नई दिल्ली. जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार ऐसे कई उत्पादों पर जीएसटी की दरें घटाने पर विचार कर रही है, जिनका इस्तेमाल मिडिल और निम्न आय वर्ग वाले लोग कर रहे हैं. इसके साथ ही एयर कंडीशनर जैसे महंगे उत्पादों पर भी टैक्स घटाने का प्रस्ताव विचाराधीन है. सरकार आठ साल पुराने वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढांचे की व्यापक समीक्षा कर रही है. इस समीक्षा में 12% टैक्स स्लैब में आने वाले उपभोक्ता वस्तुओं पर कर की दर कम करने पर जोर होगा. 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में मक्खन, घी, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, मोबाइल, फलों का रस, अचार, मुरब्बा, चटनी, नारियल पानी, छाता, साइकिल, टुथपेस्ट, जूते-कपड़े सहित कई ऐसी जरूरी वस्तुएं आती हैं, जिनका इस्तेमाल आम आदमी ज्यादा करता है.
मार्च 2026 में मुआवजा सेस (Compensation Cess) खत्म होने जा रहा है. इसे राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व घाटे की भरपाई के लिए दिया जाता है. मुआवजा सेस खत्म होने के बाद केंद्र सरकार अब तंबाकू जैसे ‘सिन गुड्स’ पर नए सेस लगाने की योजना बना रही है. इसका मकसद मुआवजा सेस खत्म होने से राज्यों को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई करना है.
ये भी पढ़ें- DDA Housing Scheme : वसंत कुंज, द्वारका, रोहिणी और पीतमपुरा में मिलेंगे सस्ते फ्लैट, कैसे लें, जानिए
इंश्योरेंस पर घट सकती है जीएसटी
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार शुद्ध टर्म इंश्योरेंस प्लान्स पर वर्तमान 18% जीएसटी को पूरी तरह खत्म करने के पक्ष में है. हालांकि, बीमा कंपनियों ने इसे 12% पर लाने की मांग की है. सरकार का मानना है कि इससे मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिलेगी. इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स में कटौती की संभावना है, लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
12% स्लैब हटाने पर भी हो सकता है विचार
सूत्रों के अनुसार, सरकार 12% टैक्स स्लैब को पूरी तरह समाप्त करने पर विचार कर रही है. हालांकि, जिन उत्पादों का उपयोग व्यवसायिक गतिविधियों में होता है, उन पर टैक्स दर बढ़ाई जा सकती है. इससे सरकार को राजस्व घाटा सीमित करने में मदद मिलेगी.
बढ़ती खपत से राजस्व घाटा हो सकता है कम
सरकार का मानना है कि टैक्स दरों में कटौती से उत्पादों की मांग बढ़ेगी, जिससे राजस्व की हानि कुछ हद तक पूरी हो सकेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केवल आंकड़ों के आधार पर राजस्व का आकलन करना सही नहीं होता. यदि टैक्स दर कम करने से खपत बढ़ती है, तो सरकार को दीर्घकाल में लाभ हो सकता है.
इस बार जीएसटी सुधारों का मकसद एक ऐसा स्थायी टैक्स ढांचा बनाना है, जिसमें बार-बार बदलाव की जरूरत न हो. सरकार चाहती है कि व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कर प्रणाली में स्पष्टता और स्थायित्व मिले. हालांकि, इस पूरे सुधार प्रस्ताव पर राजनीतिक सहमति बनाना बड़ी चुनौती होगी. इससे पहले कई बार राज्यों ने राजस्व हानि के डर से टैक्स कटौती का विरोध किया है.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News