फसल बचाने वाली कंपनी लील गई लाखों जिंदगी, बड़ा काला है यूनियन कार्बाइड का इतिहास

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Bhopal Gas Tragedy: दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी ‘भोपाल गैसकांड’ की आज 40वीं बरसी है. 2-3 दिसंबर की उस काली रात को यूनियन कार्बाइड के प्लांट से मिथाइल आइसोसायनाइड जैसी जहरीली गैस के रिसाव ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. इस बेहद दुखद हादसे को बीते 40 साल हो गए हैं लेकिन इसके जख्म उस वक्त जन्मे बच्चों मे आज भी देखने को मिल रहे हैं. इस मानव इतिहास के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल डिजास्टर के बाद जब पीड़ितों को मदद की दरकरार थी तो यह कंपनी भारत से अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर भाग गई. आइये आपको बताते हैं इस कंपनी की पूरी कुंडली और इतिहास.

कब बनी थी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन

यूनियन कार्बाइड एंड कार्बन कॉरपोरेशन की स्थापना 1 नवंबर 1917 को हुई थी. यह कंपनी केमिकल इंडस्ट्री में सक्रिय थी. यह कंपनी विभिन्न प्रकार रसायनिक पदार्थ तैयार करती थी. भारत में इस कंपनी का आगमन साल 1934 में हुआ, जब कंपनी ने भारतीय बाजार में खुद को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के तौर पर रजिस्टर्ड कराया. भारत में यह कंपनी कीटनाशक बनाती थी. इसके लिए कंपनी के प्लांट में मिथाइल आइसोसाइनेट जैसी घातक गैस का इस्तेमाल किया जाता था. इसी गैस का रिसाव कंपनी के भोपाल स्थित प्लांट से 2-3 दिसंबर की दरिम्यानी रात को हुआ था. भारत में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के देशभर में 14 प्लांट्स थे. 40-50 साल पहले कंपनी के उत्पादों की वार्षिक बिक्री 200 मिलियन डॉलर (1694 करोड़ रुपये) थी.

कब बना था भोपाल प्लांट

यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ने भोपाल प्लांट साल 1969 में बनाया था. यहां कृषि कार्यों में इस्तेमाल किए जाने वाले पेस्टिसाइड प्रोडक्ट्स तैयार किए जाने लगे. लेकिन, दिसंबर 1984 में गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के प्लांट के उल्टे दिन शुरू हो गए और फिर यहां कभी काम शुरू नहीं हो सका. भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड और उसकी सब्सिडरी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड, भारत व अमेरिका में कानूनी मुकदमों में फंस गई. हालांकि, अमेरिकी कोर्ट ने कंपनी को गैस त्रासदी के सभी आरोपों से बरी कर दिया, जबकि भारत में यूनियन कार्बाइड और इसके चेयरमैन वारेन एंडरस को दोषी माना.

UCIL और UCC दोनों बिक गईं

1994 में यूनियन कार्बाइड ने यूसीआईएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी कलकत्ता के मैकलॉड रसेल इंडिया लिमिटेड को बेच दी, जिसने कंपनी का नाम बदलकर एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड (ईआईआईएल) कर दिया. वहीं, सन 2001 में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने अपना कारोबार डाऊ केमिकल्स को बेच दिया.

40 साल में यूनियन कार्बाइड को भोपाल गैस त्रासदी के आरोपों से मुक्ति मिल गई. कंपनी ने अपना कारोबार तक बेच दिया, लेकिन भोपाल गैस पीड़ितों को पूरी तरह से इंसाफ नहीं मिला. मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, इस गैस रिसाव में कुल 3,787 मौतें हुईं और करीब 558,125 लोग प्रभावित हुए. इनमें 38,478 को हेल्थ इश्यू हुए और लगभग 3,900 लोग स्थायी रूप से शारीरिक रूप से अक्षम हो गए.
Tags: Bhopal Gas Tragedy, Bhopal news, Business newsFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 13:39 IST

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