आईटीआर भरने में हुई गलती तो पड़ जाएंगे लेने के देने, जुर्माना लगेगा 200 परसेंट, कैसे बचें?

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नई दिल्ली. जिन टैक्सपेयर्स के लिए असेसमेंट ईयर 2025–26 (वित्त वर्ष 2024–25) की टैक्स फाइलिंग डेडलाइन बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई है, उनमें से कई ने फॉर्म 16 मिलने के बाद अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना शुरू कर दिया है. लेकिन टैक्स एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर ITR में कोई गलत या गुमराह करने वाला दावा किया गया, तो टैक्स कानून के तहत जुर्माना 200% तक लगाया जा सकता है.

टैक्स एक्सपर्ट संदीप सहगल (पार्टनर – टैक्स, AKM Global) के मुताबिक, “इनकम छुपाना, झूठे डिडक्शन या एक्सेम्प्शन क्लेम करना या गलत जानकारी देना इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 270A के तहत गंभीर उल्लंघन है. यदि कोई व्यक्ति गलती से कम इनकम रिपोर्ट करता है, तो उस पर टैक्स का 50% जुर्माना लग सकता है. लेकिन अगर जानबूझकर गलत जानकारी दी गई है, जैसे नकली रेंट रसीद, बिना आधार के डिडक्शन या क्रिप्टो या फ्रीलांस इनकम को न बताना तो यह ‘misreporting’ माना जाएगा, और उस पर टैक्स का 200% तक जुर्माना लग सकता है.”

क्या-क्या आता है ‘Misreporting’ में?

इनकम को छुपाना या रिपोर्ट नहीं करना

फर्जी बिल या रसीद दिखाना

बिना सबूत के धारा 80C या धारा 10 के तहत छूट लेना

क्रिप्टो, गिग वर्क या विदेशी इनकम को रिपोर्ट नहीं करना

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 271AAD के तहत, यदि असेसमेंट के दौरान कोई फर्जी या छूटी हुई एंट्री पाई जाती है, तो उस पर बराबर की राशि का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

सीए की गलती भी बचाव नहीं है

अगर आपका रिटर्न कोई टैक्स कंसल्टेंट या चार्टर्ड अकाउंटेंट भरता है और गलती करता है, तो भी कानून आपको ही जिम्मेदार मानेगा. “कानून के अनुसार जवाबदेही टैक्सपेयर की होती है, न कि रिटर्न तैयार करने वाले की,” सहगल ने बताया.

ब्याज और सजा का भी खतरा

गलत जानकारी देने पर सिर्फ जुर्माना ही नहीं, बल्कि टैक्स की बकाया राशि पर धारा 234B और 234C के तहत ब्याज भी देना पड़ सकता है. अगर केस गंभीर हुआ तो टैक्स डिपार्टमेंट अभियोजन (prosecution) की कार्रवाई भी कर सकता है.

कैसे बचें इन सब परेशानियों से?

टैक्सपेयर्स को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

अपनी सभी इनकम सही और पूरी रिपोर्ट करें

सही ITR फॉर्म का चुनाव करें

सभी डिडक्शन और छूट के लिए वैध दस्तावेज संभालकर रखें

अगर कोई गलती हो जाए, तो समय रहते अपडेटेड या रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करें. संदीप सहगल कहते हैं, “किसी भी तरह की पेनल्टी से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि आप सही और प्रमाणिक जानकारी दें. अगर रिटर्न फाइल करने के बाद कोई गलती का पता चले, तो रिवाइज्ड रिटर्न भरकर स्थिति को सुधारना जरूरी है.”

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