Agency:IANSLast Updated:January 21, 2025, 10:52 ISTDonald Trump Tariff War- टैरिफ लगाने से दोनों देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में खटास आ सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ के जवाब में मेक्सिको और कनाडा अमेरिकी सामानों पर प्रतिशोधी टैरिफ लग…और पढ़ेंमेक्सिको और कनाडा, अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं.नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ लेते ही दो देशों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी. लेकिन, खास बात यह है कि इनमें चीन का नाम नहीं है. ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने की की बात कही. राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने आयात पर व्यापक टैरिफ लगाने का वादा किया था. उन्होंने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25% और चीन से आने वाले सामानों पर 60% तक टैरिफ लगाने की बात कही थी. अब शपथ लेते ही उन्होंने अपनी बात फिर दोहराई है. लेकिन, टैरिफ लगाने से केवल कनाडा और मैक्सिको को ही पीड़ा होगी, ऐसा भी नहीं है. इसकी आंच आम अमेरिकियों और कंपनियों पर भी आएगी. व्हाइट हाउस के अंदर भी इस नीति पर मतभेद हैं. ट्रंप के आर्थिक सलाहकारों का एक वर्ग नरम दृष्टिकोण अपनाने की वकालत कर रहा है, जबकि अन्य टैरिफ नीति को पूरी ताकत से लागू करने के पक्ष में हैं.
मेक्सिको और कनाडा, अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं. संघीय व्यापार डेटा के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने मेक्सिको से 475 बिलियन डॉलर और कनाडा से 418 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान आयात किए. यह पिछले साल अमेरिका द्वारा निर्यात किए गए सभी सामानों के मूल्य का 30 प्रतिशत है. अमेरिका ने पिछले साल कनाडा को 354 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान और मेक्सिको को 322 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान निर्यात किए, जो पिछले साल अमेरिका द्वारा निर्यात किए गए सभी सामानों के मूल्य का एक तिहाई है.
अमेरिका को भी नुकसान टैरिफ लगाने से दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में खटास आ सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ के जवाब में मेक्सिको और कनाडा अमेरिकी सामानों पर प्रतिशोधी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे अमेरिकी व्यवसायों और किसानों को नुकसान होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ नीति अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ा सकती है. टैरिफ के कारण आयातित सामान महंगे हो जाएंगे, और यह बढ़ी हुई लागत अंततः उपभोक्ताओं पर डाली जाएगी.
यूएसएमसीए समझौते की समीक्षा का निर्देशट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में हस्ताक्षरित यूएस-मेक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते (यूएसएमसीए) की समीक्षा का निर्देश दिया है. सरकारी एजेंसियों को यह आकलन करने के लिए कहा गया है कि यह समझौता अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों के लिए कितना फायदेमंद रहा है और क्या अमेरिका को इस समझौते का हिस्सा बने रहना चाहिए.
बंटी है ट्रंप के सलाहकारों की राय व्हाइट हाउस के अंदर भी इस नीति पर मतभेद हैं. ट्रंप के आर्थिक सलाहकारों का एक वर्ग नरम दृष्टिकोण अपनाने की वकालत कर रहा है, जबकि अन्य टैरिफ नीति को पूरी ताकत से लागू करने के पक्ष में हैं. डोनाल्ड ट्रंप के कोषागार सचिव के लिए चुने गए स्कॉट बेसेंट और राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के प्रमुख के लिए चुने गए केविन हैसेट ने टैरिफ के मुद्दे पर नरम दृष्टिकोण की वकालत की है. व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो और वाणिज्य विभाग के प्रमुख के लिए चुने गए हॉवर्ड लुटनिक जैसे टैरिफ समर्थकों ने तर्क दिया है कि ट्रंप जो संदेश देना चाहते हैं, उसे भेजने के लिए पूर्ण बल की आवश्यकता है.
डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीति अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है. हालांकि, यह नीति अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकती है और वैश्विक व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस नीति को कैसे लागू करता है और इसके क्या परिणाम सामने आते हैं.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 21, 2025, 10:52 ISThomebusiness’सरकार’ बनते ही ट्रंप ने दो देशों को दी 25 परसेंट टैरिफ लगाने की धमकी
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