Last Updated:July 18, 2025, 11:15 ISTChina vs India : ग्लोबल मार्केट में बढ़ते भारत के रसूख को चीन पचा नहीं पा रहा है और उसने भारतीय उद्योग को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया. डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ जाकर चीन ने कई जरूरी उपकरणों और मिनिरल का…और पढ़ेंचीन ने भारतीय उद्योग को नुकसान पहुंचाने के लिए निर्यात रोक दिया है. हाइलाइट्सचीन ने भारतीय उद्योग को 2.75 लाख करोड़ का नुकसान पहुंचाया.चीन ने कई जरूरी उपकरणों और मिनिरल का निर्यात रोक दिया.ICEA ने सरकार से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई.नई दिल्ली. भारत अपने पड़ोसी चीन से कितने भी रिश्ते सुधारने की कोशिश कर ले, ड्रैगन अपनी दगाबाजी से बाज नहीं आता है. दुनिया में बढ़ते भारत के दबदबे और चीन का विकल्प बनने की उसकी कोशिश पड़ोसी को रास नहीं आ रही. उसने ऐसा खेल खेला, जिससे भारतीय उद्योग को 32 अरब डॉलर (करीब 2.75 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है. उद्योग जगत ने तत्काल सरकार से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई है, ताकि आने वाले खतरे को समय से पहले टाला जा सके.
उद्योग संगठन ICEA ने सरकार से गुहार लगाई है कि चीन ने कई ऐसे उपकरणों का निर्यात बंद कर दिया है, जो हमारे स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में उपयोग होता है. इसकी वजह से देश के 32 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट लिंक्ड मैन्युफैक्चरिंग पर खतरा पैदा हो गया है. उद्योगों का उत्पादन कम होने की वजह से देश के निर्यात पर गंभीर संकट पैदा हो सकता है. साथ ही मेक इन इंडिया और पीएलआई जैसी स्कीम को भी इससे नुकसान पहुंच सकता है. यह स्थिति भारत के निर्यातकों का दुनियाभर के बाजारों से जुड़ाव भी खत्म कर सकती है.
अपने एक्सपर्ट को भी रोक रहा चीन
चीन ने भारत को निर्यात किए जाने वाले कई जरूरी उपकरणों, मिनरल को भेजने से मना कर दिया है. इतना ही नहीं अपने तकनीकी विशेषज्ञों को भी भारतीय इंडस्ट्री को सहयोग करने से रोक दिया है. ये सभी चीजें इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए काफी जरूरी हैं. यह स्थिति भारत की उन उपलब्धियों पर बट्टा लगा सकती है, जिसे हाल में ही हासिल किया गया है. साथ ही ग्लोबल वैल्यू चेन में बढ़ती भारत की साख को भी नुकसान पहुंच सकता है.
कैसे चालबाजी कर रहा ड्रैगनचीन ने अपने किसी भी निर्यात प्रतिबंध को लिखित रूप में पारित नहीं किया है. चीन की सरकार ने 3 खास जगहों पर भारतीय निर्यात को प्रभावित करने की चाल चली है और यह पूरी तरह सुनियोजित है. इसमें से किसी भी प्रतिबंध के लिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन नहीं जारी किए गए, बल्कि सिर्फ मौखिक रूप से ही सारे आदेश कस्टम एडमिनिस्ट्रेशन को दिए गए हैं. इसमें से किसी भी प्रतिबंध में चीन सरकार वाणिज्य मंत्रालय का दखल भी नहीं दिख रहा है.
ऐसा क्यों कर रहा है चीन
इंडियन सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रो ने संचार इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीकी मंत्री अश्विणी वैष्णव को भेजे पत्र में कहा है कि चीन की इन सारी कारगुजारियों का मंशा सिर्फ भारतीय क्षमताओं को प्रभावित करना है. ग्लोबल मार्केट में बढ़ती उसकी उपस्थिति को कमजोर बनाने के लिए ही ड्रैगन यह सारी चालें चल रहा है. ICEA देश की बड़ी मोबाइल निर्माता कंपनियों का संगठन है, जिसमें ऐपल, फॉक्सकॉन, लावा, डिक्सन, गूगल, फ्लेक्स, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और चाइनीज ब्रांड जैसे ओप्पो, वीवो और शाओमी भी आते हैं. संगठन ने इन कंपनियों की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और DPIIT को भी पत्र लिखा है.
आईफोन के पीछे क्यों पड़ा है चीनचीन ने सबसे ज्यादा परेशान ऐपल को किया है, क्योंकि उसने अपना ज्यादातर प्रोडक्शन चीन से हटाकर भारत में शिफ्ट करने और यहां अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रही है. यही वजह है कि ऐपल के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी फॉम्सकॉन को चीन के दबाव की वजह से भारत में काम कर रहे उसके 300 इंजीनियरों को वापस भेजना पड़ा. इससे ऐपल के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका थी. हालांकि, कंपनी ने अन्य प्लांट से विशेषज्ञों को बुलाकर इसकी भरपाई कर दी.Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessदगाबाज चीन! भारत को पहुंचाना चाहता है 2.75 लाख करोड़ का नुकसान, क्या है हल
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