टैक्सपेयर्स ने भरी सरकार की थाली, क्या उन्हें मिलेगी मलाई? या बजट में फिर थैंक्यू थमाकर निकल जाएगी सरकार

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Last Updated:January 14, 2025, 11:43 ISTआम बजट 2025 से पहले डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 16% बढ़कर 16.89 लाख करोड़ रुपये हो गया है. ऐसे में भारत सरकार की थाली में खूब मलाई है. अब सवाल ये है कि क्या सरकार इस मलाई का कुछ हिस्सा टैक्सपेयर्स पर भी लुटाएगी? जनता उम्मीद…और पढ़ेंIncome Tax : मैं टैक्सपेयर्स को धन्यवाद देती हूं, जो जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश के विकास में सहायता करने के लिए अपने टैक्स का भुगतान करके अपना कर्तव्य निभाते हैं… 5 जुलाई 2019 को पेश किए गए भारत के केंद्रीय बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही थी. 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार केंद्र में रिपीट हुई थी. सरकार बनने के बाद सरकार ने 5 जुलाई को देश का पूर्ण बजट (2019-20) पेश किया था. 2023-24 के बजट में भी भारत सरकार की तरफ से टैक्स देने वालों को थैंक्यू बोला गया था. हालांकि इनकम टैक्स में कोई बड़ी राहत नहीं दी गई, मगर यह जरूर कहा गया कि सरकार बोझिल टैक्स सिस्टम को आसान बनाने पर काम करेगी. वित्त वर्ष 2025-25 का आम बजट अब सिर पर है. 1 फरवरी 2015 (शनिवार) के दिन बजट पेश किया जाएगा. इस बार क्या टैक्सपेयर्स को मलाई मिलेगी? या इस बार भी एक स्माइल के साथ थैंक्यू थमा दिया जाएगा?

हम मलाई शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि डायरेक्ट टैक्स भरने वालों ने सरकार की झोली भर दी है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने 13 जनवरी 2025 (सोमवार) को डायरेक्टर टैक्स क्लेक्शन के आंकड़े जारी किए. इन आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 12 जनवरी तक 16.89 लाख करोड़ रुपये का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन हुआ है. इसमें 7.68 लाख करोड़ का कॉर्पोरेट टैक्स (नेट ऑफ रिफंड), 8.74 लाख करोड़ रुपये का नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स और 44,538 करोड़ रुपये का सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (नेट ऑफ रिफंड) शामिल है. पिछले वर्ष की इसी अवधि से तुलना करें तो इस बार 16 फीसदी ज्यादा टैक्स कलेक्ट किया गया है.

अलग-अलग इंडस्ट्री से उठ रही राहत की मांगबता दें कि डायरेक्ट टैक्स वह होता है, जो सीधे लिया जाता है. इनकम टैक्स, शेयर या प्रॉपर्टी की आय पर लगने वाले टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स इसी कैटेगरी में आते हैं.

इस बार बजट से पहले हर वर्ग टैक्स में ज्यादा छूट और राहत मांग रहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय और बड़े अर्थशास्त्रियों के बीच हुई बैठकों में इस बात पर जोर दिया गया है कि उपभोग (Consumption) को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय उपाय जरूरी हैं. ऐसा करने पर इकॉनमी का पहिया तेजी से घूमेगा. उद्योग जगत को उम्मीद है कि इस बार के बजट में वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को सरल बनाने और कंप्लायंस से जुड़ी परेशानियों को कम करने के उपायों पर जोर दिया जाएगा.

क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ का कहना है कि सरकार को स्टांप ड्यूटी कम करने पर ध्यान देना चाहिए. बढ़ी हुई स्टांप ड्यूटी खरीदारों पर भारी बोझ डाल रही है. इसके अलावा, सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग भी जोर पकड़ रही है, जिससे घर खरीदने की प्रक्रिया आसान होगी.

इनकम टैक्स स्लैबनई टैक्स प्रणाली (2023-24) : सरकार ने नई टैक्स प्रणाली लाकर इनकम टैक्स स्लैब को सरल बनाने का काम किया है. अब, 0 से 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. 3 से 6 लाख रुपये की आय पर 5%, 6 से 9 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये पर 15%, 12 से 15 लाख रुपये पर 20%, और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% कर लागू होगा. इसके अलावा, करदाताओं को 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट दी गई है, जिससे अधिकतर मध्यम वर्ग के लोगों को राहत मिली है.

पुरानी टैक्स प्रणाली (2024-25) : 2,50,000 रुपय तक की आय पर कोई कर नहीं है. 2,50,001 से 5,00,000 रुपये की श्रेणी में 5% टैक्स लागू होता है. 5,00,001 से 10,00,000 रुपये तक 20 फीसदी टैक्स लगाया गया है. इस सिस्टम में 10,00,000 से ऊपर की कमाई पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लागू होता है. इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और उससे अधिक) के लिए मूल छूट सीमा 3 लाख रुपये और अति वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष और उससे अधिक) के लिए 5 लाख रुपये होती है. पुरानी प्रणाली में करदाता विभिन्न छूटों और कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे उनकी टैक्स लायबिलिटी कम हो सकती है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 14, 2025, 11:43 ISThomebusinessटैक्सपेयर्स ने भरा सरकारी खजाना, क्या इस बजट में उन्हें ‘मलाई’ मिलेगी? या…

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