अपनी प्रति घंटा कमाई निकालकर तो देखो, इसी से बदल जाएगी आपकी लाइफ

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Last Updated:June 30, 2025, 12:49 ISTकुणाल शाह ने कहा कि ज्‍यादातर भारतीय अपने समय की कीमत नहीं समझते. अधिकतर को ये ही पता नहीं है कि वे एक घंटे में कितना कमाते हैं. श्रम में महिलाओं की कम भागीदारी को भी उन्‍होंने अर्थव्‍यवस्‍था के लिए ठीक नहीं मा…और पढ़ेंकुणाल शाह ने भारत में महिलाओं की श्रम में कम भागीदारी पर भी चिंता जाहिर की.हाइलाइट्सकुणाल शाह का कहना है कि भारतीय समय की कीमत नहीं पहचानते.अमेरिका में हर व्‍यक्ति को पता है कि वह एक घंटे में कितना कमाता है.टाइम वैल्‍यू ऑफ मनी को इग्‍नोर करना भारी पड़ रहा है.नई दिल्ली. क्रेड (Cred) के संस्‍थापक और सीईओ कुणाल शाह का कहना है कि ज्‍यादातर भारतीय ‘पैसे के समय मूल्‍य’ यानी टाइम वैल्‍यू ऑफ मनी को नहीं समझते. इस वजह से वे अपना कीमती समय छोटी बचत करने के चक्‍कर में बर्बाद कर देते हैं. फोर्ब्‍स को दिए एक इंटरव्‍यू में शाह ने भारतीयों की आर्थिक सोच और सामाजिक व्यवहार पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा कि भारत में अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि उनका एक घंटे का मूल्य कितना है. अमेरिका में, चाहे कोई लॉन काटने वाला हो या बड़ी कंपनी में अधिकारी, उसे यह अच्‍छी तरह मालूम होता है कि उसकी एक घंटे में कितनी आय होती है. लेकिन भारत में ज्‍यादातर लोगों को पता ही नहीं की प्रति घंटे वे कितना कमाते हैं.शाह ने कहा कि भारत में ऐसे लोग भी हैं जो प्रति घंटे ₹10,000 कमाते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि वे ₹500 की बचत के लिए एक घंटा खर्च कर देते हैं. उन्होंने इसे ‘समय की भारी बर्बादी’ बताया. शाह ने इसे बड़ी कमजारी  कमजोरी कहा और इसे आर्थिक विकास में एक बड़ी रुकावट बताया है.

महिलाओं की कम भागीदारी चिंतनीय

कुणाल शाह ने भारत में महिलाओं की श्रम में कम भागीदारी पर भी चिंता जाहिर की. चीन की यात्रा के दौरान हुए अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि चीन में टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट कंपनियों की मीटिंग्स में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं दिखीं. इससे उन्हें यह एहसास हुआ कि भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक महिलाओं की श्रम क्षेत्र में कम भागीदारी है. उन्होंने कहा, “मैंने महसूस किया कि भारत के लिए आंकड़े काफी निराशाजनक हैं। महिलाओं की श्रम भागीदारी बेहद कम है. मैंने समझा कि अगर केवल एक लिंग ही काम कर रहा है, तो हमारी प्रति व्यक्ति आय कभी नहीं बढ़ सकती.”

शाह ने कहा कि चीन में महिलाओं की भागीदारी अधिक होने से उनकी अर्थव्यवस्था को बल मिला है. इसके विपरीत भारत में अभी भी महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, जिससे देश की प्रति व्यक्ति आय प्रभावित होती है. उन्‍होंने कहा कि जब केवल एक जेंडर ही आर्थिक रूप से सक्रिय होता है, तो सामाजिक ढांचा भी असंतुलित होता है. उन्होंने साफ कहा कि जब तक दोनों जेंडर समान रूप से अर्थव्यवस्था में भाग नहीं लेंगे, तब तक भारत समृद्धि की ओर नहीं बढ़ सकता.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessअपनी प्रति घंटा कमाई निकालकर तो देखो, इसी से बदल जाएगी आपकी लाइफ

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