रुपये में गिरावट आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगी भारी, क्‍या होगा असर, जानिए

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Last Updated:January 15, 2025, 11:45 ISTRupee Depreciation Impact- रुपये की कमजोरी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी में गिरावट से ईंधन की कीमतों सहित खाने-पीने की चीजें भी महंगी हो सकती हैं.नई दिल्‍ली. भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है. सोमवार, 13 जनवरी 2025 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 58 पैसे गिरकर 86.62 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया. अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में वृद्धि, 10 साल के अमेरिकी बॉंड पर यील्ड में बढ़ोतरी भी, वैश्विक आर्थिक संकट और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने रुपये को कमजोर किया है. विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकासी के कारण भी रुपये पर अतिरिक्त दबाव बढा है. रुपये की कमजोरी का असर व्यापक और बहुआयामी होता है. यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था, व्यापार और निवेश पर गहरा प्रभाव डालता है, बल्कि आम आदमी की आम आदमी की जेब पर भी बोझ बढाता है.

रुपये की कमजोरी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. इंपोर्ट की जाने वाली चीजों की कीमतें बढ़ जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि डॉलर महंगा होने से इंपोर्ट की लागत बढ़ती है. मिसाल के तौर पर, अगर 100 डॉलर कीमत वाली किसी चीज के इंपोर्ट पर पिछले साल 8,300 रुपये खर्च होते थे, तो अब वही प्रोडक्ट खरीदने में 8,600 रुपये से ज्यादा लग जाएंगे. देश में कच्चे तेल, दवाओं के फॉर्मूलेशन, कई खाद्य पदार्थ समेत कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है. इसलिए अगर रुपये में गिरावट जारी रही तो घरेलू बाजार में बहुत सी चीजों की कीमत बढ जाएगी और आम आदमी को अपना घर चलाने को ज्‍यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा.

रुपये में गिरावट का असर दिखना भी शुरू हो गया है. कंज्‍यूमर ड्यूरेबल इंडस्‍ट्री ने तो कह दिया है कि रुपये की अगर रुपये की गिरावट नहीं थमी तो टीवी, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर जैसे उत्‍पादों की कीमतों में मार्च तक 5% तक बढ़ोतरी हो सकती है. इन उत्पादों के लिए 30-40% तक के मुख्य पुर्जे भारत चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से आयात करता है. आज हम आपको विस्‍तार से बताएंगे कि रुपये में गिरती कीमत का असर कैसे और कहां-कहां होगा.

ईंधन की कीमतों में इजाफा जब रुपये की वैल्यू गिरती है तो आयात की जाने वाली चीज़ें जैसे कच्चा तेल, गैस महंगी हो जाती हैं. भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है. रुपये की गिरावट से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो ट्रांसपोर्ट और दूसरी सर्विस की लागत को भी बढ़ा देगी. इससे खाने-पीने की चीज़ें और अन्‍य सामान महंगा हो सकता है. इससे आम आदमी का बजट बिगड़ेगा.

विदेश में शिक्षा लेना महंगा भारत से बड़ी विद्यार्थी में लोग विदेश पढने जाते हैं. विदेश यात्रा भी बहुत से लोग करते हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से विदेश यात्रा और पढाई भी महंगी हो जाती है. मान लीजिए, आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है और आप भारत से पैसे भेजते हैं तो नुकसान होगा। दरअसल, ऐसे में डॉलर में कन्वर्ट होने पर कम रकम मिलती है. अब आपको पहले से ज्यादा रुपये भेजने होंगे.

लोन महंगा होने का खतरा रुपये की गिरावट से अगर महंगाई बढती है तो रिजर्व बैंक मुद्रास्‍फीति को काबू में करने के लिए ब्‍याज दरें बढा सकता है. इससे होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसी चीजें महंगी हो जाती हैं.

दालें और खाने का तेल महंगा भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.

घरेलू शेयर बाजार पर असररुपये की कमजोरी शेयर बाजार में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे निवेशकों का विश्वास घट सकता है. इससे शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. भारतीय करेंसी में लगातार गिरावट की आशंका होने पर अंतरराष्ट्रीय निवेशक रुपया आधारित एसेट्स से अपनी पूंजी निकालकर डॉलर आधारित निवेश की ओर रुख कर सकते हैं.

क्‍या करें निवेशक रुपया गिरने से हुए असर से आम आदमी के पास तो बचाव के कोई साधन नहीं है. लेकिन, शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशक इसके नकारात्‍मक प्रभाव से बचने को जरूर कई कदम उठा सकते हैं. एक निवेशक के लिए जरूरी है कि वो घबराएं नहीं. अर्थव्यवस्था, जिसमें ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और मुद्रा दरें शामिल है, चक्रों में चलती है. रुपया लंबे समय से स्थिर था और अपने अधिकांश समकक्ष मुद्राओं से अब भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. इसलिए हड़बड़ी में आकर कोई निवेश निर्णय न लें.

अपने बजट का मूल्यांकन करें. जहां संभव हो, वैकल्पिक खर्चों में कटौती करें. नकदी जाल से बचें. मुद्रास्फीति नकदी के मूल्य को घटाती है. इसलिए बड़ी मात्रा में नकदी रखने के बजाय, उन निवेश विकल्‍पों में पैसा लगाएं जिनका रिटर्न मुद्रास्‍फीति को मात देता है. अपने पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करें और लॉर्ज-कैप स्टॉक्स को अधिक वरीयता दें, क्योंकि इन्हें सुरक्षित माना जाता है. उन कंपनियों में निवेश करें जिनके पास मजबूत ब्रांड और मूल्य निर्धारण शक्ति हो. आयात-आधारित कंपनियों से बचें और उन कंपनियों में निवेश करें जो बड़े पैमाने पर निर्यात करती हैं, जैसे आईटी और फार्मा कंपनियां.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 15, 2025, 11:45 ISThomebusinessरुपये में गिरावट आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगी भारी, क्‍या होगा असर, जानिए

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