नई दिल्ली. अक्टूबर 2024 से लगातार शेयर बाजार में सेलिंग कर रहे विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) का ताजा आंकड़ा हरा-भरा दिख रहा है. अक्टूबर के बाद पहली बार वे नेट बायर अथवा खरीदार हुए हैं. पिछले 5 सत्रों में ही एफआईआई ने 2 बिलियन डॉलर से अधिक पैसा भारतीय शेयर बाजार में डाला है. एनएसडीएल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 15 अप्रैल से 21 अप्रैल के दरमयान 1.9 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. 22 अप्रैल को भी 1,290 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है.
बता दें कि जब विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) शेयर बाजार में पैसा डालते हैं, तो मांग बढ़ती है और फिर शेयरों की कीमतें चढ़ती हैं. इससे मार्केट सेंटीमेंट पॉजिटिव होता है और निवेशकों का भरोसा बढ़ता है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो आखिरी बार FIIs ने दिसंबर में नेट बायर्स के रूप में महीना समाप्त किया था. तब उन्होंने $1.8 बिलियन से थोड़ा अधिक खरीदा था. वर्तमान महीने में अब तक FIIs लगभग $2 बिलियन के विक्रेता रहे हैं. मार्च के अंत में भी एक समान खरीदारी देखी गई थी जब FIIs ने 20-27 मार्च के बीच $3.6 बिलियन की शुद्ध खरीदारी की थी. उस खरीदारी को मुख्य रूप से शॉर्ट कवरिंग से प्रेरित माना गया था, लेकिन इसके बाद वे फिर से बेचने लगे. एक्सपर्ट अभी तक आश्वसत नहीं है कि क्या ये खरीदारी लगातार बनी रहेगी?
कई एक्सपर्ट हालिया इनफ्लो में बदलाव को व्यापक वैश्विक आर्थिक रुझानों से जोड़ते हैं. अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड टेंशन ने निवेशकों को उन क्षेत्रों में नई पूंजी आवंटित करने में सतर्क कर दिया है, जिससे यूरोपीय बाजारों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कीमती धातुओं जैसे सुरक्षित निवेशों की ओर री-एलोकेशन हो रहा है.
अमेरिकी डॉलर की कमजोरी एक वजहइसके अलावा, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स हाल के सप्ताहों में काफी कमजोर हुआ है. ऐतिहासिक रूप से कमजोर डॉलर निवेशकों को ज्यादा रिटर्न की तलाश में उभरते बाजारों में पैसा डालने को प्रेरित करता है. हालांकि, इस बार डॉलर तब कमजोर हो गया है, जब अमेरिकी बांड के रिटर्न बढ़ गए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि निवेशक शायद टैरिफ के व्यापार पर प्रभाव के चलते संभावित आर्थिक मंदी, आय में कटौती और बढ़ती महंगाई की चिंता के कारण अमेरिकी एसेट्स से एग्जिट ले रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल के लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों, मार्केट करेक्शन के बाद सस्ते शेयर और मजबूत आर्थिक कारकों ने भारतीय बाजारों को अधिक आकर्षक बना दिया है.
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सह-संस्थापक प्रमोद गुब्बी ने कहा, “FII इनफ्लो की स्थिरता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि वैश्विक व्यापार नीतियां कैसे आगे बढ़ेंगी. फिलहाल तो स्थिति साफ नहीं है.”
टैरिफ पर रोक के बाद क्या हुआ?9 अप्रैल से जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों पर टैरिफ को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की थी, तब से भारत के प्रमुख सूचकांक तेजी से बढ़े हैं. सेंसेक्स और निफ्टी 9-10 फीसदी तक बढ़ गए हैं, जबकि BSE मिड और स्मॉलकैप इंडेक्स में 11 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.
HDFC सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवरश वकील ने कहा, “हम मानते हैं कि ये प्रवाह स्थिर हैं और जारी रहने की संभावना है. निवेशकों की रुचि विशेष रूप से बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, पूंजी बाजार, रक्षा और उपभोक्ता-सामना करने वाले शेयरों में मजबूत है.”
अबांस फाइनेंशियल सर्विसेज में रिस्क और रिसर्च विभाग के उपाध्यक्ष मयंक मुंद्रा ने कहा कि भारत में विदेशी निवेशकों (FII) की खरीद हाल ही में इसलिए बढ़ी है क्योंकि यहां की नीतियां स्थिर हैं, टैक्स में कुछ छूट मिल रही है और भविष्य में ब्याज दरें घटने की उम्मीद है. ये सभी बातें मिलकर वित्त वर्ष 2025-26 में लोगों की खरीदारी बढ़ा सकती हैं और कंपनियों की कमाई को मज़बूती दे सकती हैं.
हालांकि, अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के बीच FII ने भारत में 2.33 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की बिक्री की थी. HDFC सिक्योरिटीज में प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवरश वकील ने कहा कि हमें लगता है कि अब यह निवेश स्थिर हो चुका है और आगे भी जारी रहेगा.
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