Last Updated:January 17, 2025, 12:36 ISTआम बजट 2025-26 से स्वास्थ्य क्षेत्र को बहुत उम्मीदें हैं. महंगे इलाज से जूझ रहे लोग और अस्पताल व दवा कंपनियां रियायतों की उम्मीद कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर GST कम करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट बढ़ाना और…और पढ़ेंकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करेंगी.नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करेंगी. यह उनका आठवां बजट होगा. भारत के चौतरफा विकास में हेल्थ सबसे पहले नंबर पर है. यही वजह है कि देश में हेल्थ और फार्मा सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और इस बजट से इन क्षेत्रों को कई अहम उम्मीदें हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अगर सही कदम उठाए तो हेल्थ और फार्मा सेक्टर नई ऊंचाइयां छू सकता है. जैसे हर बार होता है, इस बार भी सभी सेक्टरों को इस बजट से उम्मीदें हैं. हेल्थ सेक्टर की उम्मीदें इस बजट से खासतौर पर बढ़ी हुई हैं. जहां एक ओर आम आदमी महंगे इलाज से राहत की तलाश में है, वहीं अस्पताल और दवा कंपनियां अपनी कमाई में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही हैं.
भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र राजस्व और रोजगार के लिहाज से सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है. यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के सीएमडी डॉ. पीएन अरोड़ा ने कहा, “आने वाले बजट से उम्मीद है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर लगने वाले इनपुट जीएसटी को कम करेगी. हाल की रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि बीमा कंपनियों द्वारा वसूले जाने वाले प्रीमियम और दिए जाने वाले क्लेम के बीच बड़ा अंतर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रणाली में सुधार की जरूरत है.”
डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि सरकार अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के बजट में वृद्धि करे और निजी क्षेत्र को सहयोग देने के लिए प्रोत्साहन दे, तो लोगों को बेहतर इलाज मिल सकता है. खासकर उन इलाकों में जहां स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं, वहां बुनियादी ढांचे में सुधार जरूरी है ताकि हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें.
फार्मा सेक्टर को भी काफी उम्मीदेंइंफॉर्मा मार्केट्स इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास का कहना है कि भारतीय फार्मा सेक्टर पारंपरिक रूप से काफी मजबूत रहा है. यह क्षेत्र बड़े परिवर्तन के मुहाने पर है और 2030 तक 130 बिलियन और 2047 तक 450 बिलियन डॉलर के बाजार तक पहुंचने की उम्मीद है. इसे प्राप्त करने के लिए हम अपेक्षा करते हैं कि आगामी बजट में ऐसी नीतिगत उपाय किए जाएं, जो वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को सुदृढ़ करें और ‘विकसित भारत’ के लिए इस क्षेत्र की क्षमताओं को बढ़ावा दें. सरकार को ऐसी जीवन रक्षक दवाओं की सूची का विस्तार करने पर भी विचार करना चाहिए, जिन्हें जीएसटी/आयात शुल्क से छूट दी जा सके.
मुद्रास ने इसके अलावा कहा कि अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन देने और भारत में फार्मास्युटिकल उत्पादों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने वाले उपायों को अपनाना फायदेमंद होगा. इसके साथ ही, घरेलू एपीआई (API) निर्माताओं को प्रोत्साहित करने और पीएलआई (PLI) योजनाओं का विस्तार करने से स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जो ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल के अनुरूप है. उन्होंने कहा, “CPHI और P-MEC इंडिया के आयोजकों के रूप में, हम फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए एक समृद्ध इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन नीतियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो इस क्षेत्र की वृद्धि, इनोवेशन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगी.”
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 17, 2025, 12:36 ISThomebusinessबजट: महंगे इलाज से राहत की तलाश में आम आदमी, हेल्थ सेक्टर की निगाहें सरकार पर
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