Gold Price Target: सोने की कीमत अगर गिरती है तो वह मौका होगा. हर बार गिरावट पर आपको केवल सोना खरीदना है. यदि निवेश करके बैठे हैं तो घबराकर बेचने की जरूरत नहीं है. यह हम नहीं बल्कि मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड का कहना है, जो इस काम में एक्सपर्ट है. सोने पर उसने ‘बाय ऑन डिप्स’ का व्यू कायम रखा है. साथ ही निवेशकों को लॉन्ग टर्म के लिए एक टारगेट दिया है. बताया है कि सोना 1 लाख 6 हजार रुपये (1,06,000 रुपये) के स्तर तक जा सकता है.
लेकिन निवेशकों को खरीदते समय इसका सपोर्ट जोन जरूर देखना है. तकनीकी रूप से इसका सपोर्ट 90,000-91,000 रुपये के बीच में है. इसका रेजिस्टेंस 99,000 रुपये है. सपोर्ट जोन का मतलब है कि उस भाव पर डिमांड आएगी और रेजिस्टेंस का मतलब है कि उस स्तर से ऊपर जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
दोनो कीमती धातुओं (सोने और चांदी) ने 2025 में बिलकुल पिछले साल की तरह एक शानदार शुरुआत की थी. 2025 की पहली तिमाही में सोने ने लगभग 18 फीसदी का उछाल पाया. वह रैली इस वित्त वर्ष में भी जारी रही और सोने का भाग 3,500 डॉलर (लगभग 1,00,000 रुपये) तक के अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया. उसके बाद हालांकि बिकवाली देखने को मिली और कीमतें गिर गईं.
एमसीएक्स (MCX) पर सोने के जून के वायदा भाव में आज लगभग 600 रुपये की गिरावट देखने को मिली है. दोपहर लगभग 2 बजकर 26 मिनट पर यह 95,411 रुपये के आसपास ट्रेड हो रहा था. इसने 22 अप्रैल को 99,358 रुपये का हाई बनाया था. नीचे की तरफ 94,000 के आसपास से तीन बार सपोर्ट लेकर ऊपर जा चुका है. लेकिन जब तक यह अपना रेजिस्टेंस क्लीयर नहीं कर देता, भाव के आगे जाने की संभावनाएं कमजोर दिखती हैं.
क्या सोने के फेवर में, क्या नहींमोतीलाल ओसवाल के कमोडिटी रिसर्च में सीनियर एनालिस्ट मानव मोदी ने कहा, “ऐतिहासिक रूप से, मांग और आपूर्ति के कारकों ने सीधे तौर पर सोने की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं डाला है, खासकर ऐसे परिदृश्य में जहां बाजार में काफी अनिश्चितताएं मौजूद हैं. पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेजी देखी गई है, इसलिए कीमतों में कुछ ठहराव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.”
मोदी ने कहा कि इस मोड़ पर सोने की कीमतों के लिए पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों पहलू मौजूद हैं. मिले-जुले आर्थिक आंकड़े, टैरिफ वॉर, मुद्रास्फीति की ऊंची अपेक्षाएं, धीमी ग्रोथ की चिंता, ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं, भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ते कर्ज को लेकर चिंताएं, मांग में वृद्धि और अमेरिकी यील्ड में गिरावट जैसे कारक सोने की कीमतों के लिए पॉजिटिव संकेत ला सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि अनिश्चितताओं के बादल छंटते हैं तो बुलियन मार्केट पर दबाव डाल सकते हैं.
केंद्रीय बैंक दशकों से लगातार सोना खरीद रहे हैं. पिछले तीन वर्षों में, उन्होंने प्रति वर्ष 1,000 टन से अधिक सोने की खरीदारी की है. मार्च 2025 में चीन ने लगातार पांचवें महीने मजबूत सोना खरीदारी की सूचना दी है.
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