BrahMos Missile. भारत-पाकिस्तान में युद्ध विराम के बीच ब्रह्मोस मिसाइल की चर्चा दुनिया भर में होने लगी है. दुनिया के अलग-अलग देशों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर ब्रह्मोस ने कैसे रडार को धोखा देते हुए पाकिस्तान की बर्बादी की कहानी लिख दी. पाकिस्तान 86 घंटे में ही भारत के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो गया. ब्रह्मोस मिसाइल ने वो कर दिखाया, जो अब तक किसी मिसाइल ने नहीं किया है. ब्रह्मोस के पराक्रम को देखकर दुनिया के लगभग 17 देशों ने इसे खरीदने का फैसला कर लिया है या ऑर्डर दे दिया है. खास बात यह है कि चीन का एक दुश्मन देश और भारत के मित्र देश ने लगभग 4000 करोड़ रुपये में ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का सौदा कर लिया है. चीन का दुश्मन देश फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप भी मिल गई है.
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद और ब्रह्मोस मिसाइल के पराक्रम को देखकर दुनिया के कई देशों ने इसे खरीदने का फैसला किया है. भारत की कई देशों के साथ इसको लेकर बातचीत चल रही है. भारत ने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेश किया है, जिसे इसकी उन्नत तकनीक और सुपरसोनिक क्षमताओं के कारण पसंद किया जा रहा है. भारत का लक्ष्य 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सैन्य हथियार निर्यात का है, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है.
इन देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का ऑर्डर दिया है:
फिलीपींसभारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया है. अप्रैल 2024 में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप फिलीपींस को सौंपी गई. यह भारत का ब्रह्मोस मिसाइल का पहला निर्यात ऑर्डर है. फिलीपींस ने तीन बैटरी मिसाइलें खरीदीं, जिन्हें दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ तैनात किया जाएगा.
इंडोनेशियाइंडोनेशिया 450 मिलियन डॉलर की लागत से ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है. यह सौदा भारत-पाकिस्तान की जंग के बाद और प्रबल हो गया है.
इसके साथ ही वियतनाम, अफ्रीकी देश, लैटिन अमेरिकी देश और मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र के कुछ देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई है. विशेष रूप से, सुखोई-30 लड़ाकू जेट संचालित करने वाले MENA देश इसके हवाई संस्करण में रुचि रखते हैं. हालांकि, इन देशों के साथ सौदे अभी अंतिम चरण में नहीं पहुंचे हैं. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के पराक्रम और भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद ब्रह्मोस मिसाइल की मांग बढ़ने की खबर है.
ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस की सटीकता, गति, और बहु-प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमता को विश्व मंच पर प्रदर्शित किया, जिससे इसे खरीदने की रुचि बढ़ी है. दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ तनाव के कारण दक्षिण-पूर्व एशियाई देश (जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया) ब्रह्मोस को एक रणनीतिक हथियार के रूप में देख रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणालियों की असफलता ने ब्रह्मोस की अजेयता को उजागर किया, जिससे अन्य देशों में इसकी मांग बढ़ सकती है.
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियतेंब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम (DRDO और NPO Mashinostroyeniya) द्वारा विकसित विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
गतिमैक 2.8-3.0 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना), जो इसे अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल से दोगुनी तेज बनाती है.
रेंजशुरुआत में 290 किमी, अब नवीनतम संस्करण में 450-800 किमी तक बढ़ाई गई. भारत के MTCR में शामिल होने के बाद रेंज बढ़ाना संभव हुआ.
प्लेटफॉर्म क्षमताइसे जमीन, समुद्र, पनडुब्बी, और हवा (सुखोई Su-30MKI) से लॉन्च किया जा सकता है.फायर एंड फॉरगेट: लॉन्च के बाद मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह “दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है.
मैन्यूवरेबिलिटीलक्ष्य के मार्ग बदलने पर भी यह अपना मार्ग समायोजित कर सटीक निशाना लगा सकती है.पेलोड: 200-300 किलोग्राम पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम.
स्टेल्थ और सटीकताकम ऊंचाई (10 मीटर) पर उड़ान, रडार से बचने की क्षमता और अत्यधिक सटीक निशाना. यह आधुनिक हवाई रक्षा प्रणालियों (जैसे S-400) को चकमा देने में सक्षम है.
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