निवेशक अक्सर ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना पसंद करते हैं, जो डिविडेंड देते हैं. यदि उन शेयरों का भाव न भी बढ़े, तो कम से कम डिविडेंड मिलता रहेगा. भारत के कंपनी कानून के मुताबिक, कंपनियां आमतौर पर तब डिविडेंड बांटती हैं, जब उन्हें मुनाफा होता है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में, कंपनियां अपने पुराने जमा मुनाफे (संचित आय) से भी लाभांश दे सकती हैं. मनीकंट्रोल ने ऐसी ही 22 कंपनियों की लिस्ट छापी है, जो जल्दी ही डिविडेंड देने जा रही हैं. यह बात अलग है कि उनमें से कई कंपनियों ने मुनाफा नहीं कमाया है.
इन 22 कंपनियों ने पिछले साल (FY25) में स्टैंडअलोन नुकसान होने के बावजूद लाभांश देने का ऐलान किया है. इनमें से कई कंपनियों ने अपनी सहायक कंपनियों (सब्सिडियरीज़) की वजह से समूह स्तर (कंसॉलिडेटेड) पर मुनाफा दिखाया, लेकिन कानून कहता है कि लाभांश का फैसला स्डैंटअलोन की वित्तीय स्थिति पर आधारित होना चाहिए. स्टैंडअलोन का मतलब है कि उसी कंपनी का लाभांश होना चाहिए.
CompanyStandalone Net Loss (₹ Cr)Dividend %Promoters’ Holding (%)Total Dividend (₹ Cr)Promoters’ Share in Dividend (₹ Cr)EID Parry India-428.390041.6160.0266.58Edelweiss Financial Services-51.915032.7138.2145.21Aditya Birla Real Estate-15.12050.222.3411.22SH Kelkar And Company-13.61055.513.847.68Majestic Auto-3.41007510.47.8IL&FS Investment Managers-2.21450.48.794.43Manali Petrochemicals-8.71044.98.63.86Oricon Enterprises-4.92565.77.855.1663 Moons Technologies-1.86045.65.532.52Alphageo (India)-7.680465.12.35KCP-2.42544.33.221.43Zuari Industries-37.41056.72.981.69Kakatiya Cement Sugar & Industries-13.33054.32.331.26Texmaco Infrastructure & Holdings-8.61565.81.911.26Pokarna-73056.71.861.05Indoco Remedies-8.71058.91.851.09Mysore Petro Chemicals-7.720731.320.96Prataap Snacks-34.31054.91.190.66KCP Sugar And Industries-1.71040.61.130.46HB Portfolio-0.81061.51.080.66Super Sales India-1.82559.40.770.46HB Stockholdings-121053.20.710.38Flex Foods-32.5559.90.620.37Alkali Metals-5.8569.60.510.35Rajapalayam Mills-50.2556.30.460.26Bharat Bhushan Finance-0.1654.40.20.11West Leisure Resorts0171.10.030.02MPIL Corporation-2.34.574.80.030.02
उदाहरण के लिए, ईद पैरी इंडिया (EID Parry India) ने अपनी फेस वैल्यू का 900 फीसदी का लाभांश घोषित किया है. यानी 1 रुपये के शेयर पर 9 रुपये. वहीं, एडलवाइज फाइनेशियल सर्विसेज ने 150 परसेंट का डिविडेंड, यानी 1.50 रुपये प्रति शेयर का लाभ का फैसला किया. ईद पैरी ने 160 करोड़ रुपये का लाभांश देने की योजना बनाई है, जिसमें से उनके प्रमोटर्स को करीब 66.6 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिनके पास 41.6 फीसदी हिस्सेदारी है. दूसरी ओर, एडलवाइज फाइनेंशियल 138 करोड़ रुपये का लाभांश देगी, जिसमें से 32.7% हिस्सेदारी रखने वाले प्रमोटर्स को 45 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेंगे. यह तब है जब ईद पैरी को 428 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और एडलवाइज को 52 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
नुकसान से भी ज्यादा डिविडेंड का ऐलान
इसी तरह, आदित्य बिरला रियल एस्टेट और एस.एच. केलकल एंड कंपनी (SH Kelkar and Co) ने भी नुकसान के बावजूद क्रमशः 22.4 करोड़ और 13.8 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया. कुछ अन्य कंपनियों ने 2 लाख से लेकर 10 करोड़ रुपये तक के लाभांश की घोषणा की. खास बात ये है कि कुछ कंपनियों ने अपने नुकसान से भी ज्यादा राशि लाभांश के रूप में देने का फैसला किया. जैसे कि मैजेस्टिक ऑटो (Majestic Auto) ने 3.4 करोड़ रुपये के नुकसान के बावजूद 10.4 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया. 7.8 करोड़ रुपये प्रमोटर्स को मिलेंगे. आईएल एंड एफएस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (IL&FS Investment Managers), ऑरिकॉन इंटरप्राइजेज (Oricon Enterprises), और 63 मून टेक्नोलॉजीज ने भी अपने नुकसान से ज्यादा लाभांश देने का ऐलान किया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
विशेषज्ञों का कहना है कि नुकसान में चल रही कंपनियों को लाभांश देने से पहले अपने कर्जदाताओं (लेंडर्स) की सहमति लेनी चाहिए. यह एक सुरक्षा उपाय है ताकि गलत तरीके से पैसा न बांटा जाए. साथ ही, कंपनियों को लाभांश देने से पहले कई बातों पर ध्यान देना होता है, जैसे उनकी भविष्य की योजनाएं, शेयरों की कीमत, और वैश्विक परिस्थितियां जो उनके खर्चों को प्रभावित कर सकती हैं.
कानून यह भी कहता है कि पुराने मुनाफे से लाभांश देने की कोई सीमा नहीं है, लेकिन सामान्य रिजर्व से लाभांश देने की सख्त शर्तें हैं. किसी भी स्थिति में, कंपनियों को पहले अपने नुकसान और डेप्रिसिएशन को समायोजित करना होता है. पुराने मुनाफे से लाभांश देने के लिए बोर्ड बिना शेयरधारकों की मंजूरी के अंतरिम लाभांश दे सकता है, लेकिन सामान्य रिजर्व से लाभांश देने के लिए शेयरधारकों की सहमति जरूरी है.
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