नई दिल्ली. ‘गॉडफादर ऑफ एआई’ के नाम से मशहूर जेफ्री हिंटन ने चेतावनी दी है कि आने वाले वर्षों में एआई के कारण बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म हो सकती हैं. कॉल सेंटर ऑपरेटर, पैरा लीगल्स और अन्य बौद्धिक श्रम से जुड़ी जॉब्स पर AI की सबसे ज्यादा मार पड़ेगी. हिंटन ने कहा कि नौकरी बचाने को बहुत कुशल होना पड़ेगा और ऐसा करना होगा, जिसे करना एआई के बूते की बात न हो. “डायरी ऑफ ए सीईओ” पॉडकास्ट में हिंटन ने कहा कि एक ओर कुछ लोग AI को सहायक के रूप में इस्तेमाल करेंगे, वहीं कंपनियां इसका लाभ उठाकर कम लोगों से ज्यादा काम करवाएंगी.जेफ्री हिंटन को वर्ष 2024 में मशीन लर्निंग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. वे वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में कंप्यूटर साइंस के एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. AI पर उनका दशकों पुराना शोध आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हो गया है.
खत्म हो जाएंगी शुरुआती जॉब्स
हिंटन ने कहा कि नए पासआउट्स को मिलने वाली जॉब्स धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी. उन्होंने कहा, “अगर मैं कॉल सेंटर में होता, तो आज की स्थिति में मैं डरा हुआ होता.” हिंटन ने कहा कि अब एक व्यक्ति और एआई मिलकर वही काम कर पाएंगे, जिसे पहले 10 लोग मिलकर करते थे. इस तरह न केवल कर्मचारियों की संख्या में कटौती होगी बल्कि शुरुआती स्तर की नौकरियां मिलना ही बंद हो जाएंगी.
AI से इनको ज्यादा खतरा
हिंटन ने एआई से सबसे ज्यादा खतरे में पैरा लीगल्स, कॉल सेंटर वर्कर्स, बुनियादी डेटा एंट्री और अन्य मानसिक श्रम पर आधारित नौकरियों को बताया है. उनका कहना है कि AI को ‘मूडेन इंटेलेक्चुअल लेबर’ में तेजी से महारत मिल रही है और आने वाले वर्षों में ये सभी नौकरियां मशीनें ले सकती हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भले ही कुछ कंपनियां AI को मानव कर्मचारियों की सहायता के लिए रखें, लेकिन इससे भी कुल कर्मचारियों की संख्या में गिरावट आएगी.
इन नौकरियों को खतरा कम
हिंटन ने कहा कि शारीरिक श्रम से जुड़ी नौकरियां अभी सुरक्षित हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि AI को भौतिक कार्यों में दक्षता प्राप्त करने में अभी लंबा समय लगेगा. ऐसे में प्लंबर या इलेक्ट्रीशियन बनना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है.”
एआई से नौकरियां पैदा नहीं होंगी
तकनीकी जगत में अक्सर कहा जाता है कि AI के आने से नई नौकरियां भी पैदा होंगी, लेकिन हिंटन इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि यदि AI सभी बौद्धिक कामों को कर लेगा तो इंसानों के लिए बचा ही क्या रह जाएगा? कई देशों में AI से होने वाली बेरोजगारी को देखते हुए यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की बात हो रही है, लेकिन हिंटन इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव को लेकर भी चिंता जताते हैं. उन्होंने कहा, “लोग सिर्फ पैसे से संतुष्ट नहीं होते, वे कुछ करना भी चाहते हैं.” उनका कहना है कि काम न रहने से लोगों की जीवन में उद्देश्य की भावना खत्म हो सकती है.
कॉर्पोरेट और बैंकिंग में असर दिखना शुरू
AI के बढ़ते प्रभाव का असर अब कॉर्पोरेट जगत में भी दिखने लगा है. मई 2025 में आई वेंचर कैपिटल फर्म सिग्नल फायर की रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 से 2024 के बीच मेटा और गूगल जैसी कंपनियों ने ग्रेजुएट्स की भर्तियों में 25% की कटौती की है. 2024 में केवल 7% नई नौकरियां ही फ्रेश ग्रेजुएट्स को मिलीं.
वहीं, मार्च 2025 में मॉर्गन स्टेनली ने 2,000 कर्मचारियों की छंटनी की, जिसमें कुछ पदों को पूरी तरह से AI से रिप्लेस कर दिया गया. ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 5 वर्षों में AI के कारण JPMorgan Chase, Citigroup सहित 93 बड़े बैंकों में लगभग 2 लाख नौकरियों की कटौती हो सकती है.
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