क्‍या तुर्की एयरलाइन के साथ अपना समझौता तोड़ेगी इंडिगो? आ गया कंपनी का जवाब

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नई दिल्‍ली. तुर्की द्वारा पाकिस्‍तान को खुलकर मदद करने के बाद से ही भारत में ‘बॉयकाट तुर्की’ (BoycottTurkey) अभियान चल पड़ा है. तुर्की ने पाकिस्‍तान को हथियार सप्‍लाई किए, जिसका इस्‍तेमाल भारत के खिलाफ किया गया. इसके बाद से देशभर में तुर्की के खिलाफ व्‍यापक पैमाने पर नाराजगी और गुस्‍सा है. इंडिगो एयरलाइंस भी अब तुर्की एयरलाइंस के साथ अपने कोडशेयर साझेदारी को लेकर निशाने पर आ गई है. बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया मंचों के माध्‍यम से एयरलाइन से तुर्की एयरलाइंस के साथ अपने इस समझौते को तोड़ने की अपील की है. यही वजह है कि अब इंडिगो को अब अपने इस समझौते के बचाव में खुलकर सामने आना पड़ा है. इंडिगो ने दलील दी है कि यह समझौता भारतीय यात्रियों और इंडियन इकोनॉनी, दोनों के लिए फायदेमेंद है.

कोडशेयर समझौता ऐसा एग्रीमेंट है जिसमें दो या दो से अधिक एयरलाइंस एक ही उड़ान के लिए एक ही विमान का इस्‍तेमाल करती हैं, लेकिन प्रत्येक एयरलाइन अपनी ब्रांडिंग और टिकट बिक्री करती है. इंडिगो और तुर्की एयरलाइंस के बीच कोडशेयर समझौता एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत यात्री दोनों एयरलाइनों में से किसी के माध्यम से टिकट बुक करके साझा गंतव्यों के नेटवर्क में उड़ान भर सकते हैं.इंडिगो की सफाई

कंपनी ने जारी किया बयान

IndiGo ने एक बयान जारी कर कहा कि यह साझेदारी भारतीय यात्रियों और देश की अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए फायदेमंद है. एयरलाइन ने बताया कि भारत और तुर्किये के बीच हुए द्विपक्षीय एयर सर्विस एग्रीमेंट (Air Services Agreement) के तहत दोनों देशों की एयरलाइंस को सप्ताह में 56 फ्लाइट्स तक संचालित करने की अनुमति है. एयरलाइन ने जोर दिया कि यह व्यवस्था खासतौर पर कोविड महामारी के बाद बढ़े हुए अंतरराष्ट्रीय किरायों के बीच भारतीय यात्रियों को सस्ता और सुगम विकल्प देती है, खासकर छोटे शहरों से दो स्टॉप कनेक्शन के जरिए उड़ान भरने वालों के लिए. इंडिगो ने कहा, “कोडशेयर ने इंडिगो को यूरोप और अमेरिका के लंबी दूरी वाले बाजारों में अपनी उपस्थिति बनाने में मदद की है. यह भविष्य में आत्मनिर्भरता की नींव रखता है, यानी एयरलाइन के 40 ए321 एक्सएलआर और 30 ए350 विमानों के ऑर्डर के साथ अपनी खुद की लंबी दूरी की सेवाएं शुरू करने की दिशा में एक कदम है.”

रोजगार के अवसर बढ़े

IndiGo ने कहा, “यह साझेदारी सिर्फ यात्रा तक सीमित नहीं है. इससे नौकरी के अवसर बढ़े हैं, व्यापार को बल मिला है और सरकारी टैक्स कलेक्शन में इज़ाफा हुआ है.” एयरलाइन के अनुसार, इस कोडशेयरिंग मॉडल से विमानों की उपयोगिता बनी रहती है और इससे भारत और तुर्की के बीच अरबों डॉलर का व्यापार भी सुगम होता है. साथ ही इससे मिलने वाला राजस्व कंपनी की अंतरराष्ट्रीय विस्तार योजना में पुनर्निवेश होकर भारत की एविएशन इंडस्ट्री को और मजबूती देता है.

लोग नाराज

हालांकि सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस साझेदारी पर नाराज़गी जाहिर की है और इंडिगो से तुर्की एयरलाइन से दूरी बनाने की मांग की है. एक यूज़र ने X पर लिखा, “वर्तमान भारत-पाकिस्तान तनाव को देखते हुए इंडिगो को तुर्की एयरलाइंस के साथ अपनी साझेदारी पर पुनर्विचार करे और एयर इंडिया भी तुर्किश टेक्निक के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करे.”

एक यूज़र ने लिखा, “@IndiGo6E आप तुर्की एयरलाइंस के साथ अपनी साझेदारी कब समाप्त करेंगे? वे हमारे नागरिकों से मुनाफा कमा रहे हैं और उसका उपयोग हमारे देश के खिलाफ कर रहे हैं. एक अन्‍य यूजर ने कहा, “इंडिगो को तुर्की एयरलाइंस के साथ कोडशेयर बंद करना चाहिए. हम आम लोगों से देशभक्ति की उम्मीद करते हैं लेकिन कॉरपोरेट्स तो पैसा कमाते रहते हैं, भले ही वो राष्ट्रविरोधी काम कर रहे हों.”

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