दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड, छोटे-बड़े सब लुट गए, दोषी को हुई 150 साल की कैद

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हाइलाइट्सबर्नार्ड मैडॉफ स्‍कैंडल को माना जाता है दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला.इस घोटाला में 5 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा की रकम हड़प ली गई थी. इस घोटाले के आरोपी बर्नार्ड मैडॉफ को 150 साल की कैद हुई. नई दिल्‍ली. दुनिया में बहुत से वित्‍तीय घोटाले हुए हैं. अभी हो भी रहे हैं. इन घोटालों में से कुछ फ्रॉड ने सरकारों तक को हिलाकर रख दिया. लेकिन, क्‍या आपको पता है कि आज तक सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड कब, कहां और कैसे हुआ? किसने किया? अगर नहीं तो, आज जान लें. ये घोटाला हुआ था दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में. ‘बर्नार्ड मैडॉफ’ नामक इस घोटाले में हजारों नहीं लाखों करोड़ रुपये हड़प लिए गए. जी हां, करीब ₹5,39,500 करोड़ रुपये (65 बिलियन डॉलर). जब साल 2008 में इस फ्रॉड का पर्दाफाश हुआ तो अमेरिका में भूचाल आ गया. घोटाले को अंजाम देने वाले बर्नार्ड मैडॉफ को 150 साल की सजा हुई. मैडॉफ ने बड़ी चालाकी से करीब 20 साल तक ट्रेडिंग की ‘स्प्लिट-स्ट्राइक कन्वर्जन’ तकनीक के नाम पर एक पोंजी स्‍कीम चलाई. आम आदमी ही नहीं बड़े-बड़े निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों ने भी मैडॉफ के हवाले अपना पैसा कर दिया.

वित्तीय इतिहास में बर्नार्ड मैडॉफ का नाम एक ऐसा अध्याय है, जो लालच और धोखाधड़ी की पराकाष्ठा को दर्शाता है. यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं था, यह एक सबक है कि कैसे लालच और धोखाधड़ी किसी भी सफलता को तबाह कर सकते हैं. साथ ही यह बताता है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती. जो चीजें बहुत अच्छी लगती हैं, वे अक्सर वैसी होतीं नहीं है.

बर्नी मैडॉफ: सफलता का झूठा चेहरा‘बर्नार्ड मैडॉफ स्‍कैंडल’ को अंजाम दिया था बर्नार्ड लॉरेंस “बर्नी” मैडॉफ ने. 1990 के दशक में नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष रहे मैडॉफ को अमेरिका के सबसे सम्मानित वित्तीय विशेषज्ञों में गिना जाता था. उन्होंने 1960 में बर्नार्ड एल. मैडॉफ इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज LLC की स्थापना की. मैडॉफ इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में महारत रखते थे. अपनी इसी गुण के चलते 1980 के दशक के अंत में, मैडॉफ प्रति वर्ष लगभग 100 मिलियन डॉलर कमाने लगे. उनकी कंपनी ने धन प्रबंधन और ट्रेडिंग में क्रांति लाने का दावा किया. उनके इस दावे पर साल 2008 तक लोग विश्‍वास भी करते रहे, क्‍योंकि किसी को पता नहीं था कि उनकी फेमस इनवेस्‍टमेंट स्‍ट्रेटजी केवल एक पोंजी स्‍कीम थी, और कुछ नहीं.

वादों की चकाचौंध में छिपी पोंजी स्कीमअमेरिकी में मैडॉफ को एक वित्‍तीय विशेषज्ञ का दर्जा हासिल था. अपनी इसी छवि का इस्‍तेमाल उसने अपनी पोंजी स्‍कीम को चलाने में किया. उसने निवेशकों को लगातार और ऊंचे रिटर्न का सपना दिखाया. मैडॉफ ने दावा किया था कि यह सब एक जटिल ट्रेडिंग तकनीक, स्प्लिट-स्ट्राइक कन्वर्जन, पर आधारित था. यह एक वैध तकनीक थी. पर असलियत यह थी कि मैडॉफ एक क्लासिक पोंजी स्कीम चला रहे थे.

मैडॉफ का फंडा बड़ा सिंपल था-नए लोगों को फंसाओ, उनको निवेश के लिए राजी करो और पुराने निवेशकों को मोटे रिटर्न के साथ पैसा लौटा दो. लोगों से लिया पैसा उनकी कंपनी कहीं नहीं लगा रही थी, बल्कि मैडॉफ एक अकाउंट में रखते और उससे लग्‍जरी लाइफ जी रहे थे. निवेशकों को और लोगों को धोखा देने के लिए वो हर महीने अपनी फर्म बर्नार्ड एल. मैडॉफ इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज LLC की स्‍टेटमेंट जारी करते. इसमें दिखाया जाता कि कंपनी खूब मुनाफा कमा रही है. खास बात यह है कि जब साल 2008 में यह घोटाला उजागर हुआ उस समय भी उनके अंतिम खाता विवरण, जिसमें लाखों पन्नों के फर्जी सौदे और संदिग्ध लेखा-जोखा शामिल हैं, दिखा रहे थे कि फर्म को 47 बिलियन डॉलर का लाभ होना दिखा रहे थे.

कभी नहीं दिया अवश्विसनीय रिटर्न मैडॉफ निवेशकों को मोटा मुनाफे का लालच तो देते थे, लेकिन उनके द्वारा दिए जाना वाला रिटर्न अविश्‍वसनीय या अप्रत्‍याशित नहीं होता था. उनकी फर्म निवेशकों को उनके निवेश पर सालाना औसतन 10-20 फीसदी रिटर्न देती थी. हां, रिटर्न में निरंतरता जरूर थी. बाजार के ऊपर-नीचे होने पर भी कभी निवेशकों को नेगेटिव रिटर्न नहीं मिला. इससे लोगों का भरोसा मैडॉफ पर जमा रहा और लगभग 17 साल तक मैडॉफ लोगों से पैसा लेते रहे.

मंदी ने डुबो दी लुटिया मैडॉफ 1990 से ही अपनी पोंजी स्‍कीम चला रहे थे. उनके पास पैसों का फ्लो 2008 तक बना रहा. इससे उन्‍हें पुराने निवेशकों को पैसा लौटाने में कोई दिक्‍कत नहीं आ रही थी. लेकिन, 2008 में आई मंदी में पैसा जमा कराने वालों से निकालने वालों की संख्‍या ज्‍यादा हो गई. इससे मैडॉफ फंस गए. उनके पास लौटाने को पैसा था ही नहीं. ऐसे में उन्‍होंने अपने दोनों बेटों को सच्‍चाई बताई. 10 दिसंबर 2008 को उन्होंने अपने बेटों के सामने सच्चाई कबूल की. उनके बेटों ने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी और अगले दिन मैडॉफ गिरफ्तार कर लिए गए.

150 साल कैद, 170 बिलियन डॉलर भुगतान का आदेश मार्च 2009 में मैडॉफ को 11 संघीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया. उन्हें 150 साल की जेल की सजा सुनाई गई. करीब $170 बिलियन की पुनर्भुगतान का आदेश दिया गया, जो उनकी संपत्ति से बहुत अधिक था. उनके भाई पीटर मैडॉफ को भी 10 साल की जेल हुई. मैडॉफ के जेल जाने के दो साल बाद उनके बेटे मार्क मैडॉफ ने आत्महत्या कर ली. दूसरे बेटे एंड्रयू मैडॉफ की 2014 में कैंसर से मृत्यु हो गई.

14 अप्रैल 2021 को बर्नार्ड लॉरेंस मैडॉफ की जेल के अस्‍पताल में बीमारी से मौत हो गई. दिसंबर, 2023 तक मैडोफ घोटाले के शिकार हुए 40843 लोगों को अमेरिका के न्‍याय विभाग ने ‘मैडोफ विक्टिम फंड’ से 4.22 बिलियन डॉलर का भुगतान किया. इस फंड में पैसा मैडॉफ की संपत्तियों की बिक्री से जुटाया गया है.
Tags: Business newsFIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 16:29 IST

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