नई दिल्ली. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान पर ऐसा नियम ठोक दिया है कि उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई. इस नियम का पालन करना भी पाक के लिए जरूरी है और अगर इसे मानता है तो वहां की जनता, सरकार और उद्योग सभी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. आईएमएफ ने बिना कोई हमदर्दी दिखाते हुए सरकार से औद्योगिक कैप्टिव पावर प्लांट्स (CPPs) को गैस आपूर्ति पर भारी शुल्क लगाने के लिए कहा है. इससे ग्रिड पावर और उनके इन-हाउस बिजली उत्पादन के बीच हो रही मुनाफाखोरी को खत्म किया जा सकेगा.
दरअसल, पाकिस्तान और आईएमएफ ने पिछले साल सितंबर में साइन किए गए $7 बिलियन के विस्तारित फंड सुविधा (EFF) के तहत, पाकिस्तान को एक प्रमुख संरचनात्मक मानक को पूरा करना है. इसमें गया है कि जनवरी 2025 के अंत तक CPPs को गैस की आपूर्ति बंद करना शामिल है, ताकि मार्च में $1 बिलियन की सात किस्तों में से दूसरी किस्त की प्राप्ति के लिए योग्य हो सके. दोनों पक्ष फरवरी के दूसरे हिस्से में पहली द्विवार्षिक समीक्षा के लिए मिलेंगे.
आईएमएफ से हुआ है समझौताआईएमएफ के संप्रभु समझौते में लिखा है कि हम जनवरी 2025 के अंत तक कैप्टिव पावर का उपयोग समाप्त कर देंगे. इस समझौते पर पाकिस्तान के वित्तमंत्री मुहम्मद औरंगजेब और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमीले अहमद ने पिछले साल सितंबर में आईएमएफ के साथ हस्ताक्षर किए थे. यही वजह है कि पाकिस्तान इस समझौते को मानने के लिए बाध्य है.
पाकिस्तान मांग रहा मोहलतपाकिस्तान का पेट्रोलियम विभाग, विशेष रूप से लाहौर स्थित सुई नॉर्दर्न गैस पाइपलाइंस लिमिटेड और वस्त्र निर्यातकों के नेतृत्व वाले प्रभावशाली औद्योगिक क्षेत्र के दबाव में, इस प्रतिबद्धता को उलटने की वकालत कर रहा है. उनका कहना है कि इससे प्रणाली में अतिरिक्त एलएनजी आ रही है, जिससे पूरी एलएनजी आपूर्ति श्रृंखला को भारी नुकसान हो रहा है, इसमें आयातक से लेकर उपभोक्ता तक शामिल हैं. पेट्रोलियम विभाग और गैस कंपनियों के अधिकारियों का दावा है कि सालाना लगभग 50 कार्गो या पांच साल में करीब 250 कार्गो का अधिशेष है. औद्योगिक इकाइयों का कहना है कि गैस-एलएनजी डिस्कनेक्शन की स्थिति में उनकी निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी आ जाएगी.
कितने रुपये बढ़ेगा बोझअधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने आईएमएफ को यह समझाने की कोशिश की कि बिजली ग्रिड की स्थिरता और आपूर्ति में कुछ चुनौतियां हैं. आईएमएफ ने कार्यक्रम के मानक में कोई लचीलापन नहीं दिखाया और इसके बजाय बिजली आपूर्ति की चुनौती की स्थिति में सीपीपी के लिए मौजूदा एलएनजी कीमत पर प्रति यूनिट (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट या mmBtu) 1,700-1,800 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाने का सुझाव दिया है. इससे सीपीपी के लिए गैस की कीमत लगभग 5,000 रुपये प्रति यूनिट हो जाती है, जो कि वैश्विक तेल कीमतों के आधार पर लगभग 2,800 से 3,200 रुपये थी. यह औद्योगिक उपभोक्ताओं को स्वीकार्य नहीं है. वे वैकल्पिक ईंधन पर शिफ्ट होना पसंद करेंगे या फिर यहां तक कि कोयला या पुराने टायर जलाना शुरू कर देंगे.
Tags: Business news, International Monetary Fund, Pakistan big newsFIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 14:02 IST
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