Last Updated:January 10, 2025, 11:06 ISTफैबइंडिया को हर घर तक पहुंचाने के पीछे बिमला बिस्सेल का दिमाग था. उनका 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. पति जॉन के साथ मिलकर उन्होंने फैबइंडिया को सिर्फ़ एक ब्रांड बनाया और हजारों लोगों को रोजगार भी दिया.बिमला नंदा बिस्सेल का 93 की आयु में निधन हो गया.नई दिल्ली. 93 वर्षीय बिमला ‘बिम’ बिस्सेल का निधन हो गया है. यही वे महिला थीं, जिन्होंने फ़ैबइंडिया (FabIndia) को भारत के हर घर में लोकप्रिय बनाया. उनकी ज़िंदगी भारतीय कारीगरों और हस्तशिल्प को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की एक ऐसी कहानी है, जो प्रेरित करती है. अपनी अनूठी शैली और बच्चों की शिक्षा के प्रति समर्पण के साथ बिम बिस्सेल ने फैशन और भारतीय हस्तशिल्प को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. भारतीय फैशन और कारीगरी की दुनिया में उनका योगदान मील का पत्थर है.
1960 में जॉन बिस्सेल नामक एक शख्स ने फ़ैबइंडिया की शुरुआत की. उस समय बिमला ने अमेरिका के राजदूतों की सोशल सेक्रेटरी के रूप में काम किया था. जॉन के साथ उन्होंने फ़ैबइंडिया के उत्पादों को केवल वस्त्रों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि हस्तशिल्प, पारंपरिक चांदी के आभूषण, फर्नीचर, और घर की सजावट तक विस्तारित किया. उनके प्रयासों से फ़ैबइंडिया ने देशभर के कारीगरों को जोड़ा और उनके हुनर को एक नई पहचान दी.
1960 के दशक में बिम ने दिल्ली के तुग़लक रोड पर “प्लेहाउस स्कूल” शुरू किया. शिक्षा के प्रति उनका समर्पण 2021 में भी दिखा जब उन्होंने सुंदर नर्सरी में एक और प्लेहाउस की स्थापना की. यह उनकी सोच और बच्चों के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है.
सांस्कृतिक विरासत को संजोने वाली बिमबिम की हस्तशिल्प के प्रति निष्ठा उनके पहनावे में भी दिखती थी. हैंडलूम साड़ियों के साथ पारंपरिक चांदी के कंगन उनकी पहचान थे. दिल्ली के सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में उनकी मौजूदगी हमेशा खास मानी जाती थी.
शशि थरूर ने बिम बिस्सेल को दी श्रद्धांजलिकांग्रेस सांसद शशि थरूर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “बिम बिस्सेल अब हमारे बीच नहीं है. उनकी जीवंतता और लगन ने फ़ैबइंडिया को भारत का एक प्रमुख ब्रांड बनाया. कारीगरों को सशक्त बनाने और भारतीय हस्तशिल्प को स्टाइलिश बनाने में उनका काम अभूतपूर्व था. उनकी कमी हमेशा खलेगी.”
फ़ैबइंडिया की कहानी1958 में फोर्ड फाउंडेशन ने अमेरिकी शख्स जॉन बिसेल को भारत भेजा था. भारत की कला और कारीगरों से प्रभावित होकर उन्होंने यहीं बसने का फैसला किया. 1960 में, उन्होंने अपनी दादी से मिले 95,000 रुपये से फैबइंडिया की शुरुआत की थी. 1976 में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने दिल्ली में पहला रिटेल आउटलेट खोला. जॉन बिसेल को भारत इतना रास आया कि वे यहीं के होकर रह गए. उन्होंने बिमला नंदा से शादी की, जिन्हें बिमला ‘बिम’ बिस्सेल के नाम से जाना जाता था. जॉन बिसेल पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुके हैं.
1994 तक कंपनी ने 12 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया. जॉन बिस्सेल के निधन के बाद उनके बेटे विलियम नंदा बिसेल ने कंपनी को और विस्तार दिया. 2006 में ऑर्गेनिक फूड, ज्वेलरी, और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स भी लॉन्च किए. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आज फैबइंडिया 16,000 करोड़ रुपये की कंपनी है जिसमें 55,000 कारीगर और 400 से अधिक स्टोर शामिल हैं. यह भारतीय कला और कारीगरों को वैश्विक पहचान दिलाने में अग्रणी बनी हुई है.
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