Last Updated:March 16, 2025, 03:01 ISTभारत का विदेशी मुद्रा भंडार 15.26 अरब डॉलर बढ़कर 653.96 अरब डॉलर हो गया, जो दो वर्षों में सबसे तेज उछाल है. आरबीआई के अनुसार, 10 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा विनिमय से यह वृद्धि हुई. गोल्ड रिजर्व 1.05 अरब डॉलर घटा…और पढ़ेंभारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के सर्वोच्च स्तर पर है.हाइलाइट्सविदेशी मुद्रा भंडार 15.26 अरब डॉलर बढ़कर 653.96 अरब डॉलर हुआ.आरबीआई ने 10 अरब डॉलर के विनिमय से वृद्धि की.गोल्ड रिजर्व 1.05 अरब डॉलर घटकर 74.32 अरब डॉलर हुआ.नई दिल्ली. देश का विदेशी मुद्रा भंडार सात मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान दो वर्षों में सबसे तेज उछाल के साथ 15.26 अरब डॉलर बढ़कर 653.96 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह जानकारी दी. पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.78 अरब डॉलर घटकर 638.69 अरब डॉलर रह गया था. रुपये में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद के लिए आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के साथ-साथ रीवैल्यूएशन के कारण हाल ही में भंडार में गिरावट का रुख रहा है. सितंबर, 2024 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान तीव्र वृद्धि का श्रेय 28 फरवरी को केंद्रीय बैंक द्वारा किए गए 10 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा विनिमय को दिया जा रहा है, जब उसने प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए रुपए के मुकाबले डॉलर खरीदा था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 13.99 अरब डॉलर बढ़कर 557.28 अरब डॉलर हो गईं. डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है.
हालांकि, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व का मूल्य 1.05 अरब डॉलर घटकर 74.32 अरब डॉलर हो गया. विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 21.2 करोड डॉलर बढ़कर 18.21 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार 6.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.14 अरब डॉलर रहा.
क्यों जरूरी है फॉरेन करेंसी रिजर्वफॉरेन करेंसी रिजर्व (विदेशी मुद्रा भंडार) ज्यादा होने से देश की आर्थिक स्थिरता मजबूत होती है. इससे सरकार और केंद्रीय बैंक के पास आयात भुगतान, कर्ज चुकाने और वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान रुपया संभालने की ताकत होती है. विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ता है, जिससे देश में निवेश आकर्षित होता है. रिजर्व ज्यादा होने से मुद्रा संकट की संभावना कम होती है और देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत स्थिति बनाए रखता है. साथ ही, यह अर्थव्यवस्था को अचानक झटकों से बचाने और जरूरत पड़ने पर नीतिगत हस्तक्षेप करने में मदद करता है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 16, 2025, 03:01 ISThomebusinessभारत के पास विदेशी करेंसी में तगड़ा उछाल, 2 साल के रिकॉर्ड लेवल पहुंचा रिजर्व
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