नई दिल्ली. इनकम टैक्स विभाग ने टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ देशव्यापी सख्त कार्रवाई की है. 14 जुलाई को शुरू हुए इस ऑपरेशन में महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में 200 से अधिक जगहों पर छापेमारी की गई. ये सभी छापे उन लोगों और एजेंसियों पर पड़े हैं जिन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न में फर्जी डिडक्शन और छूट का दावा किया था.
जांच में सामने आया कि ITR फाइल करने वाले कुछ एजेंट्स और बिचौलियों ने संगठित तरीके से फर्जी कागजात तैयार कर टैक्स बचाया. फर्जी TDS रिटर्न दाखिल कर अतिरिक्त रिफंड लेने की कोशिश भी सामने आई. टैक्स कानून के विभिन्न सेक्शन्स का गलत इस्तेमाल किया गया. आइए समझते हैं कि कौन-कौन से सेक्शंस का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए हुआ. साथ ही यह भी जानेंगे कि किस तरह से इनका यूज ऐसे अपराध के लिए कर सकते हैं.
सेक्शन 80GGC – राजनीतिक चंदा: फर्जी रसीदें बनाकर राजनीतिक दान का दावा किया जाता है. कुछ लोग नकद में चंदा देकर (जो गैरकानूनी है) या नकली पावती लेकर टैक्स में कटौती करते हैं.
सेक्शन 80E – शिक्षा ऋण पर ब्याज: फर्जी शिक्षा लोन के कागजात बनाकर ब्याज की छूट ली जाती है. असल में लोन न लेकर भी दावा कर लाखों की बचत की जा सकती है.
सेक्शन 80D – स्वास्थ्य बीमा: नकली बीमा पॉलिसी की रसीदें पेश कर प्रीमियम की राशि बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती है. इससे ₹1 लाख तक की छूट झूठे दावे से मिल सकती है.
सेक्शन 80EE, 80EEB – होम लोन/इलेक्ट्रिक व्हीकल: फर्जी लोन एग्रीमेंट्स बनाकर होम लोन पर ₹50,000 या इलेक्ट्रिक व्हीकल लोन पर ₹1.5 लाख की अतिरिक्त छूट ली जाती है, भले ही कर्ज न लिया गया हो.
सेक्शन 80G, 80GGA – चैरिटेबल डोनेशन: नकली चैरिटी रसीदें बनाकर 50% या 100% की छूट हासिल की जाती है. नकद दान (₹2,000 से ज्यादा) का दावा भी गलत तरीके से किया जाता है.
सेक्शन 80DDB – गंभीर बीमारी का खर्च: फर्जी मेडिकल बिल्स या रिपोर्ट्स बनाकर गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च दिखाया जाता है, जिससे ₹1 लाख (या सीनियर सिटीजन के लिए ₹1.5 लाख) की छूट मिलती है.
ये भी पढ़ें- Gold Silver Price Today: सावन में लगातार आग लगा रहा सोना, चांदी का ताप हुआ कम, देखें लेटेस्ट रेट्स
रिश्तेदारों और दोस्तों की ली मदद
इनमें से कई मामलों में लोगों ने अपने रिश्तेदारों या दोस्तों की मदद से फर्जी लेनदेन दिखाए. कुछ मामलों में पूरे रैकेट चल रहे थे जो पैसा लेकर ऐसे फर्जी दस्तावेज बनवाते थे. एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे एजेंट और बिचौलिए ITR फाइलिंग के नाम पर प्रति ग्राहक ₹5,000 से ₹15,000 तक चार्ज करते थे और कई बार टैक्स रिफंड का हिस्सा भी लेते थे. ये फर्जीवाड़ा छोटे कर्मचारियों से लेकर मिड-लेवल प्रोफेशनल्स तक फैला हुआ है.
चोरी पकड़ने के लिए एआई का इस्तेमाल
इनकम टैक्स विभाग अब AI, डेटा क्रॉस वेरिफिकेशन और डिजिटल एनालिटिक्स की मदद से ऐसे मामलों को पहचानने और ट्रैक करने में जुटा है. विभाग अब टैक्स डिडक्शन के हर क्लेम को रियल टाइम में वेरिफाई करने की कोशिश कर रहा है. सिस्टम अब मेडिकल, इंश्योरेंस और दान की रसीदों को सरकारी पोर्टल्स से मैच करता है. विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर कोई टैक्सपेयर्स ऐसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छूट का दावा करता है और पकड़ा जाता है, तो उस पर भारी पेनाल्टी और जेल भी हो सकती है. इनकम टैक्स एक्ट के तहत धोखाधड़ी साबित होने पर जुर्माना के अलावा तीन से सात साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News