Last Updated:July 20, 2025, 20:03 ISTEU ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को कड़ा करते हुए रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी है, जिससे भारत का 5 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में है.रूस से तेल खरीदकर भारत रिफाइन करने के बाद उसे यूरोप में बेचता है. हाइलाइट्सभारत का 5 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में है.EU ने रूसी कच्चे तेल से बने उत्पादों पर रोक लगाई.भारत को कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता लानी होगी.नई दिल्ली. भारत और रूस के बीच चल रहे तेल व्यापार को लेकर एक बड़ा झटका सामने आया है. यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ा करते हुए अब ऐसे पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है जो रूसी कच्चे तेल से बने हैं, भले ही वह किसी तीसरे देश—जैसे भारत, तुर्की या UAE—से ही क्यों न आए हों.
यह फैसला EU के 18वें प्रतिबंध पैकेज का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रूस की ऊर्जा से होने वाली आमदनी को चोट पहुंचाना है. इस पाबंदी के तहत केवल कुछ चुनिंदा सहयोगी देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और स्विट्जरलैंड को ही छूट दी गई है.
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इसका सीधा असर भारत पर पड़ने जा रहा है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत हर साल यूरोप को बड़ी मात्रा में डीजल, पेट्रोल और जेट फ्यूल जैसे ईंधन उत्पाद बेचता है जो रूस से आए कच्चे तेल को रिफाइन करके बनाए जाते हैं. FY24 में यह निर्यात 19.2 अरब डॉलर का था, लेकिन FY25 में यह 27% घटकर 15 अरब डॉलर रह गया. GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत का 5 अरब डॉलर का मौजूदा निर्यात सीधे खतरे में है. उन्होंने कहा, “यूरोप अब ऐसे रिफाइंड ईंधन को स्वीकार नहीं करेगा जो रूसी कच्चे तेल से बना हो, चाहे वह भारत जैसे देश से क्यों न आया हो.”
भारत रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल आयात करता है. वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 50.3 अरब डॉलर पहुंच गया, जो भारत के कुल 143.1 अरब डॉलर के क्रूड बिल का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा है. इससे साफ है कि भारत की रिफाइनरी क्षमता का बड़ा हिस्सा अब रूसी तेल पर निर्भर हो चुका है. रूस के साथ भारत का यह तेल व्यापार अभी भी पूरी तरह वैध है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत आता है, लेकिन पश्चिमी देशों की नजरों में अब यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील बनता जा रहा है.
GTRI का मानना है कि जैसे-जैसे रूस के साथ भारत की ऊर्जा साझेदारी गहराती जा रही है, वैसे-वैसे नई दिल्ली को आर्थिक फायदे और वैश्विक दबावों के बीच संतुलन बैठाने की चुनौती बढ़ेगी. इस पाबंदी का असर न केवल भारत की विदेशी मुद्रा कमाई पर पड़ेगा, बल्कि रिफाइनिंग सेक्टर और उससे जुड़े हजारों नौकरियों पर भी आ सकता है. अगर भारत को यूरोपीय बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखनी है, तो उसे अब कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता लानी होगी या फिर पश्चिमी देशों के साथ इस मुद्दे पर कूटनीतिक बातचीत करनी पड़ेगी.Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessरूस से तेल खरीदने की कीमत चुकाएगा भारत, 5 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में
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