Last Updated:March 20, 2025, 23:04 ISTदुनियाभर में सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड का कर्ज 2023 में $100 ट्रिलियन के पार पहुंच गया है. OECD की रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती ब्याज दरों से कर्ज लेने वालों की स्थिति कठिन हो रही है. सरकारों और कंपनियों को अपने निव…और पढ़ें2021-24 के बीच तेजी से बढ़ा कर्ज.हाइलाइट्सदुनिया का कुल कर्ज $100 ट्रिलियन के पार पहुंचा.बढ़ती ब्याज दरों से कर्ज लेने वालों की स्थिति कठिन.सरकारों और कंपनियों को निवेश प्राथमिकता देनी होगी.नई दिल्ली. दुनियाभर में सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड का कुल कर्ज 2023 में $100 ट्रिलियन (करीब 8,300 लाख करोड़ रुपये) के पार पहुंच गया. मोटे तौर पर देखा जाए तो दुनिया की 800 अरब की आबादी के हिसाब से हर व्यक्ति पर करीब 104 रुपये का कर्ज है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती ब्याज दरों के कारण कर्ज लेने वालों के लिए स्थिति मुश्किल हो रही है. सरकारों और कंपनियों को अब अपने निवेश को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि उनका कर्ज प्रोडक्टिव साबित हो सके.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2024 के बीच ब्याज लागत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 20 साल के सबसे निचले स्तर से अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. OECD के सदस्य देशों में ब्याज भुगतान पर सरकारों का खर्च अब GDP का 3.3% हो चुका है, जो रक्षा बजट से भी ज्यादा है.
ब्याज दरों में बढ़ोतरी और सरकारी खर्चकई केंद्रीय बैंक अब ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं, लेकिन 2022 में दरें बढ़ाने के बाद कर्ज लेने की लागत अब भी काफी ज्यादा बनी हुई है. कम ब्याज दरों वाले पुराने कर्ज की जगह अब महंगे कर्ज लिए जा रहे हैं, जिससे ब्याज भुगतान का बोझ आगे और बढ़ सकता है. सरकारों को पहले से ही बड़े खर्चों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में जर्मनी की संसद ने बुनियादी ढांचे और यूरोप की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक बड़ा बजट पास किया. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से निपटने और बढ़ती उम्र की आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी भारी खर्च की आवश्यकता होगी. OECD ने चेतावनी दी कि बढ़ते कर्ज और ऊंची ब्याज दरों के चलते भविष्य में सरकारों की उधारी क्षमता सीमित हो सकती है, जबकि निवेश की जरूरतें पहले से ज्यादा हो गई हैं.
कर्ज की लागत और परिपक्वतारिपोर्ट के अनुसार, OECD के 50% से ज्यादा देशों और उभरते बाजारों में सरकारी कर्ज की मौजूदा ब्याज लागत अब भी बाजार दरों से कम है. वहीं, कॉरपोरेट कर्ज में 66% उच्च-गुणवत्ता वाले और 75% जंक बॉन्ड (जो जोखिम भरे होते हैं) की ब्याज लागत अभी भी बाजार दरों से कम है. हालांकि, 2027 तक OECD देशों और उभरते बाजारों का लगभग 50% सरकारी कर्ज और 33% कॉरपोरेट कर्ज परिपक्व हो जाएगा, यानी इसका भुगतान करना होगा या नया कर्ज लेना होगा. कम आय वाले और अधिक जोखिम वाले देशों को सबसे ज्यादा वित्तीय संकट का खतरा है. OECD के मुताबिक, इन देशों का 50% से ज्यादा कर्ज अगले तीन वर्षों में और 20% कर्ज सिर्फ 2024 में परिपक्व हो जाएगा.
उभरते बाजारों की समस्याOECD के पूंजी बाजार प्रमुख सेरडार सेलिक ने कहा कि सरकारों और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका कर्ज अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करे. उन्होंने कहा, “अगर कर्ज का इस्तेमाल सही तरीके से किया गया, तो चिंता की बात नहीं है. लेकिन अगर यह महंगा कर्ज केवल खर्च बढ़ाने के लिए लिया गया, तो मुश्किलें और बढ़ेंगी.” रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 के बाद कंपनियों ने उधारी का इस्तेमाल अधिकतर वित्तीय जरूरतों, जैसे पुनर्वित्त (refinancing) और शेयरधारकों को भुगतान के लिए किया है, जबकि कॉरपोरेट निवेश में गिरावट आई है.
डॉलर बॉन्ड महंगे हुए, जलवायु संकट पर असरOECD ने पाया कि डॉलर में जारी किए गए बॉन्ड्स पर उधारी लागत 2020 में 4% थी, जो 2024 में 6% हो गई है. उच्च जोखिम वाले देशों के लिए यह दर 8% से भी ज्यादा हो गई है. कई उभरती अर्थव्यवस्थाएं स्थानीय बाजारों से कर्ज लेने में असमर्थ हैं, क्योंकि वहां बचत दरें कम और पूंजी बाजार कमजोर हैं. OECD ने सुझाव दिया कि इन देशों को अपनी घरेलू पूंजी बाजारों को विकसित करना चाहिए.
भू-राजनीतिक तनाव और वित्तीय अस्थिरताOECD ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरूरी निवेश एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. मौजूदा निवेश दरों पर, चीन को छोड़कर अन्य उभरते बाजारों को 2050 तक पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने के लिए $10 ट्रिलियन (लगभग 830 लाख करोड़ रुपये) की कमी होगी. अगर इस बदलाव को सरकारी खर्च से पूरा किया जाता है, तो 2050 तक उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का ऋण-से-GDP अनुपात 25% और चीन का 41% बढ़ सकता है. अगर निजी निवेश से पूरा किया जाता है, तो 2035 तक उभरते बाजारों (चीन को छोड़कर) में ऊर्जा कंपनियों का कर्ज चार गुना बढ़ जाएगा.
निवेशकों की बदलती भूमिकाकेंद्रीय बैंक अपने बॉन्ड होल्डिंग्स घटा रहे हैं, जिससे विदेशी निवेशकों और घरेलू खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, OECD देशों के घरेलू सरकारी कर्ज में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 2021 में 29% थी, जो 2024 में 34% हो गई है. घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी भी 5% से बढ़कर 11% हो गई है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 20, 2025, 23:04 ISThomebusinessदुनिया के हर इंसान पर 100 रुपये से ज्यादा की उधारी! तेजी से बढ़ रहा कर्ज
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