ कि इनपुट और आउटपुट दोनों कीमतों में इजाफा हुआ. कुछ ही दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरों पर फैसला लेना है. एक तरफ सरकार चाहती है कि लोन सस्ता हो और दूसरी तरफ इस ताजा आंकड़े ने भी आरबीआई के पॉलिसी मेकर्स पर ब्याज दरें घटाने का दबाव डाला होगा.

निर्यात ने संभाली स्थितिनिर्यात के मोर्चे पर भारतीय उत्पादों की मजबूत मांग बनी रही. निर्यात के नए ऑर्डर जुलाई के बाद सबसे तेज गति से बढ़े. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय वस्त्र और औद्योगिक उत्पादों को अच्छी मांग रही, जिससे कुल उत्पादन को सहारा मिला. HSBC के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने कहा, “मजबूत अंतरराष्ट्रीय मांग ने भारतीय निर्माण क्षेत्र की वृद्धि को मजबूती दी है.” उत्पादन बढ़ाने के लिए फैक्ट्रियां नई नियुक्तियां कर रही हैं, लेकिन रोजगार दर अक्टूबर की तुलना में धीमी रही.

आरबीआई की भूमिका और चुनौतियांमहंगाई का स्तर आरबीआई की 2-6 फीसदी की लक्ष्य सीमा को पार कर गया है, जिससे दिसंबर में ब्याज दर में कटौती की संभावना कम हो गई. अब विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि ब्याज दर में बदलाव अगले साल की शुरुआत में होगा. लेकिन इसके उलट, यदि उत्पादन धीमा होता है और ब्याज दरें ज्यों की त्यों बनी रहती हैं तो भी इकॉनमी के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा. इसी के चलते भारतीय सरकार के मंत्री कह चुके हैं कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरें घटानी चाहिएं. फिलहाल, आरबीआई दो पाटन के बीच में फंसा है. उसे महंगाई को भी घटाना है और साथ ही फैक्ट्रियों में चक्के को चलायमान भी रखना है, ताकि रोजगार भी प्रभावित न हों.
Tags: Economic growth, Manufacturing and exports, Manufacturing sectorFIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 13:43 IST

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