Last Updated:May 02, 2025, 11:36 ISTअभी तक बाजार के दादा विदेशी निवेशक हुए करते थे, मगर पहली बार ऐसा हुआ है कि DIIs के हाथ में कमान आई है. फिलहाल DIIs के पास FIIs से ज्यादा की होल्डिंग्स हैं. यह एक ऐसा बदलाव है, जो भारतीय बाजार को मजबूती और स्थिर…और पढ़ेंहाइलाइट्सDII (भारतीय निवेशक) ज्यादा पैसा लगा रहे हैं, FII (विदेशी निवेशक) निकाल रहे हैं.SIP के जरिए आम लोगों का निवेश बढ़ा है, जिससे बाजार को सहारा मिल रहा है.FII के उतार-चढ़ाव से बाजार प्रभावित होता है, लेकिन अब DII उसे संतुलित कर रहे हैंनई दिल्ली. शेयर बाजार में निवेश करने वाले अकसर इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि कहीं विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) सेलिंग पर न आएं. यदि वे सेलिंग करने लगे तो मार्केट का गिरना तय होता है. लेकिन इस बार भारत के छोटे निवेशकों ने बड़े पैसे वाले विदेशी निवेशकों को अपनी ताकत का अहसास करवा दिया है. यदि कहा जाए कि उन्हें उनकी औकात बता है तो गलत नहीं होगा. खबर ये है कि भारत में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) के पास विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) से अधिक वैल्यू के शेयर रखे पड़े हैं.
मार्च की तिमाही तक के आंकड़ों के मुताबिक, DIIs के पास भारतीय इक्विटी में 16.91 परसेंट हिस्सेदारी है, जबकि खुद को फन्ने खां समझने वाले FIIs के पास 16.84 फीसदी हिस्सेदारी है. आज से पहले ऐसा कभी देखने को नहीं मिला था. भारत के घरेलू संस्थागत निवेशकों ने छोटे SIP करने वाले निवेशकों के पैसे के बलबूते वो काम कर दिखाया है, जिससे FIIs को झटका तो जरूर लगा होगा. सितंबर 2024 से भारतीय शेयर बेच रहे FIIs चाहकर भी भारत के बाजारों को ज्यादा गिरा नहीं पाए.
बाजार की वोलेटिलिटी को कम करेगा ये स्ट्रक्चरल शिफ्टयह बदलाव सितंबर 2024 के अंत से शुरू हुई घरेलू खरीदारी की तगड़ी लहर के बाद आया है. NSE और NSDL के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 3.97 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 2.06 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, आसित सी. मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स के रिसर्च हेड सिद्धार्थ भामरे ने इस बदलाव को एक स्ट्रक्चरल शिफ्ट बताया. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में FII लगातार नेट सेलर्स रहे हैं, जबकि घरेलू निवेश लगातार मजबूत बना हुआ है. खासकर म्यूचुअल फंड SIP के जरिए रिटेल निवेशकों द्वारा किए गए निवेश के बलबूते. भामरे के अनुसार, इस बदलाव का तुरंत कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखेगा, लेकिन यह बाजार की वोलेटिलिटी को कम कर सकता है, क्योंकि DII का पैसा FII के मुकाबले ज्यादा स्थिर होता है.
घरेलू निवेशकों की बढ़ती भागीदारी कोई नई बात नहीं है. 2021 से ही DII, FII से आगे चल रहे हैं-
2021: DII ने 98,000 करोड़ निवेश किया, जबकि FII ने सिर्फ 26,000 करोड़ लगाए
2022: DII ने 2.76 लाख करोड़ डाले, जबकि FII ने 1.28 लाख करोड़ निकाले
2023: दोनों लगभग बराबर रहे. DII ने 1.81 लाख करोड़ रुपये डाले, जबकि FII ने 1.74 लाख करोड़ निवेश किया.
2024: DII ने 5.23 लाख करोड़ का निवेश करते हुए फिर बाजार पर कब्जा किया, जबकि FIIs ने 8,000 करोड़ की शुद्ध बिकवाली की.
2025 (अब तक): DII ने 2.1 लाख करोड़ रुपये डाले, जबकि FII ने 1.07 लाख करोड़ रुपये निकाले.
सिस्टेमैटिक्स ग्रुप के इक्विटी रिसर्च को-हेड धनंजय सिन्हा ने कहा कि हाल के वर्षों में FIIs का निवेश असंगत रहा है, जिसमें कई बार बड़ी निकासी हुई. वहीं, SIP और अन्य चैनलों से रिटेल निवेश लगातार बढ़ा है. FIIs अभी भी बाजार के अहम खिलाड़ी हैं, लेकिन ग्लोबल अनिश्चितता के दौरान उनकी बिकवाली बाजार को प्रभावित करती है. ऐसे में, घरेलू निवेशकों की भूमिका बाजार को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण हो गई है.
Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessछोटे निवेशकों ने मार्केट गिराने वाले FIIs को कर दिया ‘नंगा’, तोड़ दिया घमंड
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