Last Updated:March 15, 2025, 10:54 ISTGold Price-रूस-यूक्रेन युद्ध और डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी है, जिससे सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं. भारत में सोना ₹87,970 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया है.डॉलर और सोना ट्रेड वार के केंद्र में हैं.हाइलाइट्ससोने की कीमतें ₹87,970 प्रति 10 ग्राम तक पहुंचीं.रूस-यूक्रेन युद्ध और टैरिफ नीतियों से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी.मंदी के दौरान सोना निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प है.नई दिल्ली. सोना का भाव पिछले एक साल से कुलांचे भर रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में 14 मार्च को सोने का भाव 3,000 डॉलर प्रति औंस को पार कर गया. भारत में सोने की कीमत ₹87,970 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच चुकी है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वार छेड़कर इसे और बढा दिया है. बहुत से लोग तो दुनिया में ‘मंदी’ आने तक की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इतिहास गवाह है कि जब भी वैश्विक अनिश्चितता बढ़ती है, निवेशकों के लिए सोना सबसे सुरक्षित विकल्प बन जाता है.
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) नीतियां वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक संकेत दे रही हैं. डॉलर और सोना इस व्यापार युद्ध के केंद्र में हैं. ट्रंप ने सबसे पहला कदम उठाते हुए कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगा दिया. जवाब में इन तीनों देशों और यूरोपीय संघ ने भी अमेरिकी आयात पर काउंटर टैरिफ लगा दिया. यह संघर्ष 2 अप्रैल के बाद और बढ़ सकता है, जब ट्रंप की “प्रतिस्पर्धी टैरिफ” नीति पूरी तरह लागू हो जाएगी. ट्रंप की टैरिफ नीति का प्रभाव केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है. 13 मार्च को जर्मनी के केंद्रीय बैंक बुंडेसबैंक ने चेतावनी दी कि अमेरिकी टैरिफ नीतियों के कारण जर्मनी भी मंदी की चपेट में आ सकता है.
अमेरिका में मंदी की आशंकाइस घटनाक्रम से वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी उथल-पुथल पहले से ही तय मानी जा रही थी. ट्रंप ने भी इस बात को नकारा नहीं कि उनकी टैरिफ नीतियों के चलते अमेरिका मंदी में जा सकता है. उन्होंने इसे ‘संक्रमण का दौर’ करार दिया, लेकिन उनके इस बयान के बाद शेयर बाजारों से 4 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹332 लाख करोड़) की पूंजी साफ हो गई. बाद में ट्रंप ने अपने बयान को हल्का किया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था.
मंदी का असरमंदी का मतलब अर्थव्यवस्था का सिकुड़ना होता है. जब आर्थिक विकास धीमा हो जाता है, तो लोगों की आमदनी प्रभावित होती है. उपभोक्ता आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है, जिससे खर्च में कटौती होती है.खर्च में गिरावट से कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होता है. कंपनियों के नुकसान से सरकार के कर राजस्व (Tax Revenue) में गिरावट आती है. यह पूरा चक्र खुद को दोहराता है और स्थिति बद से बदतर होती जाती है.
मंदी और सोने की कीमतों का संबंधमंदी का असर कई क्षेत्रों पर पड़ता है. मुद्राओं, शेयर बाजारों, रियल एस्टेट और संपत्तियों की कीमतों में भारी गिरावट आती है. इससे लोगों की पूंजी बाजार से बाहर जाने लगती है, जिससे आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है. मंदी के दौरान सोने की कीमतें बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख करते हैं. मंदी के समय सरकारें अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अधिक पैसा छापती हैं, जिससे मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ती है. ऐसे समय में सोना ही एकमात्र संपत्ति होती है, जो अपने मूल्य को बनाए रखती है और निवेशकों के लिए भरोसेमंद विकल्प साबित होती है.
मंदी के दौरान, जिन निवेशकों के पास सोना होता है, वे अन्य संपत्तियों की तुलना में अपने निवेश को सुरक्षित रखते हैं.अगर सरकार समय पर कदम नहीं उठाती, तो यह आर्थिक संकट और गहरा सकता है. सरकारें इससे निपटने के लिए अधिक पैसा छापती हैं, जिससे महंगाई बढ़ती है. अगर यह नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो स्थिति हाइपरइंफ्लेशन तक पहुंच सकती है, जहां मुद्रा का मूल्य तेजी से गिरने लगता है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 15, 2025, 10:54 ISThomebusinessसारी दुनिया में अगर छा गई मंदी, तो इस एक चीज का भाव छुएगा आसमान
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