Agency:आईएएनएसLast Updated:February 15, 2025, 07:31 ISTभारत का ई-वेस्ट 6 बिलियन डॉलर की कमाई का अवसर प्रदान कर रहा है. 2024 में ई-वेस्ट 3.8 एमएमटी हो गया है। केवल 16 प्रतिशत ई-वेस्ट फॉर्मल रिसाइक्लर द्वारा प्रोसेस होता है.भारत के ई-वेस्ट का केवल 40 प्रतिशत ही हैंडल करने की उम्मीद है.हाइलाइट्सभारत का ई-वेस्ट 6 बिलियन डॉलर की कमाई का अवसर है.2024 में ई-वेस्ट 3.8 एमएमटी हो गया है.केवल 16 प्रतिशत ई-वेस्ट फॉर्मल रिसाइक्लर द्वारा प्रोसेस होता है.नई दिल्ली. भारत का ई-वेस्ट एक बड़ा आर्थिक अवसर उपलब्ध करा रहा है. मेटल एक्सट्रैक्शन के जरिए रिकवर किए जाने वाले मटीरियल से भारत के 6 बिलियन डॉलर (₹520,674,000,000) की कमाई होने की संभावना का दावा एक रिपोर्ट में किया गया है. भारत अब चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक है. रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का ई-वेस्ट वित्त वर्ष 2014 में 2 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) से दोगुना होकर वित्त वर्ष 2024 में 3.8 एमएमटी हो गया है, जो शहरीकरण और बढ़ती आय के कारण हुआ है.
मुख्य रूप से घरों और व्यवसायों द्वारा उत्पन्न कंज्यूमर सेगमेंट ने वित्त वर्ष 2024 में कुल ई-वेस्ट का लगभग 70 प्रतिशत योगदान दिया. ई-वेस्ट उत्पादन में एक बड़ा ट्रेंड मटीरियल की तीव्रता में बदलाव है. जबकि उपकरण अधिक कॉम्पैक्ट और हल्के होते जा रहे हैं. त्यागे गए सामानों की मात्रा बढ़ रही है, जिससे कुशल रीसाइक्लिंग रणनीतियों की आवश्यकता होती है.
भारत के लिए बड़ा मौकारेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के पार्टनर जसबीर एस. जुनेजा ने कहा, “आने वाले वर्षों में ई-वेस्ट की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है. ई-वेस्ट में मेटल का बढ़ता मूल्य भारत के लिए रिकवरी दक्षता बढ़ाने और खुद को सस्टेनेबल मेटल एक्सट्रैक्शन में लीडर के रूप में स्थापित करने का एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है.” वर्तमान में, भारत में कंज्यूमर ई-वेस्ट का केवल 16 प्रतिशत फॉर्मल रिसाइक्लर द्वारा प्रोसेस किया जाता है. वित्त वर्ष 2035 तक फॉर्मल रिसाइकलिंग सेक्टर में 17 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि के अनुमानों के बावजूद, इसके द्वारा भारत के ई-वेस्ट का केवल 40 प्रतिशत ही हैंडल करने की उम्मीद है.
इस सेक्टर को अनौपचारिक प्लेयर्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जो कम अनुपालन लागत और व्यापक संग्रह नेटवर्क का लाभ उठाते हैं. इस बीच, 10-15 प्रतिशत ई-वेस्ट घरों में स्टोर रहता है और 8-10 प्रतिशत लैंडफिल में समाप्त हो जाता है, जिससे रिसाइकलिंग दक्षता कम हो जाती है. एक सस्टेनेबल ई-वेस्ट मैनेजमेंट इकोसिस्टम बनाने के लिए, भारत सरकार ने एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) फ्रेमर्क पेश किया है. ईपीआर तब से उत्पादकों के लिए परिभाषित संग्रह लक्ष्यों के साथ एक अनिवार्य प्रणाली में विकसित हुआ है. हालांकि, कम न्यूनतम ईपीआर शुल्क और अपर्याप्त औपचारिक रीसाइक्लिंग क्षमता के कारण अंतराल बने हुए हैं.
मेटल आयात हो सकता है कमफॉर्मल रीसाइक्लिंग नेटवर्क को मजबूत करना मेटल रिकवरी रेट में सुधार और रिटर्न को अधिकतम करने की कुंजी है. इससे भारत की मेटल आयात मांग में 1.7 बिलियन डॉलर तक की कमी आ सकती है, जबकि हाई-वैल्यू रिसाइकल्ड मेटल की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित हो सकती है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 15, 2025, 07:31 ISThomebusinessकचरे में छिपा है ‘खजाना’, हो सकती है ₹520,674,000,000 कमाई, जानिए कैसे
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