Last Updated:February 01, 2025, 12:15 ISTBudget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 1 लाख करोड़ रुपये का शहरी चुनौती कोष (Urban Challenge Fund) स्थापित करने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना है.हाइलाइट्सशहरी विकास के लिए ₹1 लाख करोड़ का फंड घोषित.25% फंड बैंक योग्य परियोजनाओं के लिए.स्मार्ट सिटी और उन्नत बुनियादी ढांचे पर जोर.दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में लगातार आठवीं बार केंद्रीय बजट पेश कर रही हैं. अपने भाषण में उन्होंने कैबिनेट से कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार शहरों को विकास केंद्र बनाने के प्रस्तावों को लागू करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का अर्बन चैलेंज फंड (Urban Challenge Fund) स्थापित करेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “शहरी क्षेत्र में सुधारों के लिए जुलाई के बजट प्रस्तावों पर आधारित एक योजना बनाई गई है. इसमें शहरी शासन, नगरपालिका सेवाएं, शहरी भूमि और योजना से जुड़े सुधार होंगे. इसके लिए सरकार 1 लाख करोड़ रुपये का एक “अर्बन चैलेंज फंड” स्थापित करेगी, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों को विकास केंद्र के रूप में विकसित करना, शहरों का रचनात्मक पुनर्विकास (Creative redevelopment) करना और जल व स्वच्छता के उद्देश्यों को पूरा करना है. इस फंड से बैंक योग्य परियोजनाओं की लागत का 25% तक वित्तपोषण किया जाएगा और यह शर्त होगी कि कम से कम 50% लागत बांड, बैंक लोन और पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) से वित्तपोषित हो. 2025-26 के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्तावित किया गया है. “
शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए एक बड़ा कदमसरकार ने ऐलान किया है कि ₹1 लाख करोड़ का Urban Challenge Fund शुरू किया जाएगा. क्या मतलब है इसका? यानि, यह फंड अब हमारे शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए इस्तेमाल होगा. सीधे कहें तो, ये फंड शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और उन्हें ग्रोथ हब बनाने के लिए एक बड़ा कदम है
गौरतलब है कि देश के शहरों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब जब आबादी बढ़ रही है, तो शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी उसी हिसाब से विकसित करना पड़ता है. पर समस्या ये है कि जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, वो उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा. नतीजतन, ट्रांसपोर्टेशन, हाउसिंग, कचरा प्रबंधन और सैनेटेशन जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं. ये तो आप जानते हैं कि सरकार और प्राइवेट कंपनियों दोनों मिलकर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए काम करते हैं, जैसे कि सड़कों का निर्माण, पुल बनाना, एयरपोर्ट्स बनाना या फिर अस्पताल. बता दें कि PPP structure यानी Public-Private Partnership Structure का मतलब होता है किसरकार और प्राइवेट कंपनियों का प्रोजक्ट पर एक साथ काम करने का एक तरीका है.
PPP structure में क्या होता है ?सरकार और प्राइवेट कंपनियां दोनों मिलकर रिस्क उठाती हैं, काम बांटती हैं और एक दूसरे की मदद करती हैं. मतलब, सरकार जमीन देती है, फंड देती है, और पॉलिसी बनाती है, जबकि प्राइवेट कंपनियां काम करने का तरीका, योजना और प्रबंधन संभालती हैं.
यानी न? सरकार पर पूरा खर्चा करें और काम भी जल्दी और सही तरीके से हो, यही है इस पूरी योजना का मकसद. दोनों का साथ इस तरीके से होता है कि एक तरफ से सरकार का हित और दूसरी तरफ से प्राइवेट कंपनियों का एक्सपर्टाइज दोनों मिलकर एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करते हैं.
First Published :February 01, 2025, 12:03 ISThomebusinessस्मार्ट सिटी बनने की राह होगी आसान! बजट में शहरी विकास के लिए ₹1 लाख करोड़
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