नई दिल्ली. दिहाड़ी और कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की भलाई के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में मजदूरों के बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में अहम सुझाव दिया है. नीति आयोग ने कहा है कि कारखानों के पास श्रमिकों की रिहाइशी जगहों को आवासीय इकाई के रूप में वर्गीकृत करने के साथ उनपर कम दर से संपत्ति कर, बिजली और पानी का शुल्क लगाया जाना चाहिए. सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट नीति आयोग की रिपोर्ट ‘सेफ’ (कारखाना के नजदीक जगह) आवास- विनिर्माण वृद्धि के लिए कर्मचारी आवास’ कहती है कि इस तरह की रिहाइशी सुविधाओं के अभाव में श्रमिकों, विशेषकर महिलाओं का प्रवास बाधित होता है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि क्षमता सीमित हो जाती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, आवासीय संपत्ति कर, बिजली और पानी के शुल्क लागू करने के लिए ‘सेफ’ आवास को अलग श्रेणी के रूप में नामित किया जाए.
जीएसटी पर छूट की मांग
रिपोर्ट में निर्दिष्ट मानदंडों (जैसे, 90 दिन के लगातार प्रवास के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 20,000 रुपये) को पूरा करने वाले आवासों पर जीएसटी छूट दिए जाने की भी मांग की गई है. नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बी वी आर सुब्रमण्यम ने इस अवसर पर उम्मीद जताई कि पिछली बार बजट में की गई घोषणा एक बड़े सरकारी कार्यक्रम में तब्दील हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पिछले रविवार को मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन में शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक आवासों को सामान्य आवास जितना ही महत्वपूर्ण बताया था. सुब्रमण्यम ने कहा, ‘ऐसे में मुझे लगता है कि हम इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे है.
(भाषा से इनपुट के साथ)
Tags: Business news, Labour reforms, New SchemeFIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 07:59 IST
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