खेल गए विदेशी निवेशक! शेयर बेचकर मार्केट को गिराया, फिर FPIs ने भारत में दूसरे रूट से डाला पैसा

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खेल गए विदेशी निवेशक! शेयर बेचकर मार्केट को गिराया, फिर FPIs ने भारत में दूसरे रूट से डाला पैसा

नई दिल्ली. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की महिमा को समझना भी आसान नहीं है. एक तरफ तो ये लोग सितंबर 2024 से इक्विटी से लगातार पैसा निकाल रहे हैं, दूसरी तरफ भारत के बॉन्ड्स (Bonds) में दबाकर पैसा डाल रहे हैं. इस साल जनवरी से लेकर अब तक एफपीआई 51,730 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं. यह पैसा फुली अक्सेसिबल रूट (FAR) के जरिये भारत के बॉन्ड्स में पंप किया गया है.

नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस 51 हजार करोड़ से अधिक अमाउंट में से 29,044 करोड़ तो केवल मार्च के महीने में ही आया है. बॉन्ड में निवेश ने पिछले कुछ दिनों में रुपये को मजबूत बनाने में भी मदद की. मार्च में शेयर बाजार में बिकवाली में गिरावट आई. जनवरी और फरवरी में 1.12 लाख करोड़ रुपये निकालने के बाद, मार्च में FPI का आउटफ्लो सिर्फ 3,973 करोड़ रुपये रह गया.

FAR बॉन्ड सरकार द्वारा जारी की गई वे प्रतिभूतियां हैं, जिनमें विदेशी निवेशक बिना किसी निवेश सीमा के निवेश कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च 2020 में इस रूट को शुरू किया था, ताकि भारत के बॉन्ड बाजार में विदेशी भागीदारी बढ़े.

सही जगह पर जाकर लगा सरकार का तीरFAR को गैर-निवासियों को विशेष G-secs में बिना किसी सीमा के निवेश की अनुमति देने के लिए बनाया गया था. हालांकि, सरकार और RBI ने लंबी अवधि के सरकारी बॉन्ड (14 वर्ष और 30 वर्ष) को FAR से बाहर रखा, जिससे भविष्य में संभावित जोखिम और अनिश्चितताएं कम हो सकें.

जून 2024 में, JP Morgan ने FAR कार्यक्रम के तहत 29 भारतीय सरकारी प्रतिभूतियों को अपने उभरते बाजार बॉन्ड सूचकांक (EMBI) में शामिल किया. इससे विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने और भारतीय बॉन्ड बाजार में महत्वपूर्ण निवेश होने की उम्मीद थी.

FTSE Russell ने भी घोषणा की कि वह सितंबर 2025 से अपने उभरते बाजार सरकारी बॉन्ड सूचकांक (EMGBI) में FAR-योग्य भारतीय सरकारी बॉन्ड को शामिल करेगा. Bloomberg ने भी पिछले साल कहा था कि वह 31 जनवरी 2025 से भारतीय बॉन्ड को अपने उभरते बाजार (EM) लोकल करेंसी सरकारी सूचकांक और संबंधित सूचकांकों में शामिल करेगा.

मार्च के अंत तक FPIs की मजबूत खरीदारी के कारण मार्च में कुल FPI बिक्री 6,027 करोड़ रुपये तक कम हो गई. प्राथमिक बाजार के माध्यम से FPIs ने 2,055 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे मार्च का कुल शुद्ध FPI बिक्री आंकड़ा केवल 3,973 करोड़ रुपये रह गया.

FPIs के फिर से खरीदार बनने से निफ्टी में लगभग 6 प्रतिशत की सुधार हुआ. एक विश्लेषक ने कहा, “सितंबर 2024 के उच्चतम स्तर से लगभग 16 प्रतिशत की गिरावट के बाद मूल्यांकन आकर्षक हो गया. रुपये की हालिया सुधार ने US निवेश की दिशा में व्यापार को उलट दिया. भारत के मैक्रो – GDP, IIP और CPI महंगाई में सुधार हुआ, जिससे बाजार में रैली की संभावना बनी.”

अब आगे क्या?भविष्य में FPI प्रवाह का रुझान मुख्य रूप से 2 अप्रैल को अपेक्षित ट्रंप के रेसिप्रोकल टैक्स पर निर्भर करेगा. अगर टैरिफ कठोर नहीं होते हैं, तो रैली जारी रह सकती है, एक विश्लेषक ने कहा. मनोज पुरोहित, पार्टनर और लीडर, FS टैक्स, टैक्स और रेगुलेटरी सर्विसेज, BDO इंडिया ने कहा, “सभी की नजरें अब अमेरिका द्वारा आगामी शुल्क प्रतिबंध और RBI की समीक्षा बैठक में संभावित दर कटौती की घोषणाओं पर हैं.”

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