क्‍या चीन तोड़ देगा भारत का EV मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब बनने का सपना?

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Last Updated:June 03, 2025, 07:30 ISTभारत ने वित्त वर्ष 2024 में करीब 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात किए थे, जिनमें से अधिकांश चीन से आए थे. वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 700 टन तक पहुंचने की उम्मीद है.चीन से भारतीय कंपनियों को अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है, जबकि कुछ यूरोपीय कंपनियों को हरी झंडी मिल चुकी है.हाइलाइट्सचीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर कड़े नियम लगाए.TVS और बजाज ऑटो ने उत्पादन प्रभावित होने की चेतावनी दी.सरकार ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है.नई दिल्ली. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए सरकार नई ईवी पॉलिसी लेकर आई है. इस पॉलिसी में बहुत सी विदेशी कंपनियों ने रुचि भी दिखाई है. लेकिन, लगता है यह सब चीन को रास नहीं आ रहा है. चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर कड़े नियम लागू कर दिए हैं, जिससे भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट की सप्लाई चेन पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. TVS  मोटर और बजाज ऑटो जैसी दिग्गज कंपनियों ने इस पर गहरी चिंता जताई है. रेयर अर्थ मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाला एक बेहद अहम कंपोनेंट है, जो मोटर, ब्रेक, वाइपर और ऑडियो सिस्टम जैसी कई जरूरी चीजों में इस्तेमाल होता है.

ये खास मैग्नेट नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) से बने होते हैं. भारत ने वित्त वर्ष 2024 में करीब 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात किए थे, जिनमें से अधिकांश चीन से आए थे. वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 700 टन तक पहुंचने की उम्मीद है. चीन ने अप्रैल से इन मैग्नेट्स के निर्यात पर लाइसेंस और एंड-यूज सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया है. इसका असर यह हुआ है कि भारत के लिए भेजे गए कई कंटेनर चीनी बंदरगाहों पर अटक गए हैं. भारतीय कंपनियों को अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है, जबकि कुछ यूरोपीय कंपनियों को हरी झंडी मिल चुकी है.

उद्योग में बढ़ी बेचैनी

TVS मोटर के एमडी सुदर्शन वेणु ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति नहीं बदली, तो जून-जुलाई से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर उत्पादन प्रभावित हो सकता है. उन्होंने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा, “शॉर्ट टर्म से मीडियम टर्म तक उत्पादन रुक सकता है और कीमतों में भी बढ़ोतरी संभव है.” बजाज ऑटो ने भी हाल ही में अपनी चौथी तिमाही के नतीजों में इसे “dark cloud on the horizon” यानी ‘क्षितिज पर मंडराता संकट’ बताया. कंपनी ने कहा कि अगर समय रहते समाधान नहीं मिला, तो जून से प्रोडक्शन रुक सकता है.

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सरकार की तैयारी

हालात को देखते हुए भारत सरकार ने चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है. भारी उद्योग मंत्रालय ने 3 जून को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ मैग्नेट्स के उत्पादन, सपोर्ट फ्रेमवर्क, इंसेंटिव और इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी. फिलहाल करीब 30 भारतीय आवेदनों को मंजूरी मिल चुकी है और अब चीन से अंतिम स्वीकृति का इंतजार है. लेकिन जब तक चीन से ‘हरी झंडी’ नहीं मिलती, भारतीय EV सेक्टर के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.

भारत में ईवी बनाने को उत्‍सुक हैं विदेशी कंपनियां

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को बताया था कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण को लेकर मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हुंडई और किया जैसी दिग्गज ऑटो कंपनियों ने रुचि दिखाई है. ये कंपनियां ‘भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार निर्माण को बढ़ावा देने की योजना’ के तहत सरकार के साथ चल रही बातचीत में भाग ले रही हैं. भारत की ईवी पॉलिसी के अंतर्गत, कंपनियां 15 फीसदी के काफी कम शुल्क पर सालाना 8,000 EV तक आयात कर सकती हैं. बशर्ते कि वे तीन वर्षों के भीतर घरेलू प्रोडक्शन यूनिट लगाने के लिए कम से कम ₹4,150 करोड़ (लगभग $500 मिलियन) का निवेश करें.
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