टैरिफ वॉर से भारत को बड़ा फायदा! सरकार के बचेंगे 1.80 लाख करोड़

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Last Updated:May 07, 2025, 19:09 ISTOil Import : देश के कुल आयात बिल में सबसे ज्‍यादा हिस्‍सेदारी कच्‍चे तेल की होती है. ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चा तेल सस्‍ता होने से अगले एक साल में भारत सरकार के खजाने को 1.80 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्‍चा तेल आयात करता है. हाइलाइट्सभारत को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से 1.80 लाख करोड़ की बचत होगी.भारत अपनी जरूरत का 85% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है.कच्चे तेल की कीमतें 60-70 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान.नई दिल्‍ली. टैरिफ वॉर और व्‍यापार युद्ध से जहां दुनियाभर की अर्थव्‍यवस्‍थाओं को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है, वहीं भारत के 1.80 लाख करोड़ रुपये बचने का अनुमान लगाया जा रहा है. ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी इक्रा ने इस बारे में रिपोर्ट जारी कर बाकायदा जानकारी दी है. एजेंसी का कहना है कि टैरिफ वॉर, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्‍चे तेल की कीमतों में नरमी बनी हुई है. ब्रेंट क्रूड का भाव तो 60 डॉलर से भी नीचे चला गया है. इससे पहले कोरोनाकाल में कीमत 30 डॉलर तक चली गई थी, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय भी इसमें काफी उतार-चढ़ाव आया था. अब अंतरराष्‍ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने आगे भी क्रूड की कीमतें नरम रहने का अनुमान लगाया है.

रेटिंग एजेंसी ने बताया कि भारत को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा दरों में नरमी का रुख जारी रहने पर कच्चे तेल और एलएनजी के आयात पर 1.8 लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक और उपभोक्ता है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से अधिक कच्‍चा तेल आयात करता है. वित्तवर्ष 2024-25 में भारत ने विदेशों से कच्चा तेल खरीदने पर 242.4 अरब डॉलर खर्च किए थे. भारत के आयात बिल में सबसे ज्‍यादा हिस्‍सेदारी कच्‍चे तेल की ही रहती है.

एलएनजी के लिए भी आयातभारत में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की मांग का लगभग आधा हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा होता है. इस मद में पिछले वित्‍तवर्ष आयात पर 15.2 अरब डॉलर खर्च किए गए है. मांग के मोर्चे पर अनिश्चितता के बीच वैश्विक आपूर्ति बढ़ने के अनुमान के कारण इस सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें चार साल के निचले स्तर 60.23 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं.

आगे कितनी रहेगी कीमतरेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि वित्तवर्ष 2025-26 में भी कच्चे तेल की औसत कीमत 60-70 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहने का अनुमान है. इस स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों की कमाई वित्त वर्ष 2025-26 में 25,000 करोड़ रुपये रह सकती है. एजेंसी ने यह अनुमान भी लगाया गया कि चालू वित्तवर्ष में कच्चे तेल के आयात पर 1.8 लाख करोड़ रुपये और एलएनजी के आयात पर 6,000 करोड़ रुपये की बचत संभव है.

भारत का आयात बिल कितनाभारत के कुल आयात बिल में कच्‍चे तेल की हिस्‍सेदारी 25 फीसदी से भी ज्‍यादा रहती है. वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय निर्यात (माल और सेवाएं) 820.93 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.5% की वृद्धि दर्शाता है. इस दौरान कुल अनुमानित आयात 915.19 अरब डॉलर था और इस अवधि के दौरान व्यापार घाटा 94.26 अरब डॉलर था. इस आयात बिल में करीब सवा 200 अरब डॉलर का बिल कच्‍चे तेल का था.
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