Last Updated:June 28, 2025, 09:46 ISTभारत ने जनवरी से अप्रैल 2025 की अविध में अमेरिका से 6.31 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा. पिछले साल इसी अवधि में आयात केवल 1.69 मिलियन टन था. वहीं, भारत रूस से भी कच्चा तेल और हथियार खरीदा रहा है, जिनमें एस 400 प्रम…और पढ़ेंभारत अब अपनी आर्थिक नीति का इस्तेमाल रणनीति बढत लेने को कर रहा है. हाइलाइट्सभारत ने अमेरिका से सालाना आधार पर 270 फीसदी ज्यादा तेल खरीदा.भारत के लिए कच्चे तेल आयात का नया विकल्प बन रहा है अमेरिका.रूस के साथ भारत सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है.नई दिल्ली. भारत अब अपनी अर्थव्यवस्था, आर्थिक नीति और बाजार को हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगा है. एक तरफ जहां वह रूस से सैन्य साज्जो-सामान खरीदकर अपनी दोस्ती पक्की कर रहा है, वहीं अमेरिका से धड़ाधड़ कच्चा तेल खरीदकर संबंधों को मजबूत कर रहा है. भारत ने रूस से 2018 में एस-400 के पांच स्क्वाड्रन की 40 हजार करोड़ रुपये की डील की थी. भारत को 3 स्क्वाड्रन मिल गए हैं. दूसरी ओर भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात भी बढ़ा दिया है. साल 2025 के पहले चार महीनों में भी भारत ने सालाना आधार पर अमेरिका से 270 फीसदी ज्यादा कच्चा तेल खरीदा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने और अमेरिकी व्यापार घाटे को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है. ऐसा होने पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में भारत बेहतर तरीके से ट्रंप से मोल-भाव कर पाएगा.वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जनवरी से अप्रैल 2025 की अविध में अमेरिका से 6.31 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा. पिछले साल इसी अवधि में आयात केवल 1.69 मिलियन टन था. इस उछाल के साथ ही भारत के कुल तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 7 फीसदी हो गई है. 2024 की समान अवधि में यह केवल 2 फीसदी थी.
अमेरिका से आयात 63 फीसदी बढ़ा
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में भारत का कुल आयात 19 फीसदी बढ़ा, लेकिन अमेरिका से आयात में 63 फीसदी का इजाफा हुआ है. अप्रैल 2024 में अमेरिका से आयात 3.20 अरब डॉलर था, जो अप्रैल 2025 में उछलकर 5.24 अरब डॉलर हो गया. इसका असर भारत के अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस भी पड़ा है. भारत का अमेरिका के साथ माल व्यापार अधिशेष घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गया, जो पहले 3.4 अरब डॉलर था.
ट्रेड डील के लिए बातचीत कर रहे हैं दोनों देश
भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई तक संभावित व्यापार समझौते की तैयारी हो रही है, जिसमें भारत को अमेरिका से आयात बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाने हैं. संभावित समझौते के तहत भारत अपने बाजार को अमेरिकी कारों, रक्षा उपकरणों और कृषि उत्पादों के लिए और अधिक खोल सकता है.
एक रणनीतिक कदम
पश्चिम एशिया में अस्थिरता को देखते हुए अमेरिका जैसे अन्य स्रोतो से तेल खरीदना भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. भारत अपनी कुल खपत का कच्चे तेल का 88% आयात पूरी करता है. ऐसे में वैकल्पिक स्रोतों का होना उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत को अमेरिकी एनर्जी का प्रमुख ग्राहक बनाने की बात कह चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका, भारत के लिए प्रमुख तेल और गैस आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में काम कर रहा है.
भारत के लिए फायदे का सौदा
भारत अमेरिका से तेल आयात एक रणनीति के तहत ही बढ़ा रहा है. इससे जहां भारत को ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिल रही है, वहीं अमेरिका की व्यापार संतुलन संबंधी चिंताओं का भी काफी हद तक समाधान हो रहा है. जानकारों के मुताबिक, अमेरिकी तेल की खरीद में इजाफा भारत को अन्य कच्चा तेल आपूर्ति करने वाले देशों से बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में लाता है. इससे वे भारत को प्रतिस्पर्धी दरों पर तेल देने के लिए मजबूर हो सकते हैं.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessएस-400 रूस से, कच्चा तेल अमेरिका से, कैसे आर्थिक नीति को हथियार बना रहा भारत
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