नई दिल्ली. ई-कॉमर्स क्षेत्र की दो दिग्गज कंपनियां अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा शिकंजा कसा है. इन कंपनियों और उनकी सहायक इकाइयों के खिलाफ देशभर में 20 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु और मुंबई सहित कई बड़े शहरों में हो रही इस कार्रवाई का उद्देश्य विदेशी निवेश और एफडीआई नियमों के संभावित उल्लंघन की जांच करना बताया जा रहा है. इसके बाद ई-कॉमर्स क्षेत्र में हलचल पैदा गई है.
गौरतलब है कि इन कंपनियों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन करने और अपने प्लेटफ़ॉर्म पर केवल कुछ विशेष विक्रेताओं को तरजीह देने का आरोप लगाया है.
अगस्त में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों पर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अत्यधिक छूट पर उत्पाद बेचने और छोटे व्यापारियों को प्रभावित करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले घाटे में बिकने वाले उत्पादों से बाजार में असंतुलन पैदा हो रहा है और यह छोटे व्यापारियों को बाजार से बाहर कर सकता है. गोयल ने इन कंपनियों की भारी छूट वाली नीतियों पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि उन्हें भारतीय उपभोक्ताओं से सीधे सामान बेचने की अनुमति नहीं है. ऐसे में वे अपने बिजनेस मॉडल में जो एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) का प्रयोग कर रही हैं, वह संदेह के घेरे में है.
अमेज़न और फ्लिपकार्ट का बिजनेस मॉडलअमेज़न और फ्लिपकार्ट का बिजनेस मॉडल “मार्केटप्लेस मॉडल” पर आधारित है, जिसमें ये कंपनियां सीधे उत्पाद नहीं बेच सकतीं, बल्कि एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करती हैं, जहां अन्य विक्रेता अपने उत्पाद बेच सकते हैं. भारतीय नियमों के अनुसार, विदेशी स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं है. इसके बावजूद, CCI की रिपोर्ट में यह पाया गया कि ये कंपनियां अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ विशेष विक्रेताओं को प्रमोट करती हैं, जिससे अन्य छोटे विक्रेताओं के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विक्रेताओं को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाने के साथ-साथ अन्य कई सुविधाएं दी जाती हैं.
छोटे विक्रेताओं पर बुरा प्रभावइस पूरे घटनाक्रम से भारतीय बाजार में छोटे विक्रेताओं पर दबाव बढ़ा है. वे आरोप लगाते हैं कि अमेज़न और फ्लिपकार्ट के द्वारा भारी डिस्काउंट देने की रणनीति ने उन्हें प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया है. कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) ने सितंबर में इन कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी, क्योंकि इनकी वजह से स्थानीय व्यापारियों की बिक्री पर असर पड़ा है. कैट के अनुसार, अगर ये प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियां जारी रहीं, तो लंबे समय में इसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा, जिससे बाजार में उनके पास कम विकल्प रहेंगे और कीमतें भी बढ़ सकती हैं.
Tags: Amazon App Store, Directorate of Enforcement, Enforcement directorate, Flipkart sale, Online ShoppingFIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 13:17 IST
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