भारत पाक‍ बंटवारे के बाद एक साल तक RBI ने छापे थे पाकिस्तानी नोट?

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नई द‍िल्‍ली. 1947 के विभाजन के बाद भी भारतीय र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया यानी RBI ने पाक‍िस्‍तान के ल‍िए मुद्रा छापी और उसे पाक‍िस्‍तान को सप्‍लाई क‍िया. दरअसल, बंटवारे के बाद पाक‍िस्‍तान के पास कोई केंद्रीय बैंक‍िंग प्रणाली नहीं थी, इसल‍िए RBI ही उनके केंद्रीय बैंक के रूप में काम करता था. इस व्‍यवस्‍था के ल‍िए दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था और मौद्रिक प्रणाली और रिजर्व बैंक आदेश 1947 के तहत औपचारिक रूप दिया गया था. इस समझौते के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 30 सितंबर 1948 तक पाकिस्तान के मौद्रिक प्राधिकरण के रूप में काम करने के लिए अधिकृत किया गया था.

पाक‍िस्‍तान के पास नहीं था कोई सेंट्रल बैंक

अगस्त 1947 में ब्रिटिश वापसी के बाद पाकिस्तान ने पाया क‍ि उसके पास कोई सेंट्रल बैंक नहीं है. आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए, RBI ने अस्थायी रूप से पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में काम किया, भारतीय मुद्रा नोटों को ओवरप्रिंट के साथ जारी किया, जिसमें अंग्रेजी में “पाकिस्तान सरकार” और उर्दू में “हकूमत-ए-पाकिस्तान” लिखा था. यह 1 जुलाई, 1948 तक जारी रहा और जब पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) शुरू क‍िया, उसके एक महीने पहले ये व्यवस्था खत्‍म की गई.

पाक‍िस्‍तान की व‍ित्‍तीय स्‍थ‍िरता में RBI का रोल

आरबीआई के एक इतिहासकार (जो नाम नहीं बताना चाहते) की मानें तो पाक‍िस्‍तान के शुरुआती महीनों में जो व‍ित्‍तीय तंगी थी, उसे पाटने में RBI ने एक महत्‍वपूर्ण ब्र‍िज की तरह काम क‍िया. हालांक‍ि उस वक्‍त भी भारत और पाक‍िस्‍तान के बीच राजनीत‍िक दरारें गहरी थीं, लेक‍िन भारत ने फ‍िर भी व्‍यावहारिक प्रतिबद्धता द‍िखाई.

लेक‍िन कश्‍मीर को लेकर पाक‍िस्‍तान की ओर से संघर्ष होने लगा और इसे देखते हुए जनवरी 1948 में, भारत ने विभाजन समझौते के तहत पाकिस्तान को देय 55 करोड़ रुपये की अंतिम किस्त रोक दी थी. फ‍िर महात्मा गांधी की वित्तीय प्रतिबद्धता का सम्मान करने के ल‍िए इस राश‍ि को जारी कर द‍िया गया. वैसे इससे सार्वजनिक असंतोष भी पैदा हुआ और ये भी कहा जाता है क‍ि गांधी जी की हत्‍या के पीछे ये भी एक वजह थी. ज‍िस महीने पाक‍िस्‍तान के लिए राश‍ि जारी हुई, उसी महीने के आख‍िर में गांधी जी की हत्‍या की गई.

पाक‍िस्‍तान में कब छपी पहली मुद्रा?

पाकिस्तान ने अक्टूबर 1948 में अपनी पहली इंड‍िपेंडेंट मुद्रा जारी की, जिसमें PKR 5, PKR 10 और PKR 100 के नोट शामिल थे. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने 1953 तक नोट जारी करने की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली, बाद में PKR 2 नोट जोड़े और 1980 के दशक तक PKR 1 नोट का उत्पादन जारी रखा. आज, ये एप‍िसोड भारत-पाक इतिहास का एक ऐसा पहलू है जिस पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है, लेकिन ये इस बात पर रोशनी डालता है क‍ि कैसे आर्थिक व्यावहारिकता ने अस्थायी रूप से राजनीतिक शत्रुता को मात दी.

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