जेब में वापस आया पैसा, बदल रहे हैं आम आदमी के हालात? क्या है इसका मतलब

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Last Updated:May 20, 2025, 03:01 ISTवित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय परिवारों की नेट फाइनेंशियल सेविंग्स ₹15.52 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल से ज्यादा है. हालांकि, घरेलू बचत पूर्व-कोविड स्तरों से नीचे है. कर्ज का बोझ भी बढ़ा है.हाइलाइट्सभारतीय परिवारों की नेट फाइनेंशियल सेविंग्स ₹15.52 लाख करोड़ रही.FY24 में घरों की फाइनेंशियल लायबिलिटीज ₹18.79 लाख करोड़ तक पहुंची.सोना-चांदी जैसे पारंपरिक विकल्पों में भी निवेश जारी है.नई दिल्ली. बीते कुछ सालों में जहां देश के आम लोगों की फाइनेंशियल सेविंग्स (वित्तीय बचत) में गिरावट देखने को मिली थी, वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में इसमें थोड़ी रिकवरी नजर आई है. नेशनल अकाउंट्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, FY24 में भारतीय परिवारों की नेट फाइनेंशियल सेविंग्स ₹15.52 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल के ₹13.31 लाख करोड़ के मुकाबले ज्यादा है. यह जीडीपी का 5.2% है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 5% था—जो पिछले 50 वर्षों में सबसे कम था.

हालांकि यह सुधार कुछ हद तक राहत देने वाला है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू बचत अब भी पूर्व-कोविड स्तरों से काफ़ी नीचे है. साल 2018-19 में यह 7.9% थी. कम सेविंग्स का सीधा असर मांग पर पड़ता है, और जब मांग धीमी होती है तो कंपनियां निवेश से बचती हैं. आरबीआई के पूर्व पॉलिसी मेंबर जयंत वर्मा कहते हैं, “कोई कंपनी जब फैक्ट्री लगाती है, तो वो अगले 10 साल की मांग को ध्यान में रखती है. अगर घरेलू मांग कमजोर है तो निवेश भी रुका रहता है.”

एक तरफ जहां सेविंग्स में मामूली सुधार दिखा है, वहीं फाइनेंशियल लायबिलिटीज यानी कर्ज का बोझ भी बढ़ा है. FY24 में घरों की फाइनेंशियल लायबिलिटीज ₹18.79 लाख करोड़ तक पहुंच गईं, जो जीडीपी का 6.2% है—इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा स्तर. FY19 में यह आंकड़ा ₹7.71 लाख करोड़ था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कर्ज ज्यादातर रियल एस्टेट और गाड़ियों की खरीद में लिया गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं, “लोगों की सेविंग बढ़ी जरूर है, लेकिन साथ में उन्होंने ज़्यादा उधार भी लिया है. यह आमतौर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में होता है.”

हालांकि इस बात पर भी ध्यान देना ज़रूरी है कि अगर उधार सिर्फ खपत के लिए लिया जाए और वह निवेश में तब्दील न हो, तो इससे भविष्य की पूंजी निर्माण प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. घरों की कुल ग्रॉस फाइनेंशियल सेविंग्स FY24 में ₹34.31 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹29.28 लाख करोड़ थी. यह जीडीपी का 11.4% है. वहीं, फिजिकल एसेट्स में निवेश भी बढ़ा है—FY24 में यह ₹38.45 लाख करोड़ रहा, जो FY19 में ₹23.09 लाख करोड़ था.

एक दिलचस्प बात यह भी है कि सोना-चांदी जैसे पारंपरिक विकल्पों में भी निवेश जारी है. FY24 में घरों ने ₹65,104 करोड़ सोना-चांदी खरीदा, जो FY23 से थोड़ा ही ज़्यादा है. विश्लेषकों का मानना है कि FY25 में उच्च ब्याज दरों की वजह से सेविंग्स में थोड़ा और सुधार हो सकता है, लेकिन अगर कर्ज की रफ्तार ऐसे ही तेज रही, तो भविष्य में यह संतुलन फिर गड़बड़ा सकता है.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessजेब में वापस आया पैसा, बदल रहे हैं आम आदमी के हालात?

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