नई दिल्ली. सेक्टर 79 स्थित गौड़संस स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट के 44 फ्लैट खरीदारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर रजिस्ट्री कराने की मांग की है. हाईकोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने पांच साल पहले सौंपे गए उनके फ्लैटों की रजिस्ट्री अभी तक नहीं कराई गई है, जबकि उन्होंने पूरी रकम चुका दी है और सारी औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं. शुक्रवार को जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और अनिश कुमार गुप्ता की बेंच ने प्राधिकरण से जवाब मांगा और अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी 2025 तय की. खरीदारों ने कहा कि रजिस्ट्री में देरी के कारण वे अपने फ्लैट बेचने या ट्रांसफर करने में असमर्थ हैं. इसके अलावा, सर्कल रेट में 30% की संभावित बढ़ोतरी उनके लिए रजिस्ट्री लागत को और बढ़ा सकती है.
2010 में शुरू किया गया स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट नोएडा प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी स्पोर्ट्स सिटी परियोजना का हिस्सा है. इस परियोजना के तहत 70% भूमि को खेल सुविधाओं के लिए और शेष भूमि को आवासीय व व्यावसायिक विकास के लिए निर्धारित किया गया था.नोएडा प्राधिकरण ने इस परियोजना के लिए चार कंसोर्टियम को भूमि आवंटित की थी, जिसमें ज़ेनाडू एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने सेक्टर 78, 79 और 101 का जिम्मा उठाया था. ज़ेनाडू ने भूमि को 16 भागों में विभाजित कर विभिन्न रियल एस्टेट डेवलपर्स, जिनमें गौड़संस भी शामिल था, को सौंप दिया था.
ऑडिट में मिलीं थी खामियां 2019 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा की गई एक ऑडिट में इस प्रोजेक्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं थी. खेल सुविधाएं पूरी नहीं मिली थीं. इसके बाद, जनवरी 2021 में प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के सभी रिवाइज्ड मैप्स, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और रजिस्ट्री आवेदन स्थगित कर दिए.
पूरी कीमत चुकाने के बावजूद रजिस्ट्री नहींखरीदारों ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि उन्होंने फ्लैट की पूरी कीमत चुका दी है, इसलिए उनकी रजिस्ट्री की अनुमति दी जानी चाहिए. याचिकाकर्ताओं में से एक, संवरजीत दासौंडी ने बताया कि मार्च 2019 में स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट को अस्थायी कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया गया था, जिसके बाद डेवलपर ने फ्लैटों का कब्जा सौंप दिया. गौड़संस ने प्राधिकरण के साथ सभी भुगतान निपटाने के बाद नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर लिया था.
उन्होंने कहा, “डेवलपर स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ी नीतिगत समस्याओं के कारण स्थायी कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेने में असफल रहा. यूपी-रेरा के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर सात दिनों में कंप्लीशन सर्टिफिकेट पर कार्रवाई नहीं होती है, तो इसे स्वीकृत माना जाता है. इसके बावजूद हमारी रजिस्ट्री प्रक्रिया रुकी हुई है.”
Tags: Allahabad high court, Property, Real estateFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 10:23 IST
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