नई दिल्ली. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) इंडेक्स 2025 में पहली बार टॉप 100 में जगह बना ली है. 167 देशों की सूची में भारत 99वें स्थान पर पहुंच गया है, जिसकी स्कोरिंग 67 रही. यह बीते साल की 109वीं रैंकिंग से एक बड़ी छलांग है. लेकिन यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक कहानी है—गांवों में सौर ऊर्जा से जगमगाते घर, महिलाओं की साझेदारी से मजबूत होती ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राज्यों की नई सोच ने इस उपलब्धि की नींव रखी है.भारत की इस सफलता में सबसे बड़ी भूमिका उन ग्रामीण इनोवेशन की है, जिन्हें स्थानीय लोगों ने मिलकर साकार किया. राजस्थान के सूखे इलाकों में सौर्य ऊर्जा जैसे स्टार्टअप ने IoT आधारित सिंचाई सिस्टम लगाए, जिससे फसलें बेहतर होने लगीं और पानी की बचत भी हुई. उत्तर प्रदेश की सुनीता देवी जैसी महिलाएं, जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हैं, माइक्रो फाइनेंस के जरिए खुद का व्यवसाय चला रही हैं. बिहार में जल जीवन मिशन ने गांवों को साफ पानी उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभाई है. ये वो कहानियां हैं जो भारत की स्थायी प्रगति का आधार बन रही हैं.
राज्यों की नीतियों का असर
भारत की संघीय व्यवस्था ने राज्यों को SDG लक्ष्यों के हिसाब से अपनी रणनीति बनाने की छूट दी है. नीति आयोग के 2023-24 SDG इंडिया इंडेक्स में केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु शीर्ष पर रहे. केरल की शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश ने शिशु मृत्यु दर घटाई और साक्षरता दर बढ़ाई. बिहार में सोलर स्कूल और झारखंड में स्वच्छता अभियान जैसे प्रयास भी धीरे-धीरे अंतर पाट रहे हैं. गुजरात के सौर ऊर्जा पार्क भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा का 14% योगदान देते हैं.
विकेंद्रीकरण बना ताकत
जहां नॉर्डिक देश जैसे फिनलैंड (1st, स्कोर 86.4) और स्वीडन (2nd, स्कोर 85.7) सेंट्रल प्लानिंग मॉडल अपनाते हैं, भारत का विकेंद्रीकृत मॉडल अलग है. महाराष्ट्र में वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में बायो डायवर्सिटी संरक्षण जैसे प्रयास स्थानीय समाधान की ताकत दिखाते हैं. चीन (49वीं रैंक) जैसे देशों की तुलना में भारत का मॉडल ज्यादा लचीला और विविध है.
अब भी बाकी हैं चुनौतियां
हालांकि भारत की यह उपलब्धि सराहनीय है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. लैंगिक समानता में भारत पीछे है—महिलाओं की श्रम भागीदारी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अंतर है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट और जल गुणवत्ता जैसी पर्यावरणीय समस्याएं भी चुनौती बनी हुई हैं. फिर भी, भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम इन बाधाओं को पार करने की क्षमता रखता है. AI आधारित हेल्थटेक और ग्रीन टेक कंपनियां समाधान के नए रास्ते खोल रही हैं.
विश्व के लिए एक उदाहरण
भारत की सफलता सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि विकासशील देशों—विशेषकर अफ्रीका और दक्षिण एशिया के लिए एक प्रेरणा है. नेशनल सोलर मिशन जैसी नीतियां और ग्राम-राज्य समन्वय का मॉडल दिखाता है कि सीमित संसाधनों में भी वैश्विक लक्ष्यों की पूर्ति संभव है. भारत अब Fourth International Conference on Financing for Development (सेविले, 30 जून–3 जुलाई) में विकासशील देशों के लिए अधिक SDG फंडिंग की मांग कर सकता है.
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